रिपोर्ट- सुधीर दंडोतिया, भोपाल: ‘Mahabharata’ on Gita ये तय है कि जल्द ही मध्यप्रदेश के कॉलेजों में रामचरित मानस के साथ ही अब भगवत गीता भी पढ़ाई जाएगी। इस बात का ऐलान खुद मुख्यमंत्री शिवराज ने राजधानी भोपाल में आयोजित युवा संवाद कार्यक्रम में किया। CM ने कहा कि अब से स्नातक की पढ़ाई में सैकेंड ईयर के सिलेबस में भगवत गीता को शामिल किया जाएगा।
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‘Mahabharata’ on Gita फिलहाल राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत एमपी के कॉलजों में रामचरित मानस और महाभारत पढ़ायी जा रही है। जाहिर है इस ऐलान के बाद इस सियासी पारा चढ़ना ही था। कांग्रेस ने इस फैसले के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए कहा कि कोर्स में किसी को भी पढ़ाएं कांग्रेस को आपत्ति नहीं है लेकिन पहले प्रदेश में उच्च शिक्षा की गुणवत्ता पर ध्यान दें। ना कि अपना सियासी ऐजेंडा सेट करें।
कांग्रेस की आशंकाओं और आरोपों पर बीजेपी ने पलटवार करते हुए कहा कि कांग्रेस खुद तुष्टीकरण की राजनीति के लिए जानी जाती है। अब जब सरकार न्याय संगत फैसले ले रही है तो कांग्रेस को दर्द होना बहुत लाजमी है। गीता संवैधानिक दृष्टि से भी पढ़ाई जाने के लिए स्वीकृत है, तो कांग्रेस को कम से कम ऐसे मामलों पर तो राजनीति नहीं करनी चाहिए।
वैसे, प्रदेश में गीता पढ़ाने पर बहस छिड़ना नई बात नहीं है। इससे पहले भी स्कूलों में रामायण और महाभारत भी पढ़ाये जाने को। विपक्ष ने बीजेपी का हार्ड कोर हिन्दू एजेंडा बताकर आपत्ति जताई थी। कांग्रेस का मानना है कि देश की शिक्षा निति के बहाने बीजेपी सरकार नए वोटर्स को अपनी विचारधारा से जोड़ने की जुगत में हैं। अब बड़ा सवाल ये कि अगर ऐसा है तो कांग्रेस के पास इसकी क्या काट है? क्योंकि इस मुद्दे पर मुखर विरोध उसे भारी भी पड़ सकता है।
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