(रिपोर्टः सुधीर दंडोतिया) भोपालः भगवान परशुराम की जयंती के मौके पर सीएम शिवराज ने दुष्टों को सीधा संदेश देते हुए कहा है कि दुष्टों को कुचलने का वक्त आ गया है। क्योंकि कोर्ट कचहरी के चक्कर में उनको ज़मानत मिल जाती है। ऐसे में सज्जनता से काम नहीं चलने वाला। इस बयान के राजनीतिक मयाने तो यही निकल रहे हैं कि क्या ये एमपी में सियासत का नया चलन है और ये दुष्ट कौन है? इनको कैसे सबक सिखाया जाएगा।
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इसके साथ ही बीजेपी ने भगवान परशुराम की मर्ति के अनावरण के मौके पर बहाम्णों को साधने के लिए उन्हें अपना राजनीतिक मार्गदर्शक बताया और परशुराम के जीवन को पाठ्यक्रम में भी शामिल करने की बात भी कही है। हालांकि कांग्रेस ने इस मौके पर कहा है कि याचना करने के बाद अगर कुछ मिले तो ये अपमान है। बहरहाल अब यहां सवाल ये उठता है कि क्या इन प्रतीकों के ज़रिए बीजेपी अपनी 2023 की स्क्रिप्ट तैयार कर रही है। क्या इन प्रतीकों के ज़रिए बीजेपी एक बड़े वर्ग को अपने पाले में लाने की कोशिश कर रही है?