भोपाल: Political Leaders important role यूपी में जैसे-जैसे चुनाव की तारीख नजदीक आ रही है। सियासी सरगर्मियां पूरे उफान पर है। राजनीतिक दल एक दूसरे के खिलाफ किलेबंदी करने पूरी ताकत झोंक रहे हैं, लेकिन खास बात ये है कि इन चुनावों में मध्यप्रदेश के बीजेपी और कांग्रेस नेताओं को बड़ी जिम्मेदारी दी गई है। साफ है कि ऐसे जिम्मेदारी को पूरा कर नेताओं का कद बढ़ता है। दोनों तरफ से ऐसे नेताओं की लंबी सूची है, जो पार्टी के लिए पसीना बहा रहे हैं।
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Political Leaders important role यूपी के चुनावों में मध्यप्रदेश के नेता भी दम दिखाने जा रहे हैं। बीजेपी-कांग्रेस दोनों तरफ से सैकड़ों नेता यूपी के रण में मोर्चा संभालेंगे। बीजेपी ने तो मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की पूर्वांचल के बलिया से रैली करवाकर शुरुआत भी कर दी है। पिछले चुनावों में मध्यप्रदेश के बीजेपी नेताओं ने कमाल किया था। खासकर गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा,नरेंद्र सिंह तोमर ने अपने प्रभार की सीटों पर 100 फीसदी रिजल्ट दिया था।
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इस बार भी बीजेपी मध्यप्रदेश से इन चेहरों को बड़ी जिम्मेदारी देने वाली है, न सिर्फ मंत्री-विधायक बल्कि चुनावी मैनेजमेंट में उस्ताद माने जाने वाले (ग्राफिक्स इन) मध्यप्रदेश बीजेपी के अध्यक्ष वीडी शर्मा, संगठन मंत्री सुहास भगत,सह संगठन मंत्री हितानंद शर्मा और पूर्व संगठन मंत्री अरविंद मेनन को भी बड़ी जिम्मेदारी दी है। बुंदेलखंड से आने वाली फायर ब्रांड नेता उमा भारती को भी बीजेपी उतारने की तैयारी में है। इसके अलावा सरकार के बड़े चेहरों में गोपाल भार्गव, अरविंद भदौरिया, भूपेंद्र सिंह, कमल पटेल, गोविंद राजपूत, विश्वास सारंग, उषा चौधरी, मोहन यादव, हरदीप सिंह डंग, रामखिलावन पटेल भी अहम जिम्मेदारी निभाते नजर आएंगे।
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दूसरी ओर कांग्रेस से पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ का यूपी दौरा जारी है, वो दिल्ली से यूपी के चुनावी मैनेजमेंट की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। वहीं सत्यनारायण पटेल को हाल ही में आलाकमान ने प्रियंका गांधी के साथ यूपी में प्रभारी सचिव के तौर पर तैनाती की है। जबकि उत्तरप्रदेश की सीमा से लगे विंध्य से कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अजय सिंह, अहीर नेता और पूर्व केंद्रिय मंत्री अरुण यादव, युवा चेहरे के नाते जीतू पटवारी, यूपी बॉर्डर से लगे भिंड के सीनियर एमएलए डॉ गोविंद सिंह को भी आलाकमान जल्द उत्तरप्रदेश में उतारेगा। कांग्रेस की कोशिश है मध्यप्रदेश के कांग्रेस नेताओं को यूपी के सीमावर्ती जिलों में उतारा जाए, वो भी सोशल इंजीनियरिंग के साथ।
दरअसल उत्तरप्रदेश के आगरा, इटावा, जालौन, झांसी, महोबा, बांदा, ललितपुर, चित्रकूट, प्रयागराज, मिर्जापुर और सोनभद्र जिलों की सीमा एमपी के ग्वालियर-चंबल, बुंदेलखंड और विंध्य अंचल से जुड़ी हुई हैं। इन अंचलों से आने वाले बीजेपी कांग्रेस के दिग्गजों को यूपी विधानसभा चुनाव में जिम्मेदारी दी जा रही है। देखना दिलचस्प होगा कि बीजेपी-कांग्रेस के नेता यूपी इलेक्शन में क्या कमाल करते हैं।