दतिया।Farmers upset due to crop failure: मध्यप्रदेश के दतिया में इन दिनों किसान परेशान हैं। उनके खेतों में खड़ी धान की फसल पानी ना मिलने से खराब हो रही है। फसल मूंगफली में कीड़े लग रहे हैं। किसानों के बार-बार कृषि विभाग के चक्कर लगाने के बाद भी सरकारी टीम परेशान किसानों की दिक्कतों को हल करने के लिए नहीं पहुंच पा रही है। इलाके के किसानों को ना तो बिजली मिल पा रही है और ना ही फसलों को सुरक्षित रखने वाली सलाह मिल पा ही है। एक दर्जन गांव में खेतों में खड़ी धान की फसल और मूंगफली की फसल कीड़ो की मार झेल रही है। ग्राम जिगना, हतलई, उदगवा, टाका, नोनेर, बिलहारी, सनोरा, छता आदि ग्रामों में फसलों की हालत खराब है।
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Farmers upset due to crop failure: परेशानी की मार झेल रहे किसानों से जब बात की गई तो उनका कहना था, कि कोई भी सरकारी विभाग का अधिकारी और कर्मचारी अभी तक गांव में कीड़ों की मार झेल रही फसलों को बचाने के उपाय बताने नहीं आया। ग्रामीण इलाकों में पर्याप्त बिजली सप्लाई नहीं हो रही है। अगर 8 घंटे किसानों को बिजली मिल जाए तो धान की फसल अच्छी होगी। जिले में बारिश ना होने से किसानों की धान की फसल सूख रही है, तो वही मूंगफली की फसल में माहू नाम का कीड़ा लग रहा है।
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Farmers upset due to crop failure: वहीं किसान को उचित कीटनाशक की सलाह भी नहीं मिल पा रही है। जिससे खरीफ की फसल पूरी तरह खराब होती जा रही है। लाखों रुपए खर्च कर चुके किसान के सामने अपनी आजीविका का संकट दिखाई दे रहा है। दूसरी तरफ पर्याप्त बिजली भी किसान को नहीं मिल पा रही है कि वह अपनी खेती में कुआं या नलकूपों से पानी दे सके। धान की फसल में भी पोही को इल्ली, जड़ों में केंचुआ जैसी कई बीमारियां हो रहीं हैं एवं तरह-तरह दूसरी की बीमारियों से किसान ग्रसित है। उनकी पूरी फसल खराब होने की कगार पर है ।
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Farmers upset due to crop failure: कृषि विभाग के उपसंचालक डी.एस. सिद्धार्थ खेतों में खड़ी फसल में कीड़े लग जाने की जानकारी मिलने पर अपना बचाव करते नजर आए। उनका कहना था कि इस मर्तबा इलाके में खरीफ सीजन में 55 हजार हेक्टेयर मैं धान की बोवनी की गई। उन्होंने बताया कि फसलों में कीड़े मिलने जानकारी हासिल होने पर कृषि प्रसार कार्यकर्ताओं को और विशेषज्ञों को फील्ड में भेजा गया है। हालांकि परेशान किसानों के पास अभी तक कोई नहीं पहुंचा और किसानों की परेशानी का निराकरण नहीं हुआ है। उप संचालक कृषि विभाग का यह दावा मात्र दावा ही है।