मप्र : फसलों की बर्बादी से अन्नदाता परेशान, किसान संगठनों ने नीलगायों को मारने की अनुमति मांगी

मप्र : फसलों की बर्बादी से अन्नदाता परेशान, किसान संगठनों ने नीलगायों को मारने की अनुमति मांगी

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  • Publish Date - November 18, 2024 / 08:10 PM IST,
    Updated On - November 18, 2024 / 08:10 PM IST

इंदौर, 18 नवंबर (भाषा) पश्चिमी मध्यप्रदेश में नीलगाय के झुंडों द्वारा रबी की फसलों की बर्बादी पर आक्रोश जताते हुए किसानों के दो संगठनों ने राज्य सरकार से सोमवार को मांग की कि किसानों को इस वन्य जीव को मारने की अनुमति दी जाए।

दूसरी ओर, एक पशुहितैषी संगठन ने इस मांग का विरोध करते हुए कहा है कि नीलगायों को किसानों के खेतों से दूर रखने के लिए अहिंसक विकल्प अपनाए जाने चाहिए।

भारतीय किसान मजदूर सेना के अध्यक्ष बबलू जाधव ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा,‘‘इंदौर और पश्चिमी मध्यप्रदेश के अन्य जिलों के किसान नीलगायों से बुरी तरह परेशान हैं। इस जानवर के बेलगाम झुंड गेहूं, चने, आलू ,मटर, लहसुन, प्याज और दूसरी फसलों को किसानों की आंखों के सामने हर रोज बर्बाद कर रहे हैं। इस स्थिति में किसान बेबस हैं।’

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को किसानों को नीलगायों को मारने की अनुमति देनी चाहिए ताकि वे अपनी फसलों की रक्षा कर सकें।

जाधव ने बताया,‘‘नीलगायों के डर से कई किसान पूरी रात जागकर अपने खेतों की रखवाली कर रहे हैं।’’

उन्होंने यह भी कहा कि ये जानवर अरहर की फसल को पूरी तरह चट कर जाते हैं, इसलिए कई किसानों ने इस बार अरहर के बजाय दूसरी फसलें बोना मुनासिब समझा।

पश्चिमी मध्यप्रदेश के मालवा-निमाड़ अंचल में संयुक्त किसान मोर्चा के संयोजक रामस्वरूप मंत्री ने भी नीलगायों को मारने की अनुमति की मांग का समर्थन किया। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर राज्य सरकार ने नीलगायों के प्रकोप से किसानों को जल्द मुक्ति नहीं दिलाई, तो इस मुद्दे पर बड़ा आंदोलन किया जाएगा।

इंदौर के वन मंडलाधिकारी (डीएफओ) एमएस सोलंकी ने बताया कि नीलगायों को मारने की मांग के बारे में उन्हें किसानों का कोई औपचारिक पत्र अब तक नहीं मिला है। डीएफओ ने कहा कि ऐसा कोई पत्र मिलने पर इसे वन विभाग के भोपाल स्थित मुख्यालय भेजकर मार्गदर्शन मांगा जाएगा।

इस बीच, पशुहितैषी संगठन ‘‘पीपुल फॉर एनिमल्स’’ ने नीलगायों को मारने की अनुमति को लेकर किसान संगठनों की मांग पर आपत्ति जताई है। संगठन की इंदौर इकाई की अध्यक्ष प्रियांशु जैन ने बताया,’जंगलों का दायरा दिनों-दिन सिमटने के कारण नीलगायें इंसानी बस्तियों का रुख कर रही हैं। ऐसे में नीलगायों को मारा जाना या उन्हें कोई चोट पहुंचाया जाना सरासर गलत होगा।’

उन्होंने कहा कि नीलगायों को अपने खेतों से दूर रखने के लिए किसानों को तेज आवाज में संगीत बजाना चाहिए या पटाखे फोड़ने चाहिए।

भाषा हर्ष नोमान

नोमान