पर्यावरण बचाने की जरूरत का अहसास कराती हैं महाकवि कालिदास की रचनाएं : उप राष्ट्रपति

पर्यावरण बचाने की जरूरत का अहसास कराती हैं महाकवि कालिदास की रचनाएं : उप राष्ट्रपति

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  • Publish Date - November 12, 2024 / 06:19 PM IST,
    Updated On - November 12, 2024 / 06:19 PM IST

इंदौर (मध्यप्रदेश), 12 नवंबर (भाषा) जलवायु परिवर्तन की गंभीर समस्या से निपटने के लिए जागरूकता बढ़ाए जाने पर जोर देते हुए उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने मंगलवार को कहा कि महाकवि कालिदास की रचनाएं पर्यावरण बचाने की जरूरत का अहसास कराती हैं।

धनखड़ ने उज्जैन में 66वें अखिल भारतीय कालिदास समारोह के उद्घाटन समारोह में कहा, ‘‘आज की ज्वलंत समस्या पर्यावरण की है। महाकवि कालिदास की रचनाओं से हमें बोध होता है कि पर्यावरण का संरक्षण हमारे अस्तित्व के लिए अहम है।’’

उप राष्ट्रपति ने जोर देकर कहा कि जलवायु परिवर्तन की गंभीर समस्या से निपटने के प्रति सबको ध्यान देना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘हमें याद रखना चाहिए कि हमारे पास पृथ्वी के अलावा कोई दूसरा स्थान रहने के लिए नहीं है।’’

धनखड़ ने कहा कि कालिदास को ‘‘समग्र कवि समुदाय का कुलगुरु’’ कहा जाता है और ‘अभिज्ञान शाकुन्तलम्’, ‘मेघदूतम्’, ‘कुमार संभवम्’ और ‘ऋतु संहार’ तथा ‘मालविका अग्निमित्रम्’’ सरीखी उनकी अमर कृतियों में मानवीय भावनाओं का अद्भुत संगम देखने को मिलता है।

उप राष्ट्रपति ने यह भी कहा कि दुनिया में भारत के अलावा दूसरा कोई भी देश नहीं है जिसके पास इतनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत हो। उन्होंने कहा कि देश की सांस्कृतिक जड़ें नागरिकों को जीवन के दर्शन, सार और मूल्य के साथ ही अपने अस्तित्व का महत्व बताती हैं।

धनखड़ ने कहा, ‘‘यह बात ध्यान रखने वाली है कि जो देश और समाज अपनी संस्कृति और सांस्कृतिक धरोहर को संभाल कर नहीं रखता, वह ज्यादा दिन नहीं टिक सकता। हमें हमारी संस्कृति पर पूरा ध्यान देना होगा।’’

समारोह को सूबे के राज्यपाल मंगू भाई पटेल, मुख्यमंत्री मोहन यादव और श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास के कोषाध्यक्ष स्वामी गोविंद देव गिरि ने भी संबोधित किया।

कार्यक्रम में शास्त्रीय संगीत के लिए उदय भवालकर और अरविंद पारीख, शास्त्रीय नृत्य के लिए डॉ. संध्या पुरेचा और गुरु कलावती देवी, रूपंकर कलाओं के लिए पीआर दारोज और रघुपति भट्ट एवं रंगकर्म के लिए भानु भारती और रुद्रप्रसाद सेनगुप्ता को राष्ट्रीय कालिदास सम्मान से नवाजा गया। भोज श्रेष्ठ कृति अलंकरण आचार्य बालकृष्ण शर्मा को प्रदान किया गया।

भाषा हर्ष वैभव

वैभव