इंदौर, 21 जनवरी (भाषा) मध्यप्रदेश के पीथमपुर की एक अपशिष्ट निपटान इकाई में भोपाल के यूनियन कार्बाइड कारखाने के 337 टन कचरे के सुरक्षित निपटान के पक्के इंतजामों का भरोसा दिलाते हुए प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने मंगलवार को घोषणा की कि इस कचरे को नष्ट किये जाने की प्रक्रिया की शुरुआत के वक्त वह खुद मौके पर मौजूद रहेंगे।
भोपाल में दो और तीन दिसंबर 1984 की दरम्यानी रात यूनियन कार्बाइड कारखाने से अत्यधिक जहरीली मिथाइल आइसोसाइनेट (एमआईसी) गैस का रिसाव हुआ था। इससे कम से कम 5,479 लोग मारे गए थे और हजारों लोग अपंग हो गए थे। इसे दुनिया की सबसे बड़ी औद्योगिक आपदाओं में से एक माना जाता है।
भोपाल के यूनियन कार्बाइड कारखाने का 337 टन कचरा दो जनवरी को पीथमपुर में एक निजी कंपनी की संचालित अपशिष्ट निपटान इकाई लाया गया था। इसके बाद पीथमपुर में हिंसक विरोध प्रदर्शन हुए थे। इंदौर के पास स्थित इस औद्योगिक क्षेत्र में हालात फिलहाल शांतिपूर्ण है।
मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने छह जनवरी को राज्य सरकार को निर्देश दिया था कि वह यूनियन कार्बाइड कारखाने के कचरे के निपटान के लिए सुरक्षा दिशानिर्देशों का पालन करते हुए छह सप्ताह के भीतर कदम उठाए।
इंदौर संभाग के आयुक्त (राजस्व) दीपक सिंह ने संवाददाताओं से कहा कि उन्हें व्यक्तिगत रूप से विश्वास है कि पीथमपुर की अपशिष्ट निपटान इकाई में भोपाल के यूनियन कार्बाइड के कचरे का पूरी तरह सुरक्षित तरीके से निपटान किया जाएगा।
सिंह ने कहा,‘‘जिस दिन भी इस कचरे के निपटान का कार्य शुरू होगा, मैं इस इकाई में बनाए गए कैम्प (अस्थायी) दफ्तर में ही बैठूंगा ताकि आम लोगों को इस प्रक्रिया के सुरक्षित होने का विश्वास हो सके।’’
इससे पहले, सिंह की अगुवाई में आयोजित ‘‘जन संवाद’’ कार्यक्रम के दौरान सरकारी अधिकारियों ने यूनियन कार्बाइड कचरे के निपटान की योजना को लेकर शहर के चिकित्सा जगत के लोगों से सीधी बातचीत की और उनके सवालों का जवाब दिया।
कार्यक्रम के दौरान धार के जिलाधिकारी प्रियंक मिश्रा ने इन आशंकाओं को सरासर तथ्यहीन बताया कि पीथमपुर की अपशिष्ट निपटान इकाई में यूनियन कार्बाइड का कचरा नष्ट किए जाने पर इस औद्योगिक कस्बे के साथ ही इंदौर के नागरिकों में कैंसर का खतरा बढ़ सकता है।
उन्होंने कहा,‘‘हम पीथमपुर में यूनियन कार्बाइड कचरे के निपटान की योजना को लेकर उद्योग जगत, शिक्षा जगत और अन्य क्षेत्रों के लोगों के साथ बैठकें करके जन मानस की भ्रांतियां दूर कर रहे हैं।’
भाषा हर्ष
राजकुमार
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