साफ-सफाई का ‘दुष्प्रभाव’: देश के सबसे स्वच्छ शहर इंदौर में भूख के कारण हिंसक हो रहे आवारा कुत्ते

साफ-सफाई का ‘दुष्प्रभाव’: देश के सबसे स्वच्छ शहर इंदौर में भूख के कारण हिंसक हो रहे आवारा कुत्ते

साफ-सफाई का ‘दुष्प्रभाव’: देश के सबसे स्वच्छ शहर इंदौर में भूख के कारण हिंसक हो रहे आवारा कुत्ते
Modified Date: April 1, 2025 / 04:00 pm IST
Published Date: April 1, 2025 4:00 pm IST

इंदौर (मध्यप्रदेश), एक अप्रैल (भाषा) देश के सबसे स्वच्छ शहर इंदौर में साफ-सफाई का एक ‘दुष्प्रभाव’’ करीब ढाई लाख आवारा कुत्तों के लिए भोजन के संकट के तौर पर सामने आया है। जानकारों के मुताबिक, भोजन की यह समस्या इन जानवरों के हिंसक स्वभाव की प्रमुख वजहों में शुमार है।

यह बात ऐसे वक्त सामने आई है, जब शहर में आवारा कुत्तों के लोगों को काटने की बढ़ती घटनाओं के बीच स्थानीय प्रशासन इन जानवरों की नसबंदी के अब तक के सबसे बड़े अभियान की तैयारी में जुटा है।

अधिकारियों ने मंगलवार को बताया कि प्रशासन ने तय किया है कि शहर में आवारा कुत्तों की नसबंदी के लिए छह महीने का विशेष अभियान चलाया जाएगा ताकि उनकी तादाद को नियंत्रित किया जा सके।

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नगर निगम में पशु जन्म नियंत्रण (एबीसी) कार्यक्रम के प्रभारी डॉ. उत्तम यादव ने ‘‘पीटीआई-भाषा’’ को बताया,‘‘शहर में आम तौर पर हर रोज 30 से 35 आवारा कुत्तों की नसबंदी होती है। हमने इस संख्या को बढ़ाकर 90 पर पहुंचाने का लक्ष्य तय किया है। इसके लिए मानव संसाधन और अन्य सुविधाओं में इजाफा किया जा रहा है।’’ यादव ने माना कि भूख के कारण शहर के आवारा कुत्ते चिड़चिड़े हो रहे हैं।

उन्होंने कहा,‘‘कुछ बरसों पहले शहर में कचरा यहां-वहां पड़ा रहता था और बड़ी कचरा पेटियां भी रखी होती थीं। आवारा कुत्ते इनमें अपना भोजन ढूंढ़ लेते थे, लेकिन अब शहर में कचरा पेटियां नहीं हैं और नगर निगम की गाड़ियों से हर घर और प्रतिष्ठान से कचरा जमा किया जाता है। इससे आवारा कुत्तों को आसानी से भोजन नहीं मिल पा रहा है।’’

एबीसी कार्यक्रम के प्रभारी ने कहा कि आवारा कुत्तों को भोजन की तलाश में अपना इलाका छोड़कर दूसरे इलाकों में जाना पड़ता है जिससे अन्य कुत्तों के साथ उनके हिंसक संघर्ष होते हैं और कई बार इससे तनावग्रस्त होकर भूखे कुत्ते आम लोगों को काट लेते हैं।

यादव ने कहा कि कोविड-19 के प्रकोप के चलते हुई तालाबंदी के दौरान स्थानीय प्रशासन ने आवारा कुत्तों के लिए भोजन का इंतजाम किया था, लेकिन अब शहर में ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है।

उन्होंने कहा,‘‘हमने आवारा कुत्तों को भोजन बांटने के लिए कुछ गैर सरकारी संगठनों और पशुप्रेमियों को अधिकृत करते हुए उन्हें ‘फीडर कार्ड’ बांटे हैं ताकि इन जानवरों को खाना मिलता रहे और भूख के कारण उनमें चिड़चिड़ाहट कम हो।’’

यादव ने मोटा अनुमान जताया कि नगर निगम सीमा में करीब ढाई लाख आवारा कुत्ते हैं। पशुहितैषी संगठन ‘‘पीपुल फॉर एनिमल्स’’ की इंदौर इकाई की अध्यक्ष प्रियांशु जैन ने कहा कि देश के सबसे स्वच्छ शहर में आवारा कुत्तों के लिए भोजन और पीने के पानी का संकट पैदा हो गया है जो गर्मियों के मौसम में बढ़ जाता है।

उन्होंने कहा,‘‘शहर में आवारा कुत्तों को खाना खिलाने का काम आसान नहीं है। कई लोग पशुप्रेमियों से इस बात को लेकर झगड़ा करते हैं कि उनके घर के सामने आवारा कुत्तों को खाना क्यों खिलाया जा रहा है?’’

जैन ने कहा कि उनके संगठन ने नगर निगम को सुझाव दिया है कि शहर के 50 चिह्नित स्थानों पर आवारा कुत्तों के लिए भोजन और पानी का नियमित इंतजाम किया जाए ताकि भूख-प्यास से जूझते इन जानवरों की चिड़चिड़ाहट को कम किया जा सके।

उन्होंने बताया,‘‘कई लोग आवारा कुत्तों को जान-बूझकर चोट पहुंचाते हैं और उन्हें जान से भी मार देते हैं। यह सब देखकर भी कुत्ते आक्रामक हो जाते हैं। हम शहर में आवारा कुत्तों के साथ लोगों के हिंसक बर्ताव को लेकर अब तक करीब 160 प्राथमिकी दर्ज करा चुके हैं।’’

इंदौर, राष्ट्रीय स्वच्छता सर्वेक्षण में लगातार सात बार अव्वल रहा है। मध्यप्रदेश की आर्थिक राजधानी कहलाने वाला यह शहर वर्ष 2024 के जारी स्वच्छता सर्वेक्षण में ‘सुपर स्वच्छ लीग’ की दौड़ में है। इस लीग को स्वच्छता में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले शहरों के बीच अलग से मुकाबले के लिए पहली बार पेश किया गया है।

‘सुपर स्वच्छ लीग’ में इंदौर को नवी मुंबई और सूरत के साथ 10 लाख से ज्यादा की आबादी वाले शहरों की श्रेणी में रखा गया है।

भाषा हर्ष नरेश संतोष

संतोष


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