भोपाल, 24 दिसंबर (भाषा) वरिष्ठ साहित्यकार दयानंद पांडेय की कृति ‘विपश्यना में प्रेम’ को मध्य प्रदेश साहित्य अकादमी द्वारा 2023 के अखिल भारतीय राजा वीरसिंह देव पुरस्कार के लिए चुना गया है। इसके साथ ही अकादमी ने 2022 एवं 2023 के लिए कुल 56 साहित्यकारों और आलोचकों का चयन विभिन्न पुरस्कारों के लिए किए जाने की घोषणा की।
साहित्य अकादमी, मध्यप्रदेश संस्कृति परिषद्, मध्यप्रदेश शासन संस्कृति विभाग, भोपाल द्वारा घोषित इन पुरस्कारों के तहत अखिल भारतीय पुरस्कार के तहत एक लाख रुपये एवं प्रादेशिक पुरस्कार के तहत इक्यावन हजार रुपये के साथ शॉल, श्रीफल, स्मृति चिह्न और प्रशस्ति के साथ रचनाकारों को सम्मानित किया जाता है।
साहित्य अकादमी के निदेशक डॉ. विकास दवे ने बताया कि कुछ पुरस्कारों के लिए दो श्रेष्ठ कृतियों को संयुक्त रूप से जूरी द्वारा चयनित किया गया है। दो वर्ष के लिए कुल 56 पुरस्कारों की घोषणा की गई है।
उन्होंने बताया कि 2023 के लिए अखिल भारतीय राजा वीरसिंह देव पुरस्कार दयानंद पांडेय को उनके उपन्यास, ‘विपश्यना में प्रेम’,के लिए, अखिल भारतीय पं. माखनलाल चतुर्वेदी (निबंध) पुरस्कार डॉ. विवेक चौरसिया को उनकी कृति ‘राम रसायन मोरे पासा’, अखिल भारतीय गजानन माधव मुक्तिबोध (कहानी) पुरस्कार पंकज शर्मा को उनकी कृति ‘खिड़कियाँ’ एवं रोचिका अरुण शर्मा, चेन्नई की कृति ‘मन केसरिया रंग दो जी’ को संयुक्त रूप से चुना गया है।
उन्होंने बताया कि इसी प्रकार 2023 के लिए अखिल भारतीय अखिल भारतीय पं. भवानी प्रसाद मिश्र (गीत एवं हिन्दी गजल) पुरस्कार सोनी सुगंधा को उनकी कृति ‘आसमान का आँगन’, के लिए अखिल भारतीय अटल बिहारी वाजपेयी (कविता), पुरस्कार डॉ. विजयानन्द को उनकी कृति ‘कोरोना तथा अन्य सामयिक कविताएँ’ एवं योगिता चौरसिया ‘प्रेमा’, को उनकी कृति ‘छंद कलश’ के लिए संयुक्त रूप से चुना गया है।
उन्होंने बताया कि 2022 के लिए कहानी श्रेणी में अखिल भारतीय गजानन माधव मुक्तिबोध (कहानी) पुरस्कार डॉ. फकीरचंद शुक्ला की कृति ‘धूप-छाँव’ और उपन्यास श्रेणी में अखिल भारतीय राजा वीरसिंह देव पुरस्कार राजेन्द्र मोहन शर्मा की कृति ‘महात्मा विदुर’, तथा अखिल भारतीय आचार्य रामचन्द्र शुक्ल (आलोचना) पुरस्कार प्रो. अरुण कुमार भगत को उनकी कृति ‘पत्रकारिता सर्जनात्मक लेखन और रचना-प्रक्रिया’ को प्रदान किया जाएगा।
दवे ने बताया कि 2022 और 2023 के लिए मध्यप्रदेश की छः बोलियों मालवी, निमाड़ी, बघेली, बुंदेली, भीली और गोंडी के साहित्यिक कृति पुरस्कारों की भी घोषणा की है। इस पुरस्कार के तहत रुपये 51 हजार के साथ शाल, श्रीफल, स्मृति चिह्न और प्रशस्ति के साथ रचनाकारों को सम्मानित किया जाता है।
उन्होंने बताया कि 2022 के पुरस्कारों में ‘मालवी’ बोली के लिए रजनीश दवे-इंदौर की कृति ‘आस की ओसारी’, ‘निमाड़ी’ बोली के लिए विजय कुमार जोशी-महेश्वर की कृति ‘आस तीस का लाड़ू’, ‘बघेली’ बोली के लिए सीताशरण गुप्त-मैहर की कृति ‘जगन्नाथ केर परसाद’, ‘बुंदेली’ बोली के लिए पं. मनीराम शर्मा-दतिया की कृति ‘हम हैं इन गाँवन के ठौर के’ को दिया गया है।
दवे ने बताया कि 2023 का निमाड़ी बोली पुरस्कार राकेश गीते ‘रागी’ की कृति ‘गुड़ की गाँगड़ी’, बघेली बोली के लिए चन्द्रिका प्रसाद ‘चन्द्र’ की कृति ‘रिस्तन केर निबाह’, और बुंदेली बोली के लिए मनोज कुमार तिवारी की कृति ‘बोल बुन्देली’ को दिया गया है।
उन्होंने बताया कि 2022 के लिए ‘भीली’ और ‘गोंडी’ बोली तथा 2023 के लिए ‘मालवी’ बोली के लिए कोई भी कृति प्रविष्टि के रूप में प्राप्त नहीं हुई है।
भाषा दिमो
नरेश
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