Hinglaj Mata Mandir Chhindwara: छिंदवाड़ा। आज का भारत राजनीतिक तौर पर कई सीमाओं में बंट गया है पर हज़ारों वर्षों से सांस्कृतिक तौर पर काबुल से लेकर ढाका तक और कोलंबो से लेकर श्रीनगर भारत एक रहा है। यही वजह है कि शक्ति के विविध रूप दूसरे देशों में भी मौजूद हैं। आज का पाकिस्तान भी कल भारत का ही हिस्सा था यहां के बलूचिस्तान सूबे में देवी हिंगलाज का विश्वप्रसिद्ध शक्तिपीठ स्थापित है। वहीं, मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा में भी देवी हिंगलाज का शक्तिपीठ स्थापित है।
छिंदवाड़ा जिला मुख्यालय से करीब 35 किमी दूर उमरेठ थाना क्षेत्र के अम्बाड़ा में है। क्षेत्र के बुजुर्ग बातते हैं कि हिंगलाज भवानी का एक मंदिर देश में है और दूसरा पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में है, जहां हिन्दुओं के अलावा मुस्लिम परिवार भी दर्शन करने पहुंचते हैं। हिंगलाज देवी का बलूचिस्तान से लेकर राजस्थान तक बड़ी मान्यता है। देवी के बारे में ये प्रसिद्ध है कि सात द्वीपों में सारी शक्तियां रात्रि में रास रचाती हैं और प्रात:काल वो शक्तियां भगवती हिंगलाज में समा जाती हैं।
देवी हिंगलाज से जुड़ी चमत्कार की कथाएं सिंध क्षेत्र में भी आज भी सुनाई देती हैं। कहते हैं देवी हिंगलाज ने आठवीं शताब्दी में सिंध मामड़ में आवड देवी के रूप में दूसरा अवतार लिया था । ये भी मान्यता है कि 15वीं सदी में जब पूरा राजपूताना शोषण और दमन से त्रस्त था तो लोगों का दुख दूर करने देवी ने करणीजी के रूप में जन्म लिया। राजस्थान में आज भी करणीजी पर लोगों की अपार श्रद्धा है।