ग्वालियर। मध्यप्रदेश के ग्वालियर में रेलवे स्टेशन से गम्भीर हालत में बीमार को जज की गाड़ी छीनकर ले जाने पर दर्ज किए गए डकैती के मामले में आठ दिनों से ग्वालियर जेल में बन्द ABVP के दोनों कार्यकर्ता को जेल से रिहा कर दिया गया है। हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने मानवीय आधार पर जमानत दे दी। यह मामला न केवल प्रदेश बल्कि समूचे देश में चर्चा का विषय बना हुआ है। मुख्यमंत्री ने भी मामले की CID जांच कराने के आदेश दिए हैं।
हम बिना अपराध के जेल में बंद थे – हिमांशु श्रोतिया
बता दें कि हिमांशु श्रोतिया और सुकृत शर्मा अब जेल से रिहा हो गई है। जैसे ही ये दोनों जेल से रिहा हुए वैसे ही जेल के बाहर दोनों का जमकर स्वागत हुआ। हार फूल से एबीवीपी ने दोनों कार्यकर्ताओं का स्वागत किया। रिहा होने के बाद हिमांशु श्रोतिया ने कहा, कि हमने कोई अपराध नहीं किया है। हम बिना अपराध के जेल में बंद थे। हमारा भाव जान बचाना था, उसी के लिए हमने गाड़ी का इस्तेमाल किया था। हिमांशु श्रोतिया ने कहा, कि हमें आज भी अपने किए पर कोई पछतावा नहीं है। हमें तो धोखे से पुलिस ने बुलाकर अरेस्ट किया था। जबकि, गंभीर मामलों के आरोपी खुले में घूम रहे हैं।
क्या है पूरा मामला
दरअसल, ये विवाद 10 दिसंबर की रात VC की जान बचाने से शुरू हुआ था। हिमांशु श्रोतिया और सुकृत कुमार शर्मा पर डकैती की धाराओं में पड़ाव थाने में मामला दर्ज हुआ था। दरअसल, दिल्ली से सुबह ट्रेन से ग्वालियर आ रहे एक बुजुर्ग की मुरैना के पास तबियत बिगड़ गई। उसी ट्रेन से ABVP संगठन से जुड़े कुछ छात्र भी दिल्ली में आयोजित राष्ट्रीय अधिवेशन से वापस लौट रहे थे। उन्होंने ट्रेन में ही उपचार कराने के लिए रेलवे अधिकारी और कर्मचारियों से संपर्क करने की कोशिस की, लेकिन उन्हें कोई राहत नहीं मिली। जिसके बाद बुजुर्ग बेहोश हो गए।
इस बीच ग्वालियर स्टेशन आ गया। छात्रों ने मरीज को उतारकर स्टेशन पर मौजूद रेलवे और पुलिस अधिकारियों को बताया। छात्रों ने काफी देर एम्बुलेंस का इंतजार भी किया, लेकिन वह नही आई। छात्र स्टेशन के पोर्च में खड़ी एक जज की कार में बीमार व्यक्ति को हास्पिटल लेकर चले गए। बाद में पता चला कि बीमार व्यक्ति शिवपुरी में एक कालेज के रिटायर्ड VC हैं।