Covid-19 Positive Case: एक बार फिर कोरोना ने दी दस्तक, इस जिले में मिले 2 पॉजिटिव मरीज, स्वास्थ्य विभाग की बढ़ी चिंता

Covid-19 Positive Case: एक बार फिर कोरोना ने दी दस्तक, इस जिले में मिले 2 पॉजिटिव मरीज, स्वास्थ्य विभाग की बढ़ी चिंता

  • Reported By: Niharika sharma

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  • Publish Date - August 7, 2024 / 03:18 PM IST,
    Updated On - August 7, 2024 / 03:52 PM IST

इंदौर। Covid-19 Positive Case: शहर में एक बार फिर कोरोना ने दस्तक दी है। कोरोना के फिर नए मरीज सामने आ रहे हैं, जिसने स्वास्थ्य विभाग की चिंता बढ़ा दी है। हाल ही में इंदौर में तीन नए मरीज मिले थे, जिसके बाद से लोगों को फिर कोरोना का डर सताने लगा है। हालाँकि जुलाई से लेकर अब तक कोरोना के सात मरीज मिल चुके हैं। इसका कारण मौसम परिवर्तन बताया जा रहा है। नए मामलों में एक पुरुष और एक महिला हैं जिनकी हालत खतरे से बहार है। बता दें कि पुरुष मरीज का होम आइसोलेशन में इलाज चल रहा है, जबकि महिला निजी अस्पताल में भर्ती है।

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सीएमएचओ डॉक्टर भूरे सिंह सेतिया के मुताबिक, खंडवा रोड निवासी 44 वर्षीय पुरुष और वैशाली नगर की 60 वर्षीय महिला पोसिटिव मिली है। कल तक यह समझा नहीं जा पा रहा था कि इनका इलाज किस तरह से किया जाए और कहां किया जाए, लेकिन अब स्वास्थ्य विभाग ने इस मामले में फैसला लेकर दोनों का इलाज शुरू कर दिया है। पुरुष ने कोरोना के लक्षण दिखने के बाद निजी प्रयोगशाला में परीक्षण कराया था। वहीं महिला विशेष जुपिटर अस्पताल में इलाज के दौरान पाजिटिव पाई गई थी। उसे सांस संबंधी समस्या होने के बाद भर्ती कराया था। शहर में प्रचलित वायरस के वैरिएंट के बारे में जानने के लिए इन रोगियों के सैंपल के लिए एम्स भोपाल भेजा गया है।

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Covid-19 Positive Case: स्वास्थ्य विभाग की टीम ने इन मरीजों के स्वजन से भी संपर्क कर उनके स्वास्थ्य की जानकारी ली है। हैरानी की बात है कि दो वर्ष से रखी जीनोम सिक्वेंसिंग मशीन अब तक शुरू नहीं  है। बता दें कि दो वर्ष पहले एमजीएम मेडिकल कालेज में जीनोम सिक्वेंसिंग मशीन आई थी, ताकि कोरोना सहित अन्य वायरस के विभिन्न वैरिएंट का पता लगाया जा सके। लेकिन इसकी सुविधा मिलना शुरू नहीं हो पाई है। पहले जिम्मेदार डॉक्टरों की ट्रेनिंग का हवाला देते हुए इसे संचालित नहीं होना बताते थे। लेकिन छ: माह पूर्व पुणे से डॉक्टर ट्रेनिंग देकर जा चुके हैं। बावजूद मशीन शुरू नहीं हुई। जिम्मेदार इसका कारण उपकरणों की कमी बताते हैं। अभी भी वैरिएंट की जांच के लिए सैंपल भोपाल भेजने पड़ते हैं। यहां से समय पर रिपोर्ट नहीं मिल पाती है।

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