Reported By: Amit Verma
,धार। Basant Panchami 2024: धार की प्राचीन धरोहर राजा भोज कालीन संस्कृत महाविद्यालय माने जाने वाली भोजशाला में बसंत पंचमी पर्व पर आज सूर्योदय के साथ ही दर्शन पूजन एवं हवन का दोर शुरू हो गया जो सूर्यास्त तक चलेगा। इसके साथ ही आज से चार दिवसीय बसंत महोत्सव का भी शुभारंभ हो गया है और इसी कड़ी में धार का गौरव दिवस भी मनाया जा रहा है। आज सूर्योदय के साथ प्राचीन भोजशाला में माँ वाग्देवी सरस्वती के दर्शन पूजन को लेकर श्रद्धालुओं के आने का सिलसिला शुरू हुआ। हर कोई ज्ञान की देवी मां वाग्देवी के दर्शन पूजन कर हवन कुंड में अपनी आहुति डालने को आतुर दिखा। अल सुबह से ही भोजशाला में आयोजित बसंत पंचमी महोत्सव को लेकर नगर में उत्साह का वातावरण है और बड़ी संख्या में श्रद्धालु भोजशाला में पहुंच रहे हैं। इस दौरान भोज उत्सव समिति द्वारा भोजशाला को भगवा पताकाओ के साथ ही फूलों की मालाओं से सजाया संवारा गया है।
कैसे हुआ था मंदिर का निर्माण
वहीं पुलिस प्रशासन द्वारा भी आयोजन की सुरक्षा को देखते हुए भारी तादाद में भोजशाला सहित धार शहर में सुरक्षा के इंतजाम किए गए हैं तथा सीसीटीवी कैमरे के माध्यम से भी निगाहे रखी जा रही है। बता दें कि प्रत्येक शुक्रवार मुस्लिम समाज यहां नमाज पढ़ता है तो मंगलवार को हिंदू समाज दर्शन पूजन के साथ हनुमान चालीसा का आयोजन करता है। वहीं इतिहासकारों के अनुसार उक्त भोजशाला माँ सरस्वती के उपासक राजा भोज द्वारा बनाई गई थी और यहां पर संस्कृत सहित विभिन्न भाषाओं में दुनिया भर से आए विद्यार्थी ज्ञान प्राप्त करते थे। इसके बाद 1305 ईस्वी में अलाउद्दीन खिलजी ने भोजशाला को ध्वस्त कर दिया था बाद में दिलावर खां गौरी ने 1401 ईस्वी में उन्हीं अवशेषों से भोजशाला के एक भाग में मस्जिद बनवा दी।
वहीं 1514 ईस्वी में महमूद शाह खिलजी ने शेष भाग पर भी मस्जिद बनवा दी थी , जिसके बाद से भोजशाला की मुक्ति को लेकर हिन्दू समाज द्वारा लगातार आंदोलन जारी रहा और अंग्रेजों के शासनकाल में यहां से मां वाग्देवी सरस्वती की मूर्ति को लंदन ले जाया गया था , जिसको लाने को लेकर भी तमाम राजनीतिक प्रयास भी जारी है और भोजशाला मुक्ति को लेकर कई बार धार विवादों में रहा है।
Basant Panchami 2024: वहीं भोजशाला में प्रतिवर्ष वसंत पंचमी पर वर्षों से भोज उत्सव समिति द्वारा भोज महोत्सव अंतर्गत आयोजन किए जाते आ रहे हैं जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु भाग लेते हैं वहीं आज बसंत पंचमी पर सुबह से दर्शन पूजन के बाद दोपहर में 12 बजे मां वाग्देवी के तेल चित्र के साथ भव्य शोभा यात्रा निकाली जाएगी। इसके बाद एक धर्म सभा का भी आयोजन होगा और चार दिनों तक लगातार समिति द्वारा आयोजित विभिन्न कार्यक्रम होंगे।