Reported By: Niharika sharma
,MP Liver Donation: इंदौर। मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय की इंदौर पीठ ने लीवर (यकृत) की गंभीर बीमारी से जूझ रहे एक किसान को गुरुवार को इस बात की मंजूरी दी कि वह प्रतिरोपण सर्जरी के लिए अपनी 17 वर्षीय बेटी से इस अंग का हिस्सा दान में ले सकता है। एमजीएम हॉस्पिटल और प्रदेश शासन के बाद अब कोर्ट ने भी हरी झंडी दिखा दी है। बता दें कि देश में दूसरा और प्रदेश में पहला यह केस होगा। फिलहाल, एमजीएम कॉलेज ने ट्रांसप्लांट की तैयारी शुरू कर दी है।
दरअसल, इंदौर के ग्रामीण क्षेत्र में खेती-किसानी करने वाले शिवनारायण बाथम ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर करके गुहार लगाई थी, कि उनकी 17 वर्षीय बेटी उन्हें अपने लीवर का हिस्सा दान करने को तैयार है और उन्हें प्रतिरोपण की अनुमति दी जाए। उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति विशाल मिश्रा के सामने याचिका पर सुनवाई के दौरान शासकीय वकील ने अदालत को बताया कि राज्य सरकार की ओर से गठित चिकित्सकीय बोर्ड ने नाबालिग लड़की की स्वास्थ्य जांच के बाद पाया है कि वह अपने बीमार पिता को लीवर का हिस्सा दान कर सकती है।
अदालत ने चिकित्सकीय बोर्ड की इस रिपोर्ट के मद्देनजर बाथम की याचिका मंजूर कर ली। एकल पीठ ने यह ताकीद भी की कि लीवर प्रतिरोपण की प्रक्रिया तमाम एहतियात बरतते हुए जल्द से जल्द पूरी की जाए। बाथम के वकील निलेश मनोरे ने बताया कि पिछले छह साल से लीवर की गंभीर बीमारी से जूझ रहे उनके मुवक्किल शहर के एक निजी अस्पताल में भर्ती हैं। वकील ने बताया कि उनके मुवक्किल की पांच बेटियां हैं और उन्हें अपने लीवर का हिस्सा दान करने की इच्छा जताने वाली बेटी उनकी सबसे बड़ी संतान है।
वकील ने बताया कि प्रीति 31 जुलाई को 18 साल की हो जाएगी और उसके पिता शिवनारायण बाथम 80 साल के हैं, जबकि उनकी पत्नी मधुमेह की मरीज हैं। इसलिए उनकी बेटी उन्हें लीवर का हिस्सा दान करने के लिए आगे आई ताकि वह अपने बीमार पिता की जान बचा सके।’’ नाबालिग के पिता शिवनारायण बाथम ने कहा, कि ‘मुझे अपनी बेटी पर गर्व है’।