ईएजी ने आतंकवाद के वित्तपोषण के मामलों में शामिल 600 से ज्यादा लोगों की पहचान की |

ईएजी ने आतंकवाद के वित्तपोषण के मामलों में शामिल 600 से ज्यादा लोगों की पहचान की

ईएजी ने आतंकवाद के वित्तपोषण के मामलों में शामिल 600 से ज्यादा लोगों की पहचान की

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Modified Date: November 29, 2024 / 07:35 PM IST
Published Date: November 29, 2024 7:35 pm IST

इंदौर (मध्यप्रदेश), 29 नवंबर (भाषा) अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क रखने वाले आतंकियों के वित्तपोषण के तरीकों की पहचान को मौजूदा वक्त की ‘‘सबसे बड़ी चुनौती’’ करार देते हुए यूरेशियन समूह (ईएजी) के एक शीर्ष अधिकारी ने शुक्रवार को कहा कि संगठन ने इस साल ऐसे मामलों में शामिल 600 से ज्यादा लोगों को चिह्नित करने में सफलता हासिल की है।

ईएजी की 41वीं पूर्ण बैठक के समापन के बाद संगठन के अध्यक्ष यूरी चिखानचिन ने इंदौर में संवाददाता सम्मेलन में कहा कि अंतरराष्ट्रीय आतंकियों के वित्तपोषण के तरीकों और उनके वित्तपोषकों की पहचान करना इन दिनों सबसे बड़ी चुनौती बनकर उभरा है और बैठक में इस विषय पर विस्तृत चर्चा की गई।

उन्होंने कहा, ‘‘हमने ईएजी से जुड़े देशों की वित्तीय आसूचना इकाइयों (एफआईयू) के विश्लेषण के आधार पर इस साल (आतंकवाद के वित्तपोषण से जुड़े) 600 से ज्यादा लोगों को चिह्नित किया है। हमने इन लोगों को उनके वित्तीय व्यवहार के आधार पर चिह्नित किया है।’’

चिखानचिन ने कहा कि यह एक बड़ी सफलता है और इससे आतंकवाद के वित्तपोषण से जुड़े लोगों की पहचान के ईएजी के अभियान को आगे बढ़ाने के नए अवसर पैदा होंगे।

उन्होंने अफगानिस्तान से जुड़े एक सवाल पर कहा कि मौजूदा वैश्विक परिदृश्य में आतंकवाद से जुड़े जोखिम किसी एक देश तक सीमित नहीं हैं।

चिखानचिन ने कहा, ‘‘ईएजी के दायरे में आने वाले पूरे क्षेत्र में आतंकवाद के जोखिम मौजूद हैं और यह स्थिति परेशान करने वाली है। अफगानिस्तान में यह जोखिम अब भी प्रासंगिक है। हम इस जोखिम से निपटने के लिए साझा उपायों के बारे में सोच रहे हैं।’’

उन्होंने बताया कि ईएजी की बैठकों के एक सत्र में अफगानिस्तान के साथ संगठन के रिश्ते मजबूत करने और इस देश में आतंकवाद के जोखिम घटाने के तरीकों पर चर्चा की गई।

धनशोधन और आतंकवाद के वित्तपोषण के खिलाफ वैश्विक प्रयासों पर यूक्रेन और पश्चिम एशिया में जारी युद्धों के प्रभाव के सवाल पर चिखानचिन ने कहा कि ईएजी ‘‘विशुद्ध तकनीकी संगठन’’ है और वह राजनीतिक प्रकृति के मुद्दों पर चर्चा नहीं करता।

यह पूछे जाने पर कि धनशोधन और आतंकवाद के वित्तपोषण में क्रिप्टो मुद्राओं के दुरुपयोग के कारण क्या ईएजी इन्हें प्रतिबंधित करने की सिफारिश के बारे में विचार कर रहा है, उन्होंने कहा कि क्रिप्टो मुद्राओं के मौजूदा ढांचे का नियमन एक गंभीर और जटिल मसला है तथा दुनिया को मिलकर इसका हल निकालने की जरूरत है।

ईएजी की बैठक में भारतीय प्रतिनिधिमंडल के प्रमुख के तौर पर हिस्सा लेने वाले विवेक अग्रवाल ने कहा कि मेजबान देश के लिए यह पांच दिवसीय बैठक कई मायनों में लाभदायक रही। अग्रवाल, वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग के अतिरिक्त सचिव और देश के एफआईयू के निदेशक हैं।

उन्होंने बताया कि ईएजी अध्यक्ष चिखानचिन ने आतंकवाद के वित्तपोषण के मामलों से जुड़े जिन 600 लोगों की पहचान की बात कही, उनमें धन के सीमा पार के लेन-देन से जुड़े व्यक्ति भी शामिल हैं। वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इन मामलों में उन इकाइयों को भी चिह्नित किया गया है जिनके जरिये यह लेन-देन किया गया था।

अग्रवाल ने कहा, ‘‘ईएजी की बैठक में भारत के परिदृश्य में सीमा पार से होने वाले आतंकी वित्तपोषण पर विस्तार से चर्चा हुई। इसमें अलकायदा, जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा जैसे संगठनों तथा उनके सहयोगियों की भूमिका के साथ ही उनके द्वारा धन के अंतरराष्ट्रीय लेन-देन पर बात की गई।’’

उन्होंने बताया कि ईएजी की बैठक में ऐसे मामलों पर भी चर्चा हुई जिनमें क्रिप्टो मुद्राओं के जरिये ऐसे धन का लेन-देन हुआ जिसके इस्तेमाल से आतंकवाद को बल मिल सकता था।

अग्रवाल ने कहा कि भारत में वित्तीय प्रौद्योगिकी (फिनटेक) उद्योग और डिजिटल भुगतान प्रणाली सबसे तेज गति से बढ़ रही है और इस बैठक में साइबर अपराधों तथा उनसे निपटने के तरीकों पर भी चर्चा हुई।

भाषा हर्ष

नेत्रपाल

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