Khargone’s Jagdish Joshila Will Get Padma Shri: खरगोन की 2 विभूतियों को पद्मश्री, जगदीश जोशीला निमाड़ी साहित्य में योगदान देने पर होंगे सम्मानित

खरगोन की 2 विभूतियों को पद्मश्री,जगदीश जोशीला निमाड़ी...Khargone's Jagdish Joshila Will Get Padma Shri: 2 personalities of Khargone will...

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  • Publish Date - January 26, 2025 / 07:03 AM IST,
    Updated On - January 26, 2025 / 07:03 AM IST

खरगोन: Khargone’s Jagdish Joshila Will Get Padma Shri: भारत सरकार द्वारा गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर देश की जानी मानी हस्तियों को पद्मश्री अवार्ड देने की घोषणा की है। उनमें मप्र के खरगोन जिले की भी दो हस्तियों को पद्मश्री अवार्ड देने की घोषणा की है। इनमें खरगोन जिले के गोगांवा के निमाडी बोली के कवि, साहित्यकार और उपन्यासकार जगदीश जोशीला के साथ महेश्वर की शैली होलकर को महिला बुनकरो के उत्थान के लिये पद्मश्री अवार्ड मिलेगा। खरगोन के निमाड़ अंचल में पहली बार एक साथ दो लोगो को पद्मश्री पुरस्कार मिलने के बाद बधाईयो देने वालो का तांता लग गया। पद्मश्री अवार्ड की घोषणा होने के बाद जगदीश जोशिला के परिजनों में खुशी का माहौल है। वही आसपास ग्रामीण अंचल के लोग भी उन्हें बधाई देने के लिए उनके घर पहुंचे। जहां उन्हें पुष्पहार और मिठाई खिलाकर उन्हें पद्मश्री अवार्ड मिलने की बधाई दी।

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Khargone’s Jagdish Joshila Will Get Padma Shri: अवॉर्ड की घोषणा होने के बाद सबसे पहले IBC 24 न्यूज चैनल भी निमाड़ी बोली के कवि जगदीश जोशिला के घर पहुंचा। इस दौरान जोशिला के घर पर खुशी के माहौल में बड़ी संख्या में पहुंचे लोग उन्हें बधाई देने के लिए पहुंचे। उल्लेखनीय है कि 3 जून 1949 मैं जन्मे जगदीश जोशिला को कक्षा छठवीं से ही लेखन की शुरुआत कर दी थी। कई वर्षों से निमाड़ी बोली को भाषा का दर्जा देने के लिए विभिन्न मंचों पर आवाज उठाते आ रहे हैं। इसके लिए उन्होंने अखिल निमाड़ी लोक न्यास संस्था का भी पंजीयन कराकर समिति गठित की है। जो निमाड़ी बोली के लिए काम कर रही है। जोशिला इस समिति के संस्थापक अध्यक्ष भी हैं। इसके लिए उन्हें कई संस्थाओं द्वारा शील्ड देकर भी पुरस्कृत किया गया है। उन्होंने अहिल्या बाई होलकर से लेकर आदि गुरु शंकराचार्य, जननायक टंट्या मामा भील,बिरसा मुंडा,धार जिले के अमझेरा के अमर शहीद महाराव बख्तावर राठौड़ पर भी पुस्तक लिख चुके हैं। जगदीश जोशिला का राजनीतिक सफर भी रहा है। उन्होंने 1980 में लोकदल,1985 में जनता पार्टी ओर वर्ष 1990 में जनता दल से चुनाव लड़ा था लेकिन उन्हें किसी भी चुनाव में विजय श्री हासिल नहीं हुई। वर्ष 1990 के बाद उन्होंने राजनीतिक जीवन को अलविदा कर खुद को साहित्य के क्षेत्र में समर्पित कर दिया। वर्ष 2010 में खरगोन के तत्कालीन कलेक्टर ने पद्मश्री अवार्ड के लिए अनुशंसा की थी जो अब 15 वर्षों बाद उनकी तपस्या का फल मिला है।

Khargone’s Jagdish Joshila Will Get Padma Shri: IBC 24 न्यूज से खास चर्चा करते हुए हिंदी और निमाड़ी साहित्यकार जगदीश जोशिला का कहना था कि मूलतः यह खुशी पूरी निमाड़ी भाइयों को जाता है। मुझे हिंदी और निमाड़ी भाषा के संयुक्त रूप में पद्मश्री अवार्ड दिए जाने की घोषणा भारत सरकार द्वारा की गई है। अभी तक कुल 26 पुस्तकें लिखी हैं। इनमें 10 निमाड़ी भाषा में लिखी गई है। जो प्रकाशित भी हो चुकी है। भारत सरकार के प्रति आभार व्यक्त करते हुए जोशिला ने कहा कि निष्पक्ष रूप से योग्य प्रतिभाओं को यह पुरस्कार मिल रहा है, मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित भारत सरकार के प्रति आभार व्यक्त करता हूं। जबकि उनके बेटे नवीन जोशीला और बहु का कहना है कि हमें बहुत बहुत खुशी मिल रही है। यह उनकी तपस्या का फल है। वही बधाई देने पहुंचे ग्रामीणों ने भी देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रति आभार जताया है।

जगदीश जोशीला को पद्मश्री अवार्ड क्यों मिला है?

जगदीश जोशीला को उनके साहित्यिक योगदान, विशेष रूप से निमाड़ी बोली के संरक्षण और प्रचार-प्रसार के लिए पद्मश्री अवार्ड दिया गया है। उन्होंने 26 पुस्तकें लिखी हैं, जिनमें से 10 निमाड़ी भाषा में हैं।

जगदीश जोशीला का साहित्यिक सफर कब शुरू हुआ था?

जगदीश जोशीला ने कक्षा 6 से ही लेखन की शुरुआत की थी और कई वर्षों से निमाड़ी बोली को भाषा का दर्जा दिलाने के लिए संघर्ष कर रहे थे।

पद्मश्री अवार्ड मिलने के बाद जगदीश जोशीला का क्या कहना था?

जगदीश जोशीला ने पद्मश्री अवार्ड मिलने के बाद कहा कि यह पुरस्कार पूरे निमाड़ी समुदाय का है और उन्होंने भारत सरकार के प्रति आभार व्यक्त किया।

जगदीश जोशीला को पद्मश्री अवार्ड कब मिला है?

उन्हें पद्मश्री अवार्ड की घोषणा गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर की गई है, और यह उनके साहित्यिक योगदान के लिए दिया गया है।

जगदीश जोशीला के परिवार का इस पुरस्कार पर क्या कहना है?

उनके परिवार के सदस्य, बेटे नवीन जोशीला और बहू ने कहा कि उन्हें बहुत खुशी हो रही है, यह उनके पिता की मेहनत और तपस्या का फल है।