Paperless E-vidhansabha: भोपाल। मध्य प्रदेश विधानसभा जल्द ही पेपरलैस होने जा रही है। इसके लिए ई-विधान पर काम किया जा रहा है। मध्य प्रदेश विधानसभा का एक दल जल्द दी देश के उन राज्यों का दौरा करेंगे, जहां ई-विधान लागू है। गौरतलब है कि 7 साल पहले विधानसभा को पूरी तरह पेपरलेस बनाने की योजना बनाई गई थी। साल 2015-16 में पहली बार कांसेप्ट तैयार कर राज्य सरकार को भेजा गया। >>*IBC24 News Channel के WHATSAPP ग्रुप से जुड़ने के लिए यहां CLICK करें*<<
ये भी पढ़ें- Asia cup 2022, india vs pakistan: पाकिस्तान से जीत के बाद कप्तान रोहित शर्मा का बड़ा बयान, बोले – इस तरह की जीत से….
Paperless E-vidhansabha: स्वीकृति के बाद प्रश्न ऑनलाइन भेजने के लिए ट्रेनिंग शुरू कर दी गई और यह सिलसिला अब तक जारी है, लेकिन मप्र विधानसभा इससे आगे नहीं जा सकी, जबकि दूसरी तरफ देश के 19 राज्यों ने अपनी-अपनी विधानसभाओं को पेपरलेस बनाने के लिए केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्रालय से एमओयू कर लिया। गौरतलब है कि विधानसभा में ध्यानाकर्षण और प्रश्न लगाने की प्रक्रिया ऑनलाइन की जा चुकी है।
ये भी पढ़ें- IND vs PAK Asia Cup 2022: हार्दिक की पंच और भुवी का धमाल…. इन पांच फैक्टर्स ने दिलाई भारत को जीत
Paperless E-vidhansabha: इनमें शामिल हिमाचल, गोवा और हरियाणा ने अपनी विधानसभाओं को पूरी तरह पेपरलेस भी कर दिया। इन्हें ई-विधानसभा का दर्जा दे दिया गया है। मप्र विधानसभा की तरफ से दो बार प्रपोजल बनाकर राज्य सरकार को भेजा गया है। करीब 15 करोड़ रुपए लागत वाले इस प्रोजेक्ट पर अब राज्य सरकार को सहमति देनी है। इसके बाद विधायकों की सीट के सामने एक डिजिटल स्क्रीन लगाई जाएगी, जो टच स्क्रीन वाली होगी।
ये भी पढ़ें- ‘आशिक बनाया आपने’ की ग्लैमरस एक्ट्रेस ऐसी हालत में हुई स्पॉट, तस्वीरें देख आप भी रह जाएंगे हैरान
Paperless E-vidhansabha: इसमें सदन की कार्यवाही, कार्यसूची, नोटिस, बुलेटिन, विधेयक, तारांकित और अतारांकरित प्रश्न तथा उनके जवाब तत्काल देखे जा सकेंगे। सर्च ऑप्शन पर क्लिक करते ही किसी भी दस्तावेज तक आसानी से पहुंचा जा सकेगा। पटल पर रखे जाने वाले दस्तावेज, कमेटियों की रिपोर्ट आदि सभी बिना कागज के देखी जा सकेंगी। बता दें कि मप्र विधानसभा के एक सत्र में प्रश्नोत्तरी प्रकाशित कराने से लेकर अन्य दस्तावेजों के काम में औसतन 8 से 15 लाख रुपए का खर्च आता है।