मप्र : ताजमहल और कछुए से प्रेरणा लेकर आईआईटी ने बनाए पर्यावरण हितैषी जियोग्रिड

मप्र : ताजमहल और कछुए से प्रेरणा लेकर आईआईटी ने बनाए पर्यावरण हितैषी जियोग्रिड

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  • Publish Date - September 24, 2024 / 06:46 PM IST,
    Updated On - September 24, 2024 / 06:46 PM IST

इंदौर, 24 सितंबर (भाषा) इंदौर और हैदराबाद के भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (आईआईटी) ने मिलकर दो खास जियोग्रिड विकसित किए हैं। आईआईटी इंदौर के एक अधिकारी ने मंगलवार को यह जानकारी दी।

अधिकारी ने बताया कि ये जियोग्रिड आगरा के मशहूर ताजमहल की वास्तुकला और देश के ‘‘स्टार’’ प्रजाति के कछुए की खोल के पैटर्न से प्रेरणा लेकर तैयार किए गए हैं जिनके इस्तेमाल से पर्यावरण हितैषी निर्माण कार्य को बल मिलेगा।

जियोग्रिड, एक जियोसिंथेटिक वस्तु होती है जिसका उपयोग निर्माण कार्य के दौरान मिट्टी और इस तरह की सामग्रियों को सुदृढ़ करने के लिए किया जाता है। अधिकारी ने बताया कि इंदौर और हैदराबाद के आईआईटी के विकसित जियोग्रिड को ‘‘मल्टीएक्सियल डायमंड एंकर्ड ऑक्टेगनल जियोग्रिड’’ और ‘‘मल्टीएक्सियल कोसेंट्रिक ऑक्टेगनल जियोग्रिड’ नाम दिया गया है। जियोग्रिड का विकास करने वाले अनुसंधान दल में आईआईटी इंदौर के डॉ. बाडिगा रामू और आईआईटी हैदराबाद के प्रोफेसर उमाशंकर बालूनैनी शामिल थे।

आईआईटी इंदौर के निदेशक प्रोफेसर सुहास जोशी ने कहा,“इन जियोग्रिड की नवाचारी तकनीक संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों के प्रति भारत की प्रतिबद्धता के अनुरूप है। यह तकनीक जलवायु परिवर्तन, संसाधनों की कमी और अपशिष्ट प्रबंधन की समस्याओं का समाधान भी करती है।’’

आईआईटी इंदौर के एक अन्य अधिकारी ने बताया कि इन जियोग्रिड का इस्तेमाल सिविल इंजीनियरिंग के अलग-अलग कामों में किया जा सकता है जिनमें फुटपाथ से लेकर राजमार्गों, हवाई अड्डे के रनवे और रेल पटरियों का निर्माण कार्य शामिल है।

अधिकारी ने बताया कि सुरंग निर्माण और भूमिगत खनन के कामों के साथ ही नदी के तटों की सुरक्षा और मिट्टी के कटाव को नियंत्रित करने में भी इन जियोग्रिड की मदद ली जा सकती है।

उन्होंने बताया कि इन जियोग्रिड का निर्माण उपयोग किए गए प्लास्टिक या कबाड़ की रिसाइकलिंग करके भी किया जा सकता है।

भाषा हर्ष जितेंद्र

जितेंद्र