Pornographic Content: रील के जरिए अश्लीलता फैलाने वालों की खैर नहीं! सोशल मीडिया पर अश्लील कंटेंट को लेकर केंद्र सरकार उठाएगी ये सख्त कदम |

Pornographic Content: रील के जरिए अश्लीलता फैलाने वालों की खैर नहीं! सोशल मीडिया पर अश्लील कंटेंट को लेकर केंद्र सरकार उठाएगी ये सख्त कदम

Central Govt on Pornographic Content: सोशल मीडिया पर अश्लील कंटेंट को लेकर केंद्र सरकार उठाएगी ये सख्त कदम

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Modified Date: March 22, 2025 / 03:49 PM IST
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Published Date: March 22, 2025 3:49 pm IST
HIGHLIGHTS
  • सोशल मीडिया पर अश्लील कंटेंट को लेकर केंद्र सरकार हुई सख्त
  • रील पर अश्लीलता रोकने के लिए बनेगा कानून
  • रील्स पर सेंसर लागू कर सख्त नियम बनाने की थी मांग

Central Govt on Pornographic Content: ग्वालियर। सोशल मीडिया पर अश्लील कंटेंट को लेकर केंद्र सरकार ने सख्ती दिखाई है। ग्वालियर हाईकोर्ट में PIL की सुनवाई पर केंद्र सरकार ने कहा कि, रील पर अश्लीलता रोकने के लिए कानून बनेगा। केंद्र सरकार ने कहा कि, इस तरह की समस्याओं को रोकने के लिए एक ठोस कानून बनाना जरूरी है।

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हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता को निर्देश दिया कि वे केंद्रीय सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय में आदेश की प्रमाणित प्रति के साथ अपना अभ्यावेदन प्रस्तुत करें। साथ ही, केंद्र सरकार को इस मुद्दे पर उचित कदम उठाने के लिए कहा गया है। मालूम हो की ग्वालियर के अनिल बावरिया ने जनहित याचिका दायर की थी। याचिका में फेसबुक, यूट्यूब,इंस्टाग्राम, स्नैपचैट,गूगल और केंद्र सरकार को पक्षकार बनाया था।

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याचिका में कहा गया था कि विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर रील्स के जरिए दिखाई जा रही अश्लीलता आईटी एक्ट के तहत दंडनीय अपराध है। याचिकाकर्ता ने सोशल मीडिया रील्स पर सेंसरशिप लागू करने और कड़े नियम बनाने की मांग की थी। हाईकोर्ट ने इस पहली PIL को निपटाते हुए केंद्र सरकार को आवश्यक कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।

 

 

ग्वालियर हाईकोर्ट ने सोशल मीडिया पर अश्लील कंटेंट के मामले में क्या निर्णय लिया है?

ग्वालियर हाईकोर्ट ने सोशल मीडिया पर अश्लील रील्स और कंटेंट को रोकने के लिए केंद्र सरकार से ठोस कदम उठाने का निर्देश दिया है। साथ ही, याचिकाकर्ता को केंद्रीय सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय में आवेदन प्रस्तुत करने के लिए कहा है।

क्या केंद्र सरकार ने इस मुद्दे पर कोई कदम उठाने की बात स्वीकार की है?

हां, केंद्र सरकार ने अदालत में यह स्वीकार किया कि इस तरह के कंटेंट को रोकने के लिए कानून बनाना आवश्यक है।

कोर्ट ने याचिकाकर्ता को क्या निर्देश दिया है?

कोर्ट ने याचिकाकर्ता को केंद्रीय सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय में आदेश की प्रमाणित प्रति के साथ अभ्यावेदन प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।