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’मुझे नहीं चाहिए…बुजुर्गों को दीजिए छूट…उन्हें ज्यादा जरूरत है’ पूर्व मंत्री ने विधानसभा अध्यक्ष को लिखा पत्र, की ये मांग
Jeetu patwari latter: ’मुझे नहीं चाहिए...बुजुर्गों को दीजिए छूट...उन्हें ज्यादा जरूरत है’ पूर्व मंत्री ने विधानसभा अध्यक्ष को लिखा पत्र, की ये मांग
Publish Date - July 24, 2022 / 04:05 PM IST,
Updated On - November 29, 2022 / 08:18 PM IST
Jeetu patwari latter: भोपाल। मध्यप्रदेश के पूर्व मंत्री और वर्तमान विधायक जीतू पटवारी ने विधानसभा अध्यक्ष को पत्र लिखा है, अपने इस पत्र में पटवारी ने रेलवे टिकट में बुजुर्गों के लिए छूट को दोबार चालू करने की बात कही है। साथ ही विधायकों की यात्रा में हुए खर्चे का लेखा-जोखा भी शामिल किया है। इस दौरान पटवारी ने उन्हें मिलने वाली रियायत यात्राओं को तत्काल त्यागने की घोषणा करते हुए वरिष्ठ नागरिकों को पूर्व में दी जा रही सुविधाओं को अविलंब बहाल करने की सरकार से मांग की है।
Jeetu patwari latter:जीतू पटवारी ने विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम को पत्र लिखा जिसमें 7 बिंदुओं में उन्होंने अपनी बात लिखी उन्होंने लिखा कि आदरणीय विधानसभा अध्यक्ष जी,
कोरोनाकाल के पहले तक 58 साल से ऊपर की महिला को रेल टिकट में 50% और 60 साल से ऊपर के पुरुष को 40% की छूट थी। कोविड के दौरान यह सुविधा बंद कर दी गई और अब हमेशा के लिए भी इसे बंद कर दिया गया।
रेलमंत्री ने इसके तर्क में नफा-नुकसान का लंबा-चौड़ा हिसाब भी बताया है। इससे यह स्पष्ट रूप से समझ आ रहा है कि केंद्र सरकार रेलवे के घाटे को कम करने के लिए बुजुर्गों का नुकसान करना चाहती है।
लेकिन, जनप्रतिनिधियों को रेलवे की सुविधाएं अब तक जारी हैं। क्यों? ये सुविधाएं बंद क्यों नहीं की जा रहीं? इनका तो रेल मंत्री ने कोई हिसाब-किताब भी नहीं बताया।
मौजूदा सांसद को अपनी पत्नी या पति के साथ फर्स्ट एसी में मुफ्त यात्रा की सुविधा प्राप्त है। पूर्व सांसद को ऐसी ही सुविधा अपनी पत्नी या पति के साथ सेकंड एसी में और अकेले को फर्स्ट एसी में प्राप्त है। यह है कि यह सुविधा कोविड के दौर में भी बंद नहीं हुई। ये बात और है कि रेलवे को यह पैसा केंद्र सरकार चुकाती है। तो केंद्र सरकार के पास यह पैसा किसका है? यह पैसा जनता रूपी करदाताओं का ही तो है।
RTI के जरिए मिली जानकारी बताती है कि पिछले पांच साल में सांसदों और पूर्व सांसदों की रेल यात्राओं पर सरकार ने 62 करोड़ रुपए खर्च किए हैं। वर्ष 1917-18 से 2021-22 तक मौजूदा सांसदों की रेल यात्रा के लिए 35.21 करोड़ और पूर्व सांसदों की रेल यात्रा के लिए 26.82 करोड़ रु. का बिल लोकसभा सचिवालय को रेलवे ने भेजा है। सांसदों, पूर्व सांसदों ने कोरोना महामारी के साल 2020-21 में भी रेलवे के फ्री पास के जरिए 2.47 करोड़ की यात्रा की।
सवाल केवल यह है कि भारी भरकम वेतन-भत्तों और पेंशन के बावजूद सांसदों और विधायकों के साथ पूर्व जनप्रतिनिधियों को इस तरह की छूट से क्या रेलवे या सरकार को कोई नुकसान नहीं होता?
मैं भाजपा सरकार के इस निर्णय का विरोध करता हूं और मुझे मिल रही रियायत यात्राओं को तत्काल त्यागने की घोषणा करता हूं। मेरी सरकार से प्रार्थना है कि वरिष्ठ नागरिकों को पूर्व में दी जा रही सुविधाओं को अविलंब बहाल भी करे।