जबलपुर: Big decision on MP teacher recruitment एमपी में हाई स्कूल शिक्षक भर्ती पर जबलपुर हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि 2 दिनों के भीतर शिक्षक भर्ती नियमों में सुधार कर, हाईकोर्ट को सूचित करे।
हाईकोर्ट ने पाया कि प्रदेश में करीब 18 हजार हाई स्कूल शिक्षकों के रिक्त पदों में से 12 हजार पदों पर नियुक्तियां की गईं हैं, लेकिन इनमें उम्मीदवारों के सैकेंड डिवीज़न क्राईटेरिया को लेकर बड़ा विरोधाभास है।
Big decision on MP teacher recruitment दरअसल शिक्षा विभाग ने 448 ऐसे उम्मीदवारों को सैकेंड डिवीज़न मानकर भर्ती किया है जिनके ग्रेजुएशन में मार्क्स 45 से 50 फीसदी के भीतर हैं। दूसरी तरफ ऐसे कई उम्मीदवार हैं जिन्हें थर्ड डिवीजन मानकर भर्ती नहीं किया गया है जबकि ग्रेजुएशन में उनके भी मार्क्स 45 से 50 फीसदी के बीच हैं।
बता दें कि एनसीटीई यानि नेशनल काउंसिल फॉट टीचर्स एजुकेशन के नियमों के मुताबिक उम्मीदवारों की एलिजिबिलिटी यानि पात्रता, ग्रेजुएशन में सैकेंड डिवीज़न तय की गई थी, लेकिन कई यूनिवर्सिटी 45 से 50 फीसदी अंक लाने वालों को सैकेंड डिवीजन तो कई यूनिवर्सिटी थर्ड डिवीज़न मानती हैं। ऐसे में जब शिक्षा विभाग ने अंकों की जगह सिर्फ मार्कशीट में सैकैंड या थर्ड डिवीजन देखकर भर्तियां की हैं तो पूरी भर्ती प्रक्रिया सवालों में है।
45 से 50 फीसदी अंक वाले जो उम्मीदवार थर्ड डिवीजन बताए जाने से शिक्षक भर्ती में सिलेक्ट नहीं हो सके, उन्होने हाईकोर्ट में ये याचिका दायर की है। जबलपुर हाईकोर्ट ने मामले पर राज्य सरकार को सैकेंड डिवीजन मार्क्स क्राईटेरिया का नियम 2 दिनों के भीतर सुधारकर कोर्ट को सूचित करने के निर्देश दिए हैं।
साथ ही हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा है कि ऐसे उम्मीदवार जिन्हें क्राईटेरिया के मुताबिक मिनिमम मार्क्स होने पर भी सिलेक्ट नहीं किया गया, क्या उन्हें बचे हुए पदों पर भर्ती किया जा सकता है। कोर्ट ने कहा कि अगर ऐसा नहीं किया जाता है तो 50 फीसदी से कम मार्क्स वाले सभी उम्मीदवारों की भर्ती रद्द कर, हाईस्कूल शिक्षक भर्ती की काउंसलिग नए सिरे से करवाई जानी चाहिए। हाईकोर्ट ने इसी विषय पर राज्य सरकार से जवाब मांगा है और मामले पर अगली सुनवाई 19 दिसंबर को तय कर दी है।
जबलपुर हाईकोर्ट ने एमपी हाई स्कूल शिक्षक भर्ती प्रक्रिया में 45-50 फीसदी अंकों को लेकर विवादित नियमों को सुधारने का निर्देश दिया है। इसके अलावा, 50 फीसदी से कम अंकों वाले उम्मीदवारों की भर्ती रद्द करने पर विचार करने को कहा है।
हाईकोर्ट ने निर्देश दिया है कि 45-50 फीसदी अंकों के आधार पर सैकेंड डिवीजन या थर्ड डिवीजन का स्पष्ट नियम बनाया जाए और सही पात्र उम्मीदवारों की भर्ती सुनिश्चित की जाए।
हाईकोर्ट ने संभावना जताई है कि यदि पात्रता मानदंड के अनुसार सुधार नहीं होता, तो 50 फीसदी से कम अंकों वाले सभी उम्मीदवारों की भर्ती रद्द की जा सकती है।
यदि हाईकोर्ट के निर्देशानुसार भर्ती प्रक्रिया में सुधार नहीं किया गया, तो हाई स्कूल शिक्षक भर्ती की काउंसलिंग नए सिरे से आयोजित की जा सकती है।
एमपी शिक्षक भर्ती मामले में अगली सुनवाई हाईकोर्ट में 19 दिसंबर को होगी।