महू। इंदौर के पास महू से एक चौंकाने वाली खबर सामने आई है। महू के हरनियाखेड़ी ग्राम में एक बंदर की शवयात्रा निकाली गई। बंदर की पिछ्ले दिनों मौत हों गई थी। ऐसे में हिंदू रीति-रिवाज के अनुसार बंदर का अंतिम संस्कार किया गया। स्थानीय लोगों ने पूरे धार्मिक रीति-रिवाज से बंदर का अंतिम संस्कार किया। यहां लोगों ने केश दान किए और बंदर की अस्थि विसर्जन करने के लिए विधि विधान पूर्वक ओंकारेश्वर लेजाया गया।
शहर के समीप आने वाले ग्राम हरनीयाखेडी में एक वनराज की मौत होने के बाद स्थानीय लोगों ने अंतिम यात्रा निकाली गई। इस अंतिम यात्रा में पूरा गांव ही उमड़ पड़ा। वहीं, अंतिम यात्रा में गांव की महिलाए भी शामिल हुई। ग्राम हरनियाखेड़ी के निवासी भारत पटेल ने बताया की एक वानर राज मेरे घर की छत पर आकर बैठ गए। मैने उनसे घर के अंदर आने को कहा तो वे अंदर आगये जिसके बाद दो दिन तक वह बंदर घर पर ही रहे। 21 जुलाई की रात उस बन्दर की मृत्यु हो गई थी, जिसको देखते हुए सभी ग्रामीणों को बताया। फिर सभी ने तय किया की वानर स्वरुप बंदर की शव यात्रा निकाली जाए।
सभी ने मिलकर पूजा अर्चना कर हनुमान मंदिर पर हनुमान चालीसा का पाठ किया और बैंड-बाजो के साथ ग्राम में जुलूस के रूप में भ्रमण कर बंदर का अंतिम संस्कार किया। इस दौरान बंदर की शव यात्रा में बड़ी संख्या में ग्रामीण शामिल हुए और जय श्रीराम के नारे लगाते हुए भी नजर आए। विधि विधान से वानर राज का अंतिम संस्कार हुआ।
गौरतलब है की आज सोमवार के दिन सभी ग्राम वासी मुक्तिधाम पहुंचे और रीतिरिवाज अनुसार आस्तिकलश एकत्रित किया और अपने केश दान कर धुप ध्यान करते हुवे बालाजी महाराज को याद किया। इसके बाद सभी ग्रामवासी अस्थिकलश लेकर विसर्जन करने के लिए ओंकारेश्वर के लिए रवाना हो गए। ग्रामीणों ने बताया की हम पुरे विधिविधान के साथ 12 दिन का शोक व्यक्त कर अंतिम दिन भंडारे का आयोजन किया जाएगा, जिससे की बालाजी महाराज की कृपा सभी ग्राम वासियो पर बनी रहे। IBC24 से राजेंद्र चौहान की रिपोर्ट