रायसेन, मध्यप्रदेश। राज्य के सबसे पुराने किलों में शुमार रायसेन के किले में बने शिव मंदिर में लगे ताले के खिलाफ आंदोलन तेज हो गया है। साल 1974 से तालाबंदी में पूजे जा रहे सोमेश्वर महादेव को लेकर पंडित प्रदीप मिश्रा ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि यह सदियों पुराना मंदिर है। राजा पूरणमल को हराकर यहां मस्जिद बनाई गई थी। इसके ऐतिहासिक साक्ष्य हैं। रायसेन प्रदेश के प्राचीन शहरों में शुमार है। यहां राजा राय सा शासन रहा है। इनका सीधा रिश्ता चितौड़गढ़ की महारानी पद्मावति से था।
यह है पूरा मामला
रायसेन शहर में पहाड़ी पर एक विशाल किला बना हुआ है। यह किला हजारों साल पुराना है। इतिहासकार हरिशंकर श्रीवास्तव कहते हैं, इस किले में विशाल शिवमंदिर है। इस मंदिर को हर वर्ष महाशिवरात्रि के मौके पर सिर्फ 12 घंटे के लिए खोला जाता है। यह व्यवस्था साल 1974 में बनाई गई थी, जब इस मंदिर को मस्जिद बताए जाने को लेकर कुछ लोगों ने आपत्ति की थी। उस वक्त प्रशासन ने इस मंदिर के गर्भगृह में ताला डाल रखा है।
धार के भोजशाला के बाद एमपी में यह बड़ा मसला
मध्यप्रदेश के धार जिले में भोजशाला विवाद सभी जानते हैं। एमपी में यह दूसरा बड़ा विवाद बनता जा रहा है। यूं तो किले में एक जगह पर मजार भी बनी हुई है, लेकिन मंदिर को लेकर विवाद गहराया गया है। भोजशाला में भी सरस्वती पूजा को लेकर हर साल विवाद की स्थिति बनती है।
ऐसी तोप है इस किले में हर बार नाप हो जाता है कम-ज्यादा
इस किले पर बनी मजार के परिसर में एक ऐसी तोप है, जिसे जितनी बार नापो वह उतनी बार ही नया नाप बताती है। यह यहां पर कौतुहल का विषय रहती है। रमजान में इसका इस्तेमाल रोजा सहरी-इफ्तार की सूचना के लिए भी किया जाता था।
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