gaurav yatra 2022: भोपाल/सुधीर दंडोतिया। भले ही मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव में एक साल का समय है, लेकिन इसके पहले ही प्रदेश में पूरी तरह से राजनैतिक बिसात बिछनी शुरू हो गई है। इस बिसात का केंद्र बिन्दु अब पूरी तरह से सूबे का मालवा निमाड़ अंचल बन चुका है। इसकी वजह है इस अंचल का वो इलाका जो आदिवासी समाज का प्रभाव वाला माना जाता है। इस इलाके से जहां कांग्रेस नेता राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा निकल रही है तो उनके प्रभाव को कम करने के लिए बीजेपी ने पूरी तरह से कमर कस ली है। इसके लिए इस इलाके में बीजेपी के बड़े नेता भी दौरे कर रहे है।
gaurav yatra 2022: मध्य प्रदेश में राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के चलते सियासत के केंद्र में मलावा और निमाड़ का इलाका है, यही वजह है कि राहुल गांधी की यात्रा के साथ ही ने इसी अंचल से गौरव यात्रा शुरू कर दी है। इस यात्रा की वजह से ही अब यह अंचल राजनीति का नया केन्द्र बन चुका है। राहुल गांधी की यात्रा के प्रभाव को नाकाम करने के लिए ही स्वंय मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कमान संभहाल रखी है। उनकी इस कवायद में संगठन भी वीडी शर्मा के नेतृत्व में उनके साथ पूरी तरह से खड़ा दिख रहा है। यही वजह है कि सरकार ने न केवल हाल ही में पैसा एक्ट लागू करने की घोषाणा की है, बल्कि स्वयं शिवराज मैदानी स्तर पर आदिवासी समुदाय के बीच पहुंचकर इस एक्ट के प्रावधानों की जानकारी दे रहे हैं।
gaurav yatra 2022: उधर, कांग्रेस में राहुल की भारत जोड़ो यात्रा को लेकर उत्साह दिख रहा है, कांग्रेस नेता राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा आज से मध्यप्रदेश में प्रवेश कर रहे है तो इससे पहले 20 नवंबर से बीजेपी ने आदिवासी गौरव यात्रा शुरू कर दी है। यह यात्रा प्रदेश के सभी 89 आदिवासी ब्लाक में जाएगी। वहीं राहुल गांधी की यात्रा का रूट भी ऐसा तय किया गया है जिसमें यह यात्रा ज्यादा से ज्यादा उन क्षेत्रों से गुजरे जहां अनुसूचित जाति और जनजाति के मतदाता अधिक हैं। बीजेपी ने अपनी यात्रा का नाम टंटया भील गौरव यात्रा रखा है। हालांकि कांग्रेस का दावा है कि इस बार चुनाव में इस इलाके में बीजेपी को करारी शिकस्त मिलेगी।
gaurav yatra 2022: राहुल की यात्रा खंडवा, इंदौर समेत उन विधानसभा क्षेत्रों से गुजरेगी जहां एससी और एसटी मतदाता निर्णायक भूमिका में हैं। राहुल गांधी भी टंटया भील के गांव में जाएंगे। वे इसके अलावा महू भी जाएंगे। आदिवासी बाहुल्य आगर मालवा से होती हुई यह यात्रा 12 दिन बाद राजस्थान की सीमा में प्रवेश कर जाएगी। इन यात्राओं के साथ कांग्रेस और बीजेपी का सीधा फोकस आदिवासी और अनुसूचित जाति मतदाताओं पर है। मध्य प्रदेश में एसटी की 47 और एससी की 34 सीटें हैं। पिछली बार कांग्रेस ने तीस एसटी सीटों पर कब्जा करते हुए भाजपा को सत्ता से दूर कर दिया था। जबकि 2018 के चुनाव में भाजपा इन सीटों पर बढ़त लेने में कामयाब रही थी। इसके साथ प्रदेश की 80 से ज्यादा सीटें ऐसी हैं जिन पर आदिवासी मतदाता ही जीत हार का फैसला करते हैं। यही वजह है कि दोनों दल इस वर्ग के मतदाता को लुभाने में लगे हैं और मध्य प्रदेश का मालवा निमाड़ इन दिनों सियासी अखाड़ा बना हुआ है।