Reported By: Satendra Singh Tomar
,Census of aquatic organisms in Chambal river: मुरैना। मध्य प्रदेश और राजस्थान के इलाके में निकलने वाली चंबल नदी में श्योपुर जिले के पाली घाट से लेकर 435 किमी दूर पचनदा तक 11 जलीय जीव विशेषज्ञों की टीम ने गणना की। चंबल नदी में जलीय जीवों के संरक्षण व संवर्धन के प्रयास का असर यह है कि इस साल 2456 घड़ियाल मिले हैं। पिछले साल 2108 घड़ियाल गिने गए थे। इस प्रकार 348 घड़ियाल बढ़ गए हैं। देश में सबसे ज्यादा घडि़याल मप्र की चंबल नदी में संरक्षित हैं।
Census of aquatic organisms in Chambal river: वनमंडल अधिकारी स्वरूप दीक्षित का कहना है इस साल चंबल में जलीय जीवों के बेहतर संरक्षण व संवर्धन के चलते घड़ियाल, मगरमच्छ, स्किमर व डॉल्फिन की संख्या बढ़ी है। यह पूरे प्रदेश के लिए गर्व की बात है। इसके अलावा अगर घड़ियालों की बात की जाए तो देश की और प्रदेश की कई नदियों में चंबल की घड़ियाल नदियों की शोभा बढ़ा रहे हैं। इसमें बॉम्बे नेशनल हिस्ट्री सोसाइटी एनजीओ, वाइल्ड लाइफ कन्जर्वेशन ट्रस्ट, वाइल्ड इंस्टीटयूट ऑफ इंडिया समेत यूपी,राजस्थान व एमपी के विशेषज्ञ शामिल रहे।
Census of aquatic organisms in Chambal river: विशेषज्ञों के दल ने बाइनोकूलर समेत हाईरिजोलूशन कैमरों और सीधे आंखों से गणना की। चंबल नदी का पानी स्वच्छ है। वातावरण भी प्रदूषण मुक्त है। यही कारण है कि दुनिया में सबसे अधिक घड़ियाल चंबल नदी में हैं। हमारे यहां से देश की कई नदियों को घड़ियाल दिए जाते हैं। जलीय जीवों की वार्षिक गणना में डॉल्फिन 111 नजर आई हैं। पिछले साल 2023 में 96 डॉल्फिन गिनी गई थीं। डॉल्फिन को लेकर जलीय जीव विशेषज्ञों का मत है कि यह स्वच्छ पानी में ही जीवित रहती है।
Census of aquatic organisms in Chambal river: इससे जाहिर है कि चंबल का जल आज भी स्वच्छ होकर जलीय जीवों व परिंदों के लिए बेहतर है। चंबल के 435 किमी के क्षेत्र में मगरमच्छ की संख्या 928 तक पहुंच गई है। पिछले साल 878 मगरमच्छ गिने गए थे। स्किमर की बात करें तो इनकी संख्या 843 तक पहुंची है जो 2023 में 740 थी। हालांकि चंबल नदी में रेत माफियाओं की वजह से जलीय जीव यमुना नदी में भी चले जाते हैं। यमुना नदी में जाने वाले जलीय जीवों की गणना नहीं हो पाती है।