भोपालः एक तरफ बीजेपी संगठन सत्ता में बैठे पार्टी नेताओँ को लगतार कसावट की कसौटी पर कस रहे हैं तो दूसरी तरफ प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी प्रदेश में सुशासन के लिए प्रशासनिक कसावट करने में जुटे हैं। सोमवार को जिलों के कलेक्टर-कमिश्नर के साथ बैठक में मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि “कलेक्टर-एसपी अपने-अपने स्तर पर सरकार के प्रतिनिधि हैं। जिलों में जनता को सुशासन देना उन्हीं के एक्शन पर निर्भर है। जिला स्तर पर कलेक्टर-एसपी के अच्छे कार्य से ही सरकार का लक्ष्य पूरा होता है। ऐसे में सरकार ने अब अफसरों को टार्गेट देकर उसकी सतत समीक्षा करना शुरू कर दिया है। सरकार की इस कवायद को विपक्ष इसे दिखावा मात्र बता रहा है। इसका कितना लाभ मिल रहा है या मिलेगा।
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मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सोमवार को विभिन्न विभागों की जमीनी हकीकत जानने के लिए जिलों के कलेक्टर्स और कमिश्नर्स के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए मीटिंग की। जिसमें प्रदेश में कानून व्यवस्था से जुड़े बिंदुएं पर विस्तार से बात की। बैठक CM ने सीधे तौर पर प्रदेश को अपराध मुक्त करने के लिए सायबर क्राइम, ड्रग्स कारोबारियों और माफिया पर नकेल कसने के निर्देश दिए, मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश के ऐसे सभी NGOको चिन्हित करें जिन्हें फॉरेन फंडिंग होती है। NGO इस फंड का कहां और क्या उपयोग कर रहे हैं इसका पता लगाएं। मुख्यमंत्री ने दो टूक कहा कि समाज को तोड़ने का काम करने वाले, धर्मांतरण करने वाले NGO के लिए मध्यप्रदेश में जगह नहीं है। इसके अलावा जनवरी 2021 में परसवाड़ा, दौरा और छरेगांव में नक्सलियों के नए दलम की मौजूदगी और कान्हा नेशनल पार्क के आस-पास कुल 30 नक्सलियों का नये ग्रुप की एक्टविटी पर भी मुख्यमंत्री ने विस्तार से जानकारी ली। सख्ती से निपटने के निर्देश दिए। इसके साथ-साथ सीएम शिवराज ने माफिया के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान, MSP पर धान खरीदी की तैयारी समेत कोरोना की मौजूदा स्थिति की समीक्षा की। मुख्यमंत्री ने कोरोना वैक्सीन के दूसरे डोज की पैंडेसी खत्म करने पर फोकस करने को कहा है।
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बैठक में मुख्यमंत्री ने स्मार्ट पुलिसिंग पर जोर दिया। मुख्यमंत्री के मुताबिक स्मार्ट पुलिसिंग यानि S – Strict and Sensitive (कठोर एवं संवेदनशील), M – Modern and Mobile (आधुनिक एवं गतिशील), A – Alert & Accountable (सजग एवं उत्तरदायी), R – Reliable and Responsive (विश्वसनीय एवं अनुक्रियाशील), T – Tech-Expert and well Trained (तकनीक दक्ष एवं कुशल प्रशिक्षित) से है। हालांकि सरकार की इस पूरी कवायद पर विपक्ष ने जमकर निशाना साधा है।
कलेक्टर-कमिश्नर कांफ्रेंस में अच्छा काम करने वाले अधिकारियों की पीठ थपथपाई गई तो कमतर परफोर्मेंस वाले अधिकारियों को फटकार भी मिली। माना जा रहा है की आने वाले दिनों अफसरों की मैदानी पोस्टिंग कॉन्फ्रेंस में तैयार रिपोर्ट कार्ड के आधार पर की जा सकती है। संकेत साफ है कि सुशासन वाली सरकार की छवि बनाने वालों को सम्मान मिलेगा और बिगाड़ने वालों पर गाज गिरना भी तय है। बड़ा सवाल ये जमीन पर जनता को इस कवायद का कितना लाभ दिखेगा।