इंदौर, 28 जनवरी (भाषा) मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने इंदौर की एक व्यस्त सड़क पर प्रस्तावित भूमिगत मेट्रो लाइन के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर मंगलवार को मध्यप्रदेश मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एमपीएमआरसीएल) और स्थानीय प्रशासन को नोटिस जारी करके जवाब तलब किया।
उच्च न्यायालय की इंदौर पीठ के न्यायमूर्ति विवेक रूसिया और न्यायमूर्ति गजेंद्र सिंह ने सामाजिक कार्यकर्ता किशोर कोडवानी और दो स्थानीय नागरिकों-महेश वर्मा और शेखर गिरि की याचिका पर एमपीएमआरसीएल, जिला प्रशासन और इंदौर नगर निगम के अफसरों से जवाब मांगा।
याचिका में दावा किया गया है कि शहर की पुरानी बसाहट के 13 किलोमीटर लम्बे एमजी रोड पर खुदाई करके भूमिगत मेट्रो रेल लाइन बिछाने से ऐतिहासिक धरोहर वाले कई भवनों को नुकसान पहुंचेगा और भू-जल की व्यवस्था छिन्न-भिन्न हो जाएगी।
याचिका में उच्च न्यायालय से गुहार लगाई कि इस व्यस्त सड़क पर भूमिगत मेट्रो रेल लाइन बिछाने की योजना पर रोक लगाई जाए।
अधिकारियों ने बताया कि इंदौर में 7,500.80 करोड़ रुपये की कुल लागत वाली मेट्रो रेल परियोजना के पहले चरण की नींव 14 सितंबर 2019 को रखी गई थी। इसके तहत शहर में रिंग के आकार वाला करीब 31.50 किलोमीटर लम्बा मेट्रो रेल गलियारा बनाया जाना है।
उन्होंने बताया कि एमपीएमआरसीएल इन दिनों शहर के गांधी नगर स्टेशन से सुपर कॉरिडोर के स्टेशन क्रमांक-तीन के बीच 5.90 किलोमीटर के सर्वोच्च प्राथमिकता वाले गलियारे पर मेट्रो रेल चलाने की तैयारी कर रहा है। यह गलियारा शहर की नयी बसाहट में स्थित है।
भाषा हर्ष नोमान
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