चुनावी साल में जनता की सरकार से आस! कर्जमाफी के बाद इस चीज की उठ रही मांग, विभाग पर करोड़ो बकाया

Electricity bill maaf मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव नजदीक है तो ऐसे में अब उपभोक्ताओं को बिल माफी का इंतेजार है।

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  • Publish Date - March 13, 2023 / 10:56 AM IST,
    Updated On - March 13, 2023 / 11:31 AM IST

Electricity bill maaf: ग्वालियर। मध्य प्रदेश में जैसे किसानों को कर्जमाफी का इंतेजार है, तो वैसे ही बिजली बिल के बकायादारों को बिल माफी का इंतेजार है। बिजली कंपनी का ग्वालियर रीजन में करीब 474 करोड़ रुपये से अधिक का बकाया है। लेकिन इनमें से करीब 80 से 90 फीसदी ऐसे उपभोक्ता है, जो बिजली बिल माफी के इंतेजार में है। ये हाल तब जब वे दो बार बिजली बिल माफी का फायदा कोरोना काल में उठा चुके है। ऐसे में विधानसभा चुनाव नजदीक है तो ऐसे में अब उपभोक्ताओं को बिल माफी का इंतेजार है।

Electricity bill maaf: जैसे सत्ता और विपक्ष वोटर्स को अपनी ओर रिझाने के लिए योजनाएं शुरू करते है, तो वहीं विपक्ष वायदें करता है। इन सब के बीच एक बार फिर से मध्य प्रदेश में नंवबर महीने में विधानसभा चुनाव है। तो वोटर्स की उम्मीदें सरकार से ज्यादा हो गयी है। ये वो वोटर्स है, जो पिछले 5 साल के अंदर दो बार बिजली बिल माफी का फायदा उठा चुके है। करीब 300 करोड़ से अधिक माफी ले चुके हैं। माफी के बाद बिल शून्य हो गए थे। बिल शून्य होने के बाद डिफाल्टरों ने फिर भी बिल नहीं भरे। इस कारण मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी का हर महीने औसतन दस करोड़ रुपये बकाया बढ़ता रहा। अब बकाया 474 करोड़ पहुंच गया है। ऐसे में कांग्रेस विधायक सवाल उठा रहे है।

Electricity bill maaf: साल 2018 के विधानसभा चुनाव के पहले सरकार ने संबल योजना शुरू की थी। जिन लोगों के पास मजूदरी कार्ड था, उनका पूरा बकाया माफ किया। करीब 250 करोड़ रुपये माफ हुए थे। बकाया 300 करोड़ रुपये पर आ गया था। कोविड के दौरान एक हजार वाट लोड वाले उपभोक्ता का बिल स्थगित किया था। यह बिल 2020 के उपचुनाव को देखते हुए स्थगित किए गए थे। उप चुनाव के बाद बिजली कंपनी ने स्थगित बिल वसूलने कनेक्शन काटने शुरू किए। लोगों का विरोध शुरू हो गया। सरकार ने स्थगित बिलों को माफ करने का फैसला लिया। वहीं ऊर्जा मंत्री प्रघुम्न सिंह तोमर का कहना है वो तो ट्रस्टी है, ये जनता का ही पैसा है।

Electricity bill maaf: डिफाल्टरों के आगे बिजली कंपनी के अधिकारी भी बेबस दिख रहे हैं। इस बकाये को नहीं वसूल पा रहे हैं। 2018 के विधान सभा व विधानसभा उप चुनाव में छूट का लाभ मिला था। वर्तमान में सबसे ज्यादा डिफाल्टर ऊर्जा मंत्री की विधान सभा में हैं। इस विधानसभा (उत्तर संभाग) के ऊपर 201 करोड़ का बकाया है। वहीं ग्वालियर में सवा लाख घरेलू उपभोक्ता ऐसे हैं, जो नियमित बिल नहीं भरते हैं। 474 करोड़ में से 387 करोड़ रुपये घरेलू उपभोक्ताओं पर बकाया है। वैसे साल 2023 चुनावी साल है। भविष्य की संभावना को देखते हुए लोग बिल नहीं भर रहे हैं। इस कारण हर महीने बकाया बढ़ता जा रहा है। बिजली कंपनी के अभियान भी बेअसर हो गए हैं। ऐसे में देखना होगा बिजली कंपनी घाटे से ऊभरने के लिए क्या करती है।

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