भोपाल: Dhirendra Shastri on IBC24 MIND SUMMIT, IBC24 के माइंड समिति में आज बागेश्वर धाम के पंडित धीरेंद्र शास्त्री भी शामिल हुए। इस दौरान आईबीसी24 के एडिटर इन चीफ रवि कांत मित्तल ने उनसे चर्चा की। उन्होंने जनता के सवालों को धीरेंद्र के सामने रखा। उनसे यह पूछा गया कि आजकल लोगों से जब पूछा जाता है कि क्या चल रहा है? तो लोग कहते हैं इस समय पंडित धीरेंद्र शास्त्री चल रहे हैं, इसका मतलब दोनों अर्थों में है, यानि बाबा पदयात्रा भी कर रहे हैं और आजकल उनकी बयार भी बह रही है। जब उनसे पूछा गया है कि आप पदयात्रा क्यों कर रहे हैं? तो पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि भारत में हिंदुओं की स्थिति बहुत विचित्र है, बांग्लादेश की पिक्चर लाइव दिखाई जा रही है, जिस कारण से हम अपनी भूमिका निभा रहे हैं।
धीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि आई एम नॉट ए पोस्टर बॉय, ना हमें हिंदू हृदय सम्राट बनना है, ना हमें बब्बर शेर बनना है, ना हमें कोई नेता बनना है, ना अभिनेता बनना है। हमें सिर्फ सनातन का ही पक्ष रखना है। हम सत्य के तथ्य को रखते हैं और जिनको सत्यप्रिय है वह हमारे साथ है। जहां हम इसे परोसते हैं वह ग्रहण कर रहे हैं तो ऐसे ही कुछ लोग देश में मौजूद हैं जो सत्य को स्वीकार कर रहे हैं। यह वह लोग हैं जो सनातन को स्वीकार किया है, यह लोग हैं जिन्होंने रामचरितमानस को स्वीकार किया, यह वह लोग हैं जो सनातन को स्वीकार किया, यह वह लोग हैं जो ज्ञान और विज्ञान दोनों पर विश्वास रखते हैं।
Dheerendra shashtri on IBC24 MIND SUMMIT वहीं जब पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री से पूछा गया कि आप जिस एकता की बात करते हैं वह केवल जाति और हिंदू धर्म की एकता है या देश में और भी वर्ग के लोग निवास करते हैं उनकी भी एकता की बात है? तो इस पर जवाब देते हुए पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने कहा कि अभी हम पहले अपना घर तो संभाल लें। बाद में फिर हम दूसरों को देखेंगे। पहले तो अपना ही घर बिखरा हुआ है, पहले तो हिंदुओं की एकता होनी चाहिए, उसके बाद बाहर की बात करेंगे, क्योंकि इस देश में जो भी रहते हैं वह सब हिंदू हैं। अगर इस देश में कोई मुसलमान भी हैं तो वह भी कन्वर्टेड हिंदू हैं, इस देश का कन्वर्टेड हिंदू है, कुछ पीढ़ियों पहले वह अपना खोज कर लें, उन्हें अपनी स्थिति का एहसास हो जाएगा। उनके पूर्वज रामलाल, श्यामलाल, दादा परदादा के रूप में मिलेंगे। पहले हम हिंदुओं को एक कर लें, हिंदुओं के अंदर जो घृणा का भाव है, जात-पात का भाव है, भेदभाव का भाव है, उच्च नीच का भाव है, दलित को घोड़ी में नहीं बैठने देते हैं। तो हम इस देश में चाहते हैं कि हिंदू एक हो और सब एक दिशा में लगे, तब भारत जाकर विश्व गुरु बनेगा।
Dhirendra Shastri on IBC24 MIND SUMMIT वहीं जब पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री से पूछा गया कि हमारा संविधान धर्म निरपेक्षता की बात करता है लेकिन आप केवल हिंदू की बात कर रहे हैं। आप जब यात्रा करते हैं तिरंगा फहराते हैं, राष्ट्रगान की बात करते हैं तो स्वाभाविक है कि संविधान को भी आप मानते हैं लेकिन एकता की बात जब करते हैं तो आप कहते हैं कि केवल हिंदुओं को एक होना चाहिए, तो यह क्या विरोधाभास नहीं है? इस पर बाबा बागेश्वर धाम के बाबा ने कहा कि जिस संविधान के प्रथम पृष्ठ पर प्रभु श्रीराम का चित्र अंकित हो, उससे सिद्ध होता है कि यह धर्म सापेक्ष राष्ट्र है ना कि धर्मनिरपेक्ष। दूसरी बात आपने कहा कि सबको रहने का अधिकार है हिंदू और एक धर्म की बात कैसे करेंगे ? तो हिंदू एक धर्म नहीं है इस पूरी दुनिया की आचार संहिता है। बाकी मजहब हैं, धर्म तो सिर्फ सनातन धर्म है और बाप को अपना बाप नहीं कहेंगे तो क्या पड़ोसी के अंकल को बाप कहेंगे।
वहीं जब उनसे पूछा गया कि जब आपने यात्रा शुरू की तो ऐसा लगा इसके पीछे कोई एजेंडा है ? क्या आरएसएस आपका सहयोग कर रहा है या कोई और शक्तियां हैं जो सहयोग कर रही हैं? या सिर्फ आपके मन की उपज है और हिंदू राष्ट्र बनाने के लिए यात्रा पर निकल पड़े। इस पर जवाब देते हुए बागेश्वर धाम के बाबा ने कहा कि हिंदू राष्ट्र की मांग पर पीछले तीन चार साल से हम मुखर होकर कह रहे हैं, सार्वजनिक जगहों पर बोल रहे हैं, जब से हमने कथा करना आरंभ किया तब से सनातन संस्कृति के लिए काम कर रहे हैं। अब हमें लगता है कि चर्चा बहुत हुई, अब अर्चा करना चाहिए, करके बताना चाहिए, क्योंकि बातों के बवाल तो सब लोग करते हैं, बातें तो सिर्फ ताली पीटने के लिए और न्यूज़ में बने रहने के लिए होती हैं, कुछ करके दिखाना पड़ेगा। इसलिए हमने पदयात्रा शुरू किया। इसलिए उनके घर पर जा करके जागरुक कर रहे हैं, जिनको समाज ने कहा था यह बहुत पिछड़े हैं, नीच हैं। हमारी नजर में सब में राम हैं, जब हमारे राम शबरी के घर जाकर खा सकते हैं, विदुरानी के घर भगवान कृष्ण जा सकते हैं, तो हम क्यों नहीं जा सकते।
उन्होंने कहा कि हिंदू एक क्यों नहीं हो सकते? मुसलमान में भी जातियां हैं, पठान हैं, शिया हैं, सुन्नी हैं, अंसारी हैं लेकिन उनके मजहब पर जब उंगली उठती है तो सब एक बन जाते है। इस देश में हिंदू की बात करने के लिए कोई आगे नहीं आ रहा है क्योंकि सब के मन में डर है, लेकिन हमारे पीछे कोई एजेंडा नहीं है। हम किसी के हिसाब से नहीं चलते हम अपने घर वालों के इशारे पर नहीं चलते तो हमें कौन चला सकता है? हम तो सिर्फ हनुमान जी के इशारे पर चल रहे हैं। हम तो केवल इस देश के 100 करोड़ हिंदुओं के इशारे पर चल रहे हैं, क्यों कि इस देश को बचाना है, तो हिंदुओं को बचाना पड़ेगा। हिंदू रहेगा तो हिंदुस्तान रहेगा हिंदुस्तान रहेगा तभी तो प्रभु श्री राम प्रकट होंगे, तभी तो कलयुग में कल्कि अवतार होगा, तभी तो रामचरितमानस बचेगी। तो हिंदूराष्ट्र इन 100 करोड़ हिंदुओं का एजेंडा है, यह 100 करोड़ हमारे पीछे हैं। अब किसी को स्वीकार हो या नहीं स्वीकार हो।
वहीं जब पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री से पूछा गया कि एक राजनीतिक पार्टी है, जिसने जाति जनगणना की बात कही है, इस देश में जाति जनगणना होनी चाहिए, जिसकी जितनी संख्या हो उसको उतने अधिकार मिलने चाहिए। इसलिए बीजेपी यह लेकर आई, आर एस एस नारा लेकर आई की ‘एक हैं तो सेफ हैं, बंटेंगे तो कटेंगे’ क्या आप इस एजेंडा को लेकर आगे निकल पड़े?
इसका जवाब देते हुए धीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि यह दोनों विषय बहुत बाद में आए। हमारा संकल्प बहुत पहले से चल रहा है, हम गुरू पूर्णिमा को जुलाई में तय कर चुके थे कि इस तारीख तक भेदभाव मिटाने के लिए हम पदयात्रा करेंगे यह तय हो गया था। इस विषय पवर हम सामाजिक समरसता के मंचों पर चर्चा दो साल पहले से कर रहे हैं। बाकी के विषय अभी आए हैं। वह उनका राजनीतिक प्रोपेगेंडा है। हम चाहते हैं जाति जनगणना हो चाहे ना हो उससे हमें कोई मतलब नहीं है हम चाहते हैं कि भारत का अहित नहीं होना चाहिए।भारत में कहीं युद्ध नहीं होना चाहिए, जातियों के नाम पर कहीं युद्ध नहीं होना चाहिए, भेदभाव के नाम पर नहीं होना चाहिए, जनगणना आप कर सकते हो जनसंख्या के लिए जनगणना जरूरी है क्योंकि उसी के आधार पर बहुत सारे विकास के रास्ते तय होते हैं।जनसंख्या की गणना जरूरी है लेकिन जाति जनगणना का मतलब है कि गृह युद्ध की तरफ जाना। हम गृह युद्ध नहीं चाहते हैं, ना हम भाजपा के साथ हैं, ना हम कांग्रेस के साथ हैं, ना हम सपा के हैं, ना हम बसपा के हैं। हम तो हनुमान जी के साथ हैं। हम हिंदुओं के हैं और हम हिंदू हित की बात करते हैं और बाकी राजनेता जो हैं वह अपना काम कर रहे हैं हम अपना काम कर रहे हैं।
तेल लगा लो डाबर का नाम मिटा दो बाबर का, या चादर और फादर की बात हमें नहीं मानना चाहिए तो इस तरीके के जो नारे आप लगते हैं, तो क्या आप युवा लोगों को अट्रैक्ट करने के लिए इस तरह के नारे लगाते हैं या फिर जो आरोप आप पर लगते हैं कि आप समाज को दो खंड करना चाहते हैं?
इस पर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने कहा कि आरोप तो सब पर लगता है, मुझ पर लगता है मीडिया पर भी आरोप लगता है। आरोप के लिए सब का मुंह स्वतंत्र है, भारत देश 1947 में स्वतंत्र हो गया, इसलिए सबको बोलने की आजादी है। आरोप तो कुछ भी लगा देना होता है, लेकिन हमने सही कहा ‘तेल लगा लो डाबर का नाम मिटा दो बाबर का’ क्योंकि यह देश बाबर का नहीं है, रघुवर का है। अकबर महान नहीं इस देश में रघुवर महान हैं। स्वामी विवेकानंद, रामकृष्ण परमहंस, प्रभु श्री राम, भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद राजगुरु सुखदेव, जिन्होंने मोहम्मद गौरी को लाइन पर लगा दिया। ऐसे महापुरुषों को जिन्होंने बाबर को ठिकाने लगा दिया, जिन्होंने मुगलों के अत्याचारों को सहा लेकिन अपने प्राणों को बलिदान देकर देश के हिंदुओं को बचाया। हम चाहते हैं कि देश में उनका नाम होना चाहिए क्योंकि यह देश अकबर का नहीं रघुवर का है। यह देश महर्षि वाल्मीकि का है, यह देश स्वामी विवेकानंद का है, यह देश शिवाजी महाराज का है, यह देश महाराणा प्रताप का है, इन पर चर्चा क्यों नहीं होती। इनको आप इतिहास में छुपाते हो और बाबर के नाम पर चर्चा करते हो। और नारा देते हैं कि सर तन से जुदा कर देंगे और नारा देते हैं कि गजवा ए हिंद होगा, तो हमने कहा कि गजवा ए हिंद होगा तो भगवाए हिंद होगा। वह कहते हैं की बावरी मस्जिद रहेगी तब हम कहते हैं कि तेल लगाएंगे डाबर का नाम मिटाएंगे बाबर का। अब किसी को दिक्कत है तो वह गोली खा ले लेकिन हम नहीं सुधरने वाले नहीं हैं।
आपने कहा कि ना हम अभिनेता हैं ना नेता हैं ना इस पक्ष में हैं ना उस पक्ष में हैं लेकिन आपकी यात्रा में कई नेता अभिनेता भी आए तो इनको आपको अपने साथ जोड़ने का क्या मकसद है।
इस पर धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने कहा कि हिंदू भारत का ही है, सनातन सबका है हिंदू सबका है, नेता अभिनेता भी इसी देश के हैं , अगर उनका जमीर जिंदा होगा तो आएगा नेता अभिनेता इसी देश के हैं, वह क्यों नहीं हिंदुत्व के बात कर सकते, वह हमारे परिवार के सदस्य हैं। वह हमारे परिवार के सदस्य हैं वह सब सनातन के सदस्य हैं और सनातन के लिए अगर कोई उठ करके आ रहा है तो किसी को खुजली क्यों?
वहीं जब धीरेंद्र शास्त्री से पूछा गया कि आपके गुरु स्वामी रामभद्राचार्य ने कहा है कि जल्द ही आपका विवाह कर देंगे। इस पर धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने हंसते हुए कहा कि कोई योग्य लड़की ही नहीं मिल रही है। फिर उन्होंने कहा कि यह तो हंसी की बात हैं, सच तो यह है कि हमारे गुरूजी और हमारी माताजी आदेश करेंगी, तो उसका पालन होगा गृहस्थ जीवन भी कोई अपराध नहीं है और उनका आदेश होगा तो हम जरूर गृहस्थ जीवन व्यतीत करेंगे।
वहीं जब धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री से पूछा गया कि क्या आपने कभी इस देश के लिए भी पर्ची निकाला है? तो उन्होंने कहा कहा उन्होंने सीधा कहा कि हां हमने पर्ची निकाल करके ही इस देश के लिए यात्रा की शुरुआत की है, क्योंकि इस देश में बहुत विघटन हो रहा है, पर्ची का चमत्कार सिर्फ उसके लिए है कि वह किसी और के चक्कर में ना पड़े। बाकी हमारा उद्देश्य सिर्फ राष्ट्रहित है, हमारा उद्देश्य सिर्फ हिंदुत्व का है, हमारा उद्देश्य सिर्फ देश को बचाने का है, हमारा उद्देश्य इस देश के हिंदुओं को जगाने का है, हम सिर्फ जगाने आए हैं। हम सिर्फ एकता संदेश फैलाने आए हैं, ना हम किसी को मारने आए हैं ना हम तलवारों की लड़ाई पर भरोसा करते हैं, हम विचारों की लड़ाई पर भरोसा करते हैं। पर्ची ही इस देश की स्थिति बता रही है, बहराइच की घटना हो, चाहे मणिपुर की घटना, कोलकाता के घटना, कन्हैयालाल दर्जी की घटना, बहुत सारी ऐसी घटनाएं हैं जो इस देश की स्थिति को बता रही हैं। फिर भी हिंदू चुप रहे फिर भी वह सेकुलर बने रहे फिर भी वह कहता है कि नहीं सब ठीक है। बांग्लादेश में आप जाकर स्थिति देख लो सीधे हिंदू मारे जा रहे हैं। बस इसी के लिए हम सबको जागना चाहते हैं, ना हमें नेता बनना है ना हमें किसी पार्टी को समर्थन करना है, हमें सिर्फ इस देश के लोगों को जगाना है, कम से कम हम लोग इतने अलर्ट हो किसी के घर पर कोई पथराव ना कर सके। कल संभल में पथराव किया, उन्होंने कहा कि जिस दिन वह आ गए, वह केवल वही रहेंगे ना इस देश में कोई धर्म बचेगा ना तो कोई लोग बचेंगे। सिर्फ वहीं लोग रहेंगे। उन्होंने कहा कि एक दिन वह आ सकता है उसे देश में ना तो अवसर रहेंगे, ना मीडिया रहेगी, न देश में कोई सिंधी नजर आएगा, ना सिख, ना ही हिंदू कोई नहीं बचेगा। केवल वही रहेंगे या फिर उनके मजहब को आपको स्वीकार करना पड़ेगा। इसीलिए हम चिंतित हैं, यही हमारी परेशानी की वजह है। वरना हमें अपनी जान को हथेली में लेकर 160 किलोमीटर तक पैदल चलने की हमें क्या पड़ी है।
वहीं आगे की योजना बताते हुए धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने कहा कि जहां-जहां हिंदुओं में बिखराव है, हम वहां जाएंगे हम देश के हर कोने में जाएंगे दूसरी यात्रा हम वृंदावन से दिल्ली तक करने वाले हैं। एक लखनऊ से अयोध्या तक करने वाले हैं, एक यात्रा छत्तीसगढ़ में भी करेंगे, एक यात्रा हम तिरुपति से बालाजी तक करेंगे। जहां जहां भी हिंदू बिखरा हुआ रहेगा, वहां हम उनको जाकर के हम पदयात्रा करेंगे और उनके अस्तित्व को जगाएंगे।