ससुर ने संवार दी बहू और दामाद की जिंदगी, करवाया ऐसा काम, जिसे सुनकर कहेंगे, क्या ऐसा भी होता है?

मध्य प्रदेश के खंडवा में हुए एक पुनर्विवाह ने समाज को संदेश देने का काम किया है, जिसमें एक विधवा बहू के लिए सास–ससुर ने पति की तलाश करके उसकी सुनी जिंदगी को संवारने का काम किया है। अपनी बहू को बेटी की तरह विदा किया। इस पुनर्विवाह की सबसे खास बात यह थी कि विधवा बहू और विदुर दामाद के लिए रिश्ता तलाशने से लेकर शादी कराने का जिम्मा दोनों पक्षों की ओर से माता-पिता के बजाए सास-ससुर ने निभाया।Ajab gajab Shadi

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  • Publish Date - November 27, 2022 / 08:20 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:41 PM IST

Ajab gajab Shadi खंडवा:  मध्य प्रदेश के खंडवा में हुए एक पुनर्विवाह ने समाज को संदेश देने का काम किया है, जिसमें एक विधवा बहू के लिए सास–ससुर ने पति की तलाश करके उसकी सुनी जिंदगी को संवारने का काम किया है। अपनी बहू को बेटी की तरह विदा किया। इस पुनर्विवाह की सबसे खास बात यह थी कि विधवा बहू और विदुर दामाद के लिए रिश्ता तलाशने से लेकर शादी कराने का जिम्मा दोनों पक्षों की ओर से माता-पिता के बजाए सास-ससुर ने निभाया।

बहू के सास-ससुर ने बेटी मानकर और दामाद के सास-ससुर ने बेटा मानकर दोनों की शादी करवाई। इस जोड़े ने शादी के कुछ साल बाद ही अपने-अपने जीवनसाथी को खो दिया था। खंडवा में एक पुनर्विवाह हुआ जो अपनेआप में अनूठा था। खरगोन निवासी रामचंद्र राठौर और गायत्री राठौर के बेटे अभिषेक का पांच साल पहले हार्टअटैक से निधन हो गया था।

इससे बहू मोनिका और सात साल की पोती दिव्यांशी उदास रहने लगी। इनकी परेशानी देखकर सास-ससुर ने तमाम सामाजिक बंधनों को तोड़ बहू का पुनर्विवाह कराने का मन बनाया। आखिरकार पांच साल की मेहनत काम आई और उन्होंने अपनी बहू के लिए वर तलाश लिया। खंडवा निवासी दिनेश की वर के रूप में तलाश पूरी हुई, उनका रिश्ता भी माता-पिता ने नहीं बल्कि सास-ससुर ने ही तय किया। दिनेश की पत्नी समिता का कोरोना में निधन हो गया था।

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दिनेश की दो बेटियां हैं, इसलिए इन बेटियों के भविष्य की खातिर दिनेश की सास शकुंतला राठौर और ससुर मोहनलाल राठौर को दामाद के लिए बहू की तलाश थी, जो पूरी हुई। खंडवा के गायत्री मंदिर में गायत्री पद्धति से जिला न्यायालय में स्टेनो दिनेश और मोनिका का पुनर्विवाह संपन्न कराया गया। सास-ससुर बोले- जीवन लंबा है, दूसरा विवाह कर लो। दिनेश बताते हैं, कि पिछले साल कोरोना से पत्नी के निधन के बाद गहरा सदमा लगा था।

Ajab gajab Shadi इसके बाद ससुराल वालों ने पुनर्विवाह को लेकर मुझसे चर्चा की। निश्चित रूप से पुनर्विवाह के पहले तमाम तरह की बातें ध्यान में आईं। लेकिन हमने समाज को संदेश देने का फैसला किया। बच्चों के भविष्य की भी चिंता थी। मेरे सास-ससुर ने कहा जीवन लंबा है, दूसरा विवाह कर लो। उन्हीं ने हमारे लिए जीवनसाथी कि तलाश की। बहू को बेटी बनाकर लाया था लेकिन पिता विवाह के बाद बना।

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ससुर से पिता बने रामचंद्र राठौर कहते हैं कि कन्यादान के समय मेरे समधी ने मुझसे कहा था कि मेरी बेटी की जिम्मेदारी अब आपकी है। जब शादी के तीन साल बाद मेरे बेटे अभिषेक का निधन हुआ तो बहू मोनिका की हालत देखकर मैं सहम जाता था। उस समय मुझे मेरे समधी के कन्यादान के समय कहे शब्द जेहन में आए। उसी दिन मैंने तय कर लिया कि बहू के जीवन से खिलवाड़ नहीं कर सकता।

उसका पुनर्विवाह करवाकर रहूंगा। पांच साल की मशक्कत के बाद योग्य वर ढूंढने में कामयाब रहा। अब मोनिका इस घर में बहू की तरह नहीं बेटी की तरह आएगी