Dewas Lok Sabha Chunav 2024 : देवास। मध्य प्रदेश की देवास लोकसभा सीट देश की महत्वपूर्ण सीटों में से एक है। इस सीट से देश के कई दिग्गज नेता सांसद रह चुके हैं। देवास लोकसभा में देवास जिले के अलावा सीहोर, शाजापुर और आगर मालवा जिले के हिस्से आते हैं। 2008 में परिसीमन के बाद आयोग की सिफारिश के बाद इस लोकसभा सीट का गठन किया गया था। देवास लोकसभा सीट की राजनीति इंदौर से बेहद प्रभावित रहती है। टोटल 8 कैंडिटेट्स और एक नोटा जिनमे महेंद्र सिंह सोलंकी बीजेपी v/s राजेंद्र मालवीय कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला क्यों की अब तक अन्य कोई दल व्यक्ति अपनी जगह नहीं बना सके है।
मतदान के लिए- 20309 पोलिंग बूथों केंद्र तैयार
Dewas Lok Sabha Chunav 2024 : समीकरण और मुद्दे- रोजगार एक प्रमुख मुद्दा , नए और उद्योग के लिए अपेक्षित, मेडिकल कॉलेज की लंबे समय से मांगो के साथ हायर एजुकेशन को लेकर कॉलेज का ना होना प्रमुख मुद्दा। रोड़ बिजली पानी जेसे बेसिक मूल भूत सुविधाओ जेसे विषय के मुद्दो अहम चुनावी एजेंडे में सामिल ना होकर राष्ट्र निर्माण में विकसित भारत के मुद्दो पर वोटर को लुभाया जा रहा है।।धार्मिक मुद्दे के आधार पर भाजपा राम नाम के साथ जमीनी धार्मिक पेठ बना रही है जिसमे ओबीसी एसटीएससी वर्ग को फोकस किया जा रहा है, क्यों की इस वर्ग के वोटर कांग्रेस को समर्पित होते थे, इसीलिए बार भाजपा की वर्ग को साधने के प्रयास जुटी है। महिलाओं को समर्पित योजनाओं का प्रचार प्रसार और उनको आरक्षण मिलने के मुद्दे पर जा भाजपा खुलकर महिलाओं के पक्ष में अपने सफल कार्यकाल का बखान कर रही है तो वहीं कांग्रेस सरकार बनने पर महिलाओं हितेषी योजनाओं पर काम करने की लिए आश्वासन देते नजर आ रही है।।
जब देवास उज्जैन संसदीय सीट का हिस्सा था, तब उज्जैन के हुकुमचंद कछवाय सांसद रहे। जब यह इंदौर लोकसभा सीट में आता था तो इंदौर के प्रकाश चंद्र सेठी सांसद रहे। उनके कार्यकाल में देवास को बैंक नोट प्रेस सहित अन्य कई उपक्रम मिले थे।
इसके बाद सांसद बने फूलचंद वर्मा, थावरचंद गेहलोत और मनोहर ऊंटवाल भी देवास से नहीं थे। वर्तमान सांसद महेंद्र सिंह सोलंकी देवास विधानसभा क्षेत्र के निवासी जरूर हैं, लेकिन जज रहते हुए अधिकाश बाहर ही रहे है ।
स्वतंत्रता के बाद देवास संसदीय सीट पर शुरू में कांग्रेस का दबदबा रहा, लेकिन वर्ष 1962 के बाद से ही इस सीट की तासीर बदलती गई। जनसंघ की विचारधारा मतदाताओं के दिलों में घर कर गई। ग्वालियर रियासत का हिस्सा होने की वजह से राजमाता विजयाराजे सिंधिया का प्रभाव भी यहां रहा। उनके समय में देवास और शाजापुर संघ का गढ़ हुआ करते था।
पहले ग्वालियर रियासत में आने वाली सुसनेर विधानसभा इस सीट में शामिल थी। वर्ष 1962 के बाद केवल वर्ष 1984 में बापूलाल मालवीय व वर्ष 2009 में सज्जन सिंह वर्मा ही कांग्रेस से जीत पाए।
वर्ष 1951 में जब पहली बार आम चुनाव हुए। तब मध्य भारत के नाम से ही इस क्षेत्र की पहचान थी। पहले चुनाव में लोकसभा सीट को शाजापुर-राजगढ़ संसदीय क्षेत्र नाम दिया गया। शुजालपुर निवासी लीलाधर जोशी और शाजापुर के भागीरथ मालवीय सांसद चुने गए।
वर्ष 1956 में मध्य प्रदेश का गठन होने के बाद 1957 में लोकसभा चुनाव हुए। 1967 से यह शाजापुर-देवास संसदीय सीट रही, जिसमें देवास का आधा हिस्सा जोड़ दिया गया। वर्तमान देवास सीट एससी वर्ग के लिए आरक्षित है।
मध्य भारत के पहले प्रधानमंत्री भी यहीं से चुने गए। शुरू में कांग्रेस ने इस क्षेत्र को जीतने के लिए कई तरह के प्रयोग किए, लेकिन सफलता नहीं मिल सकी। शुजालपुर के रहने वाले लीलाधर जोशी को मध्य भारत के पहले प्रधानमंत्री के रूप में चुना गया। दरअसल, उस समय मुख्यमंत्री पदनाम चलन में नहीं था। किसी भी स्टेट के मुखिया को प्रधानमंत्री के तौर पर ही जाना जाता था।
देवास में नजदीकी मुकाबला भी कम रहता है देवास लोकसभा सीट पर जीतने और हारने वाले प्रत्याशियों के बीच मुकाबला कभी भी नजदीकी नहीं रहा। यहां जीत का अंतर बड़ा ही होता है। वोट प्रतिशत के लिहाज से देखा जाए तो जीत का सबसे कम अंतर 1957 में 1.2 प्रतिशत रहा। इसके बाद जीत का अंतर हमेशा ज्यादा ही रहा।
वर्ष 2014 के चुनाव में तो जीत का अंतर 24.5 प्रतिशत पर पहुंच गया। इसी तरह वर्ष 2019 में भाजपा के महेंद्र सिंह सोलंकी ने कांग्रेस प्रत्याशी प्रहलाद सिंह टिपानिया को 3.7 लाख से अधिक वोटों से हराया।
वर्तमान 2024 लोकसभा चुनाव की बात करें तो भाजपा ने राजनीति से पहले जज रह चुके वर्तमान सांसद महेंद्र सिंह सोलंकी को 2019 के बाद अब 2024 में एक बार फिर भाजपा ने मौका दिया है। वहीं कांग्रेस ने पूर्व प्रदेश अध्यक्ष राधा कृष्ण मालवीय के पुत्र राजेंद्र मालवीय को मैदान में उतारा है। राजेंद्र मालवीय इसके पूर्व में 2 बार कांग्रेस के टिकिट विधायक चुनाव लड़ कर हार चुके है ऐसे में फिर विकल्प नहीं के स्थिति यह नाम तय किया होगा। वैसे बात करे यहां अन्य कोई राजनीतिक दल की तो अब तक कोई भी अपनी जगह नहीं बना पाया है ऐसे में यहा सीधा मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच ही है। यहां जातिगत समीकरणों के आधार पर St आरक्षित सीट पर बलाई समाज का बड़ा बोर्ड बैंक है।कही न कही उसी के चलते वर्तमान में कांग्रेस और भाजपा दोनों प्रमुख दलों ने इसी बहुलय समाज से अपने प्रत्याशियों टिकिट दिया।
महेंद्र सिंह सोलंकी (भाजपा)
राजेंद्र मालवीय (कांग्रेस)
अन्य 8 और अन्य दल व निर्दलीय प्रत्याशी चुनाव मैदान में
कुल वोटर – लगभग 19 लाख 40
4 जिले से मिली लोकसभा सीट देवास,सीहोर,आगर मालवा,शाजापुर में फैली
साथ यह लोक सभा सीट 8 विधानसभा में फैली है,उनके – आष्टा, आगर मालवा, शाजापुर, शुजालपुर, कालापीपल, सोनकच्छ, देवास, हाटपिपल्या ।
आष्टा (एससी) – गोपाल सिंह (भाजपा)
आगर (एससी)- माधव सिंह गहलोत (भाजपा)
शाजापुर – अरुण भीमावद (भाजपा)
शुजालपुर – इंदर सिंह परमार (भाजपा)
कालापीपल – घनश्याम चद्रवंशी (भाजपा)
सोनकच्छ – राजेश सोनकर (भाजपा)
देवास – गायत्री राजे पवार (भाजपा)
हाटपिपल्या – मनोज चौधरी (भाजपा)
पिछले लोकसभा चुनाव का हाल और (2009,2014,2019 में जितने वाले सांसद
2009 – सज्जन सिंह वर्मा, कांग्रेस के उम्मीदवार ने भाजपा के उम्मीदवार थावरचंद गेहलोत को 15457 वोट से हराया
2014 – मनोहर ऊंटवाल, भाजपा के उम्मीदवार ने कांग्रेस के उम्मीदवार सज्जन सिंह वर्मा को 260313 वोट से हराया
2019 – महेंद्र सिंह सोलंकी, भाजपा के उम्मीदवार ने कांग्रेस के उम्मीदवार प्रह्लाद सिंह टिपणिया को 372249 वोट से हराया
स्वर्ण मतदाता – 30.68 प्रतिशत
अल्पसंख्यक – 17.83 प्रतिशत
अनुसूचित जाति – 18.25 प्रतिशत
अनुसूचित जनजाति – 4.63 प्रतिशत
अन्य पिछड़ा वर्ग – 28.61 प्रतिशत
– इस लोकसभा सीट का नाम 2009 के पहले तक शाजापुर था, लेकिन इसे बदलकर देवास-शाजापुर लोकसभा सीट कर दिया गया है. इस बीच परिसीमन भी हुआ. लेकिन मतदाताओं का मिजाज ज्यादा नहीं बदला.