भोपाल, पांच नवंबर (भाषा) मध्य प्रदेश के बांधवगढ़ अभयारण्य में जिन दस हाथियों की हाल में मौत हो गई थी उनके विसरा में ‘न्यूरोटॉक्सिन साइक्लोपियाजोनिक एसिड’ पाया गया, लेकिन यह हाथियों को ‘जहर’ देने का मामला नहीं है। वन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने मंगलवार को यह जानकारी दी।
सरकार द्वारा गठित जांच दल का नेतृत्व कर रहे अतिरिक्त प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव) एल कृष्णमूर्ति ने बताया कि हाथियों के विसरा रिपोर्ट से पता चला है कि कोदो के पौधों का बड़ी मात्रा में सेवन करने से उनके (हाथियों) शरीर में विषाक्तता उत्पन्न हुई।
उमरिया जिले के बांधवगढ़ बाघ अभयारण्य में 29 अक्टूबर को चार हाथी मृत पाए गए थे। बाद में हाथियों की संख्या बढ़कर 10 हो गई थी।
कृष्णमूर्ति ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि हाथियों की विसरा रिपोर्ट मंगलवार को भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आईवीआरआई), बरेली से प्राप्त हुई।
उन्होंने बताया कि इसमें नाइट्रेट-नाइट्राइट, भारी धातुओं के साथ-साथ ऑर्गेनोफॉस्फेट, ऑर्गनोक्लोरीन, पाइरेथ्रोइड और कार्बामेट समूह के कीटनाशकों का कोई अंश नहीं मिला।
कृष्णमूर्ति ने कहा कि हाथियों में साइक्लोपियाज़ोनिक एसिड पाया गया, हालांकि विषाक्तता के वास्तविक स्तर का पता लगाया जा रहा है।
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