Pachmatha Mandir Jabalpur: मध्यप्रदेश में स्थित धन की देवी लक्ष्मी का 11 सौ साल पुराना ये मंदिर.. दिन में 3 बार रंग बदलती हैं माता

Pachmatha Laxmi Mandir: मध्यप्रदेश में स्थित धन की देवी लक्ष्मी का 11 सौ साल पुराना ये मंदिर.. दिन में 3 बार रंग बदलती हैं माता

  • Reported By: Vijendra Pandey

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  • Publish Date - October 26, 2024 / 07:56 PM IST,
    Updated On - October 26, 2024 / 07:58 PM IST

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Pachmatha Mandir Jabalpur: जबलपुर। जीवन में रौशनी और उमंग भर देने वाला दीपावली का त्यौहार आ गया है। दिवाली पर माता लक्ष्मी की विशेष पूजा की जाती है। कहते हैं कि अगर धन की देवी लक्ष्मी प्रसन्न हो जाएं तो जीवन में सुख और समृद्धि आ ही जाती है। यूं तो भारत में माता लक्ष्मी के कई प्रसिद्ध मंदिर है। लेकिन, जबलपुर में महालक्ष्मी का ऐसा मन्दिर है जहां देवी की मूर्ति दिन में 3 बार रंग बदलती है। आइए आपको भी बताते हैं, 1100 वर्ष पुराने जबलपुर के पचमठा सिद्ध महालक्ष्मी मंदिर के इतिहास के बारे में…

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संस्कारधानी जबलपुर में महालक्ष्मी का ये मंदिर आधारताल इलाके में स्थित है। ये सिद्ध महालक्ष्मी मंदिर पचमठा के नाम से प्रसिद्ध है। पांच गुंबद की रचना के आधार पर इस मंदिर को पचमठा मंदिर कहा जाता है। ये वर्गाकार मंदिर अष्ट फलक पर निर्मित है यानी कि आठ स्तंभों पर यह पूरा मंदिर टिका हुआ है। कहा जाता है यह मंदिर अष्ट फ़लकों यानी कमल की आकृति पर बना हुआ है। गर्भ ग्रह के चारों ओर परिक्रमा का मैग बना हुआ है। यह इकलौता ऐसा मंदिर है, जिसकी चारों दिशाओं में मुख्य द्वार बने हुए हैं।

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मंदिर के अंदर श्री यंत्र की आकृति स्पष्ट नजर आती है। इस मंदिर का निर्माण श्री यंत्र के आधार पर ही किया गया है। मंदिर में 12 राशियों को प्रदर्शित करते हुए स्तंभ बनाए गए हैं, और साथ ही 9 ग्रह भी विराजमान हैं। इस मंदिर का निर्माण 1100 साल पहले गोंडवाना राजवंश की रानी दुर्गावती के सेनापति रहे दीवान अधार सिंह के नाम से बने अधारताल तालाब के पास करवाया गया था। इस मंदिर में मां लक्ष्मी के साथ अन्‍य देवी-देवताओं की भी मूर्तियां स्थापित है।

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पचमठा मंदिर तंत्र साधना के लिए भी प्रसिद्ध है। आपको जानकर हैरानी जरूर होगी, लेकिन इस मंदिर में विराजी मां लक्ष्मी की प्रतिमा दिन में तीन बार रंग बदलती है। सुबह प्रतिमा का रंग सफेद, दोपहर को पीला और शाम को नीला हो जाता है। रोज सुबह सूर्योदय होने पर सूरज की पहली किरण माता लक्ष्मी के चरणों का अभिषेक करती है। महालक्ष्मी का यह मंदिर कई रहस्यों को भी समेटे हुए है।

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कहते हैं कि मुगल बादशाह औरंगजेब ने इस मंदिर पर भी आक्रमण किया था। मुगल सैनिकों ने मंदिर के चारों ओर बनी योगनियां तो खंडित कर दीं, लेकिन वो महालक्ष्मी की प्रतिमा को नुकसान नहीं पहुंचा पाए। इस मंदिर में दीपावली पर्व पर माता लक्ष्मी की विशेष पूजा होती है। मान्यता ये भी है कि, जो भी श्रद्धालु यहां 7 शुक्रवार सच्चे मन से आकर पूजा करता हैं उसे धन धान्य तो मिलता ही है, साथ ही उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है।

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