कटनी: Girls Left School after 8th standard केंद्र और राज्य की सरकार बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ पर जोर दे रही है। लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि कटनी शहर से महज 10 किलोमीटर दूर एक गांव ऐसा है, जहां 8वीं के बाद बेटियां पढ़ाई ही नहीं करती। हैरानी की बात ये है कि यहां की लड़कियां 8वीं के बाद पढ़ाई इसलिए नहीं करतीं क्योंकि उन्हें छेड़छाड़ और अनहोनी का डर है। विश्वगुरु बनने की बात करने वाले भारत देश के लिए ये बेहद ही चिंताजनक विषय है कि गांव की बेटियां आज भी डरकर पढ़ाई छोड़ रहीं हैं।
Girls Left School after 8th standard दरअसल मामला कटनी जिले से महज 10 किलोमीटर दूर स्थित ग्राम घिनौनी का है, जहां 8वीं तक का सरकारी स्कूल है। 8वीं के बाद हाई स्कूल की पढ़ाई के लिए यहां की बच्चों को 7 किलोमीटर दूर जाना पड़ता है। गांव से शहर तक जाने के लिए दो रास्ते हैं, लेकिन दोनों की स्कूली बच्चों के लिए सुरक्षित नहीं है। एक रास्ता इतना खराब है कि उसमें चलना भी मुश्किल है, जिसके चलते बहुत ही कम लोग इस रास्ते से जाना पसंद करते हैं।
वहीं, घिनौनी गांव से शहर और स्कूल जाने के लिए दूसरा घने जंगल से होकर गुजरता है। जंगल से होकर गुजरने वाला ये रास्ता बेहद सुनसान रहता है, जिसका फायदा मनचले और बदमाश उठाते हैं। इस रास्ते से स्कूल जाने वाली कई छात्राओं के साथ पहले भी छेड़छाड़ हो चुका है। इसी बात के डर से ग्रामीण अपनी बेटियों को 8वीं के बाद पढ़ने के लिए गांव से बाहर नहीं भेजना चाहते। इससे ग्रामीण बेटियों की सुरक्षा को लेकर फिक्रमंद है। ऐसे में मजबूरी में परिजन बेटियों की आगे की पढ़ाई नहीं करवाकर हाथ पीले करवा रहे हैं।
जी हां, घिनौनी गांव में 8वीं तक की पढ़ाई होती है, लेकिन उसके बाद बेटियां स्कूल नहीं जातीं, क्योंकि उनके पास स्कूल जाने के लिए सुरक्षित रास्ता नहीं है।
बेटियों को पढ़ाई छोड़ने के मुख्य कारण सुरक्षा की चिंता और स्कूल जाने के रास्तों की हालत है। गांव से हाई स्कूल जाने के लिए बेटियों को 7 किलोमीटर दूर जाना पड़ता है, लेकिन रास्ते असुरक्षित हैं और कई बार छेड़छाड़ की घटनाएं हो चुकी हैं।
सरकार बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ योजना पर जोर दे रही है, लेकिन घिनौनी गांव जैसे स्थानों पर सुरक्षा की स्थिति को बेहतर बनाने की आवश्यकता है, ताकि बेटियों को अपनी पढ़ाई जारी रखने में कोई डर न हो।
फिलहाल इस गांव में कोई सुरक्षित विकल्प नहीं है, जिसके कारण ग्रामीण अपनी बेटियों को आगे की पढ़ाई के लिए बाहर नहीं भेजते और उन्हें जल्दी शादी के लिए मजबूर कर देते हैं।
अगर सरकार और स्थानीय प्रशासन इस क्षेत्र में बेहतर सड़क निर्माण और सुरक्षा इंतजामों पर ध्यान दें, तो बेटियां अपनी पढ़ाई जारी रख सकती हैं और इस समस्या का समाधान हो सकता है।