Election Commission on elections in MP भोपालः सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद एमपी में चुनाव आयोग ने चुनावों की घोषणा कर दी है। जिसके बाद आज कांग्रेस ने कहा की हम निकाय चुनावों के टिकट वितरण में ओबीसी वर्ग को 27 फीसदी आरक्षण देंगे। वहीं बीजेपी ने दावा किया है कि हम इनसे ज्यादा आरक्षण देंगे यानी दोनों पार्टियां ओबीसी वर्ग की सबसे बड़े हितैषी बनने का दावा कर रही है। सवाल ये कि पेंच आखिर फंसा कहां है, जब दोनों दलों की मंशा एक ही है।
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मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने राज्य निर्वाचन आयोग को दो सप्ताह में चुनाव की अधिसूचना जारी करने के निर्देश दिए थे। निर्वाचन आयोग सक्रियता देखिए, 24 घंटे के भीतर ही आयोग ने बता दिया कि 30 जून तक चुनाव हो जाएंगे। इस ऐलान के साथ प्रदेश की पंचायतों से लेकर राजधानी तक सियासत में उबाल आ गया । जैसा कि तय था कि इन चुनावों में ओबीसी वर्ग का आऱक्षण सबसे बड़ा मुद्दा होगा, ठीक वैसा ही हो रहा है, और हो भी क्यों ना, प्रदेश में ओबीसी वर्ग के मतदाताओं की संख्या 50 प्रतिशत है
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कांग्रेस ने निकाय चुनावों में 27 प्रतिशत टिकट पिछड़ा वर्ग को देने की बात कही तो, बीजेपी भी कहां पीछे रहने वाली थी.. बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष ने नहले पे दहला मारा है, बीडी शर्मा ने निकाय चुनावों में ओबीसी वर्ग को 27 परसेंट से ज्यादा टिकट देने का दावा किया। कहने का लब्बोलुआब ये है कि एमपी के ओबीसी मतदाताओं पर दोनों पार्टियों की पैनी नजर है, और हो भी क्यों नहीं, आखिरकार इन चुनावों का असर 2023 के विधानसभा चुनावों में होना लाजिमी है । आरक्षण का झुनझुना दोनों पार्टियां बजा रही हैं, लेकिन सच ये है कि कांग्रेस और बीजेपी दोनों की सरकार ओबीसी वर्ग को आऱक्षण नहीं दे पाई, अब दोनों ही पार्टियों को इसका ठीकरा एक दूसरे के सिर फोड़ते देखा जा सकता है..
मतलब की ये है कि आऱक्षण ना हुआ, चुनाव जीतने का ब्रह्मास्त्र हो गया, सब आऱक्षण देना चाहते है, पर दे नहीं पाए, जिसके बाद अब कांग्रेस ने बीजेपी सरकार से कुछ ऐसी अपील की है, जिससे आऱक्षण का रास्ता साफ हो जाए औऱ श्रेय उसे मिल जाए, कांग्रेस ने विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर संविधान में संसोधन करने की मांग की है। खैर जंग का मैदान सज चुका है, दावों-वादों का दौर का आगाज हो चुका है। 2023 का सेमीफाइनल है, दिलचस्प है देखना, बाजी कौन मारता है?