Shaikh Jafar Qureshi renounced Islam and accepted Hinduism: रायपुर। मध्य प्रदेश के मंदसौर में 46 वर्षीय शेख जफर शेख पुत्र स्व. गुलाम मोहम्मद शेख ने शुक्रवार को सनातन धर्म स्वीकार कर लिया। श्री पशुपतिनाथ महादेव मंदिर परिसर में मुंबई से आए महामंडलेश्वर स्वामी श्री चिदंबरानंद जी सरस्वती की मौजूदगी में उनकी घर वापसी की प्रक्रिया हुई। हिंदू धर्म ग्रहण करने के बाद शेख जफर शेख चैतन्य सिंह राजपूत बन गए। उन्होंने कहा कि हमारा मूल धर्म हिंदू ही था और अधिकांश राजपूत ही मुस्लिम बने थे इसलिए नए नाम में उपनाम राजपूत रखा है। इस दौरान उन्होंने आईबीसी24 पर लाइव महामृत्युजंय मंत्र का उच्चारण भी किया।
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मंदसौर निवासी शेख जफर शेख को अब चैतन्य सिंह राजपूत के नाम से जाना जाएगा। शुक्रवार को उन्होंने भगवान पशुपतिनाथ मंदिर प्रांगण में धर्म परिवर्तन किया। 46 वर्षीय शेख को महामंडलेश्वर स्वामी चिदंबरानंदजी सरस्वती द्वारा पूजन हवन कर हिंदू धर्म की दीक्षा दी गई। इस दौरान उन्हें गोबर और गोमूत्र से स्नान कराया गया। हिंदू धर्म अपनाने के बाद उन्होंने कहा कि बचपन से ही मेरा झुकाव हिंदू धर्म की ओर था, इसी वजह से मैंने मराठी समाज की युवती से शादी की थी। अब तक मैं खुद को अधूरा महसूस कर रहा था, लेकिन विधि विधान से सनातन धर्म अपनाने के बाद मैं पूर्ण रुप से हिंदू हो गया हूं।
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Shaikh Jafar Qureshi renounced Islam and accepted Hinduism: शेख जफर शेख अपने पांच भाई बहनों में सबसे छोटे हैं। उनका कहना है कि मैरा जन्म भले ही मुस्लिम परिवार में हुआ है पर कभी भी नमाज ही नहीं पढ़ी है। ईद या अन्य त्योहार पर भाई व पिताजी जिद करते तो उनके साथ अनमने मन से चले जाता था। जबकि साल की दोनों नवरात्रि व दो गुप्त नवरात्रि में नौ दिन तक माताजी की पूजा-अर्चना करता हूं और कन्या भोज भी कराता हूं। गणेशोत्सव में श्रीगणेशजी की स्थापना भी करता हूं। बड़े भाई मंदसौर पुलिस में एसआइ हैं एक भाई हैदराबाद में नौकरी करते हैं। एक बहन की शादी नीमच, एक की रावतभाटा हुई हैं। माता-पिता की मृत्यु हो चुकी हैं। मूलतः नीमच के रहने वाले शेख जफर शेख का जन्म गरोठ में हुआ था और वह 1998 से ही मंदसौर में रह रहे हैं।
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चैतन्यसिंह राजपूत (शेख जफर शेख) लंबे समय से घर में हिंदू देवी-देवताओं की पूजा करते थे, उन्होंने बताया कि वैसे तो कहीं कोई दिक्कत नहीं थी पर हमेशा लग रहा था कि कुछ न कुछ कमी है इसलिए विधि विधान से हिंदू धर्म ग्रहण करने की इच्छा थी। अप्रैल में नवरात्र से ही इसकी तैयारी चल रही हैं। दिल्ली में भाजपा के राष्ट्रीय कार्यालय में मित्र विशाल शर्मा से भी इस बारे में चर्चा की थी कि कोई संत आए तो उनके सानिध्य में यह कार्य करें। संयोग से अभी महामंडलेश्वर स्वामी चिदंबरानंदजी सरस्वती रतलाम में आए हुए थे उनसे चर्चा करने पर शुक्रवार का दिन तय हो गया।
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पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी के महामंडलेश्वर स्वामी चिदंबरानंदजी सरस्वती मुंबई ने कहा कि शेख जफर शेख की इच्छानुसार उन्हें नया नाम देकर घर वापसी की गई है। विधि-विधान से सभी प्रक्रिया निभाई गई है। विधायक यशपालसिंह सिसौदिया ने कहा कि जफर शेख शुरु से ही भगवान शिव के भक्त है। कल तक वे जफर शेख थे अब वे चैतन्य सिंह राजपूत के नाम से जाने जाएंगे। नाम के साथ संस्कार और विचार परिवर्तन हुआ है। उन्होंने नई शुरुआत की है।
चैतन्यसिंह राजपूत ने कहा कि यह घर वापसी की है परिवर्तन का कोई प्रश्न नहीं है। दुनिया के अधिकांश लोग सनातनी हैं जो इधर-उधर हो गए हैं। अब जो लोग यहां-वहां भटक रहे हैं वह भी हिम्मत दिखाकर अपने मूल सनातन में लौट आएं। यहीं पर शांति मिलेगी। जो मुस्लिम हैं, उनके पूर्वज राजपूत थे। इसलिए यह नाम चुना गया।