Gyanvapi Masjid Case MP mandir: यूपी के वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का ASI सर्वे शुरू हो गया है। ASI की टीम ने सुबह 7 बजे ज्ञानवापी परिसर पहुंचकर प्रक्रिया शुरू कर दी है। ASI को 4 अगस्त तक सर्वे की रिपोर्ट वाराणसी की जिला अदालत को सौंपनी है। उधर, मुस्लिम पक्ष ने इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। बता दें इस आदेश के पीछे बड़ा आधार मध्य प्रदेश खंडवा स्थित महादेवगढ़ मंदिर है।
Gyanvapi Masjid Case MP mandir: ज्ञानवापी मामले में याचिकाकर्ताओं के वकील विष्णुशंकर जैन तीन माह पहले खंडवा के इस मंदिर में आये थे और ज्ञानवापी विवाद के संबंध में न्यायालयीन कार्यवाही के तमाम दस्तावेज़ भी लेकर गए थे। उनका मानना था कि जब खंडवा में विवादित स्थल पर मंदिर होने की पुष्टि एएसआई कर सकती है तो ज्ञानवापी में क्यों नहीं? इस बात को लेकर उन्होंने ट्वीट भी किया, जिसके समर्थन में व्यापक प्रतिक्रिया आई।
Gyanvapi Masjid Case MP mandir: दरअसल, खंडवा में बारहवीं सदी का अतिप्राचीन भव्य शिवमंदिर रहा होगा जो कालांतर में जीर्ण-शीर्ण होकर ध्वस्त हो गया। लेकिन इसके अवशेष रखे हुए थे। बारहवीं सदी में बना मंदिर समय के साथ अपना अस्तित्व खो चुका था। खुले आसमान के नीचे चट्टान में उत्कीर्ण शिवलिंग के नजदीक कुछ लोगों ने भैंसों का तबेला बना रखा था। जब इस शिवलिंग के रखरखाव की बात सामने आई तो स्थानीय मुस्लिम नेता मोहम्मद लियाकत पवार ने हाईकोर्ट में याचिका लगा दी। याचिकाकर्ता लियाकत पवार ने बताया कि मंदिर के नाम पर अतिक्रमण किया जा रहा है।
Gyanvapi Masjid Case MP mandir: मामला कोर्ट में पहुंचा, तो जिला प्रशासन से जवाब मांगा गया। जिला प्रशासन ने इसके प्राचीन मंदिर होने का सर्वे पुरातत्व विभाग से करवाया। कार्यालय उपसंचालक पुरातत्व इंदौर के तकनीकी सहायक डॉ. जीपी पांडेय ने जांच के बाद 13 फरवरी साल 2015 को कलेक्टर कार्यालय को जो रिपोर्ट सौंपी। उसके अनुसार नगर के इतवारा बाजार स्थित कुंडलेश्वर महादेव का प्राचीन शिवलिंग 12वीं सदी के होने जिक्र किया।
Gyanvapi Masjid Case MP mandir: पुरातत्व विभाग ने अपनी रिपोर्ट में लिखा कि प्राचीन मंदिर का धार्मिक के अलावा पुरातत्व की दृष्टि से भी बहुत महत्व है। 12वीं और 13वीं सदी में निर्मित प्राचीन अवशेषों में मंदिर के गर्भ गृह में बलुआ प्रस्तर जलाधारी सहित शिवलिंग है। प्राचीन मंदिर का एकमात्र खंबा आज भी अवशेष के रूप में है , जबकि शिवलिंग के कुछ हिस्सों का क्षरण हो चुका है। यह मंदिर शिवलिंग के पास प्राचीन चट्टानों को काटकर जलाधारी बना हुआ है। शिवलिंग के पास प्राचीन खंडित नंदी की प्रतिमा है। नंदी की गर्दन पर मणि माला, पीठ पर और नितंबों पर घंटी के माला का अलंकरण है, जो कि परमारकाल की कलाओं का स्मरण कराता है।
Gyanvapi Masjid Case MP mandir: पुरातत्व विभाग की रिपोर्ट देख कोर्ट ने माना कि यहां प्राचीन मंदिर था। जिला प्रशासन ने लिखा था कि यह भूमि नगर को जल प्रदाय करने वाली कंपनी द्वारा निर्मित बाउंड्री वॉल के भीतर पश्चिम दिशा में स्थित है। इस बाउंड्री वॉल के भीतर एक शिवलिंग और नंदी है, जहां हिन्दू धर्मावलंबी पूजा अर्चना करते हैं। शिवलिंग अस्थाई रूप से टीन और बल्ली से अच्छादित है और इस बाउन्ड्रीवॉल में किसी प्रकार का स्थाई अतिक्रमण नहीं है। तब जाकर विवाद का अंत हुआ। इसके बाद यह मंदिर भव्य आकार लेता गया और अब यहां नियमित पूजा पाठ होता है।
Gyanvapi Masjid Case MP mandir: महादेवगढ़ संरक्षक अशोक पालीवाल के मुताबिक, ज्ञानवापी मस्ज़िद विवादित है। खण्डवा में भी इसी तरह का मामला हुआ था , यहां बारहवीं शताब्दी का अतिप्राचीन मंदिर है। इस पर भी मुस्लिम पक्ष द्वारा याचिका लगाई गई थी कि यहां कोई मंदिर नहीं है। तो एएसआई द्वारा यहां भी कार्बन डेटिंग द्वारा सर्वे किया गया। जिससे सारे तथ्य सामने आये थे। इसी बात को जानकर ज्ञानवापी मामले के वकील विष्णुशंकर को लगी तो वे यहां आये और यहां की रिपोर्ट मांगी। इसी रिपोर्ट को लेकर वे वाराणसी गए अब कोर्ट का फैसला आया है। सर्वे कराये जाने का हमें पूरा विश्वास है कि वहां भी हमारा भोलेनाथ का मंदिर ही निकलेगा।
Gyanvapi Masjid Case MP mandir: इस महादेवगढ़ मंदिर से जुड़े विवाद और इसके निराकरण की जानकारी सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट विष्णुशंकर जैन को लगी, तो वह अप्रैल 2023 में इसे देखने आए और आकर पूरा मामला समझा। विष्णुशंकर जैन वाराणसी के ज्ञानवापी मस्ज़िद में शिवमंदिर होने के मामले में भी याचिककर्ताओं के वकील हैं।
Gyanvapi Masjid Case MP mandir: दरअसल, पहले आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया को सर्वे की अनुमति नहीं मिली थी कि ज्ञानवापी में तोड़फोड़ से मस्ज़िद को नुकसान पहुंच सकता है। लेकिन इसी तरह के मामले में खंडवा के महादेवगढ़ के मामले की नजीर पेश की गई तो इसके बाद यहां साइंटिफिक सर्वे की सशर्त अनुमति दी कि वजू स्थल को छोड़कर बाकी पूरे कैंपस का बिना नुकसान पहुंचाए साइंटिफिक सर्वे किया जाए।
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