(रिपोर्टः सुधीर दंडोतिया) भोपालः हाल ही में हुए यूपी समेत 5 राज्यों के विधानसभा चुनाव में पीएम मोदी ने चुनावी रैली में डबल इंजन की सरकार का नारा खूब बुलंद किया। आज जब बीजेपी अपना 42वां स्थापना दिवस मना रही है तो प्रधानमंत्री ने एक बार फिर डबल इंजन सरकार का जिक्र करते हुए इसे लोगों की प्राथमकिता बताया? मोदी के बयान के बाद एक बार फिर बहस छिड़ गई है कि क्या वाकई राज्यों में विकास के लिए डबल इंजन की सरकार जरूरी है?
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बीजेपी के 42वें स्थापना दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए एक बार फिर डबल इंजन की सरकार का जिक्र किया। डबल इंजन यानी जिस पार्टी की केंद्र में सरकार उसी पार्टी की राज्य में सरकार। बीते 8 साल में मध्यप्रदेश में उन राज्यों में शामिल रहा है जिसने केंद्र की योजनाओं का न केवल बखूबी लाभ उठाया है बल्कि केंद्र सरकार के सहयोग से प्रदेश के विकास के लिए नयी योजनाएं बनाकर क्रियान्वयन भी बेहतर तरीके से किया है।
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बीजेपी नेता जहां डबल इंजन की सरकार के फायदे गिना रहे हैं तो दूसरी ओर कांग्रेस ये सवाल उठाने में पीछे नहीं है कि केंद्र की योजनाओँ के मिले सहारे के बावजूद डबल इंजन सरकार एमपी में फेल है।
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यूं तो डबल इंजन की सरकार चुनावी जुमला कहा जाता है। लेकिन मोदी और शिवराज सरकार की जुगलबंदी ने इस जुमले को साकार करने का भी काम किया है। शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में प्रधानमंत्री आवास योजना हो, सालों पुरानी केन-बेतवा परियोजना पर तेजी से काम या फिर स्वनिधि योजना के तहत बैंकों से ब्याज रहित ऋण दिलाने में मध्यप्रदेश अग्रणी राज्य है। जिस तरह से प्रदेश को केंद्र की योजनाओं का लाभ मिला है। उससे ये तो साफ है कि डबल इंजन की सरकार के कई फायदे है। यही वजह है कि मिशन 2023 में जुटी बीजेपी एक बार फिर डबल इंजन के सहारे चुनावी कैंपेन चलाने की तैयारी में है।