मां चंडी के दरबार में आने वाले भक्तों को मारा जाता है पत्थर, गोटमार मेले में उमड़ती है भीड़

gotmar fair: मां चंडी के दरबार में आने वाले भक्तों को मारा जाता है पत्थर, गोटमार मेले में उमड़ती है भीड़, जानें...

  •  
  • Publish Date - August 27, 2022 / 01:49 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 07:49 PM IST

gotmar fair: छिंदवाड़ा। छिंदवाड़ा पांढुर्ना का विश्व प्रसिद्ध गोटमार मेला शनिवार को मां चंडी की पूजा अर्चना के साथ शुरू हो गया। यहां सुबह 7 बजे पहले पांढुर्णा और सावरगांव पक्ष के लोगों के द्वारा पहले मां चंडी देवी की पूजा अर्चना की गई। उसके बाद नदी में पेड़ के साथ झंडा लगाया गया और पूजा के साथ यहां गोटमार शुरू हो गया। मराठी भाषा में गोटमार का अर्थ पत्थर मारना होता है।

ये भी पढ़ें- जनता को फिर लगने वाला है महंगाई का झटका, 1 सितंबर से महंगी होने जा रही रोजमर्रा की ये चीजें, बैंक अकाउंट भी हो सकते है बंद

पत्थर मारकर मेले की हुई शुरूआत

gotmar fair: मेले को देखने के लिए काफी संख्या में है लोग पांढुर्ना पहुंच गए हैं। वहीं भारी पुलिस बल भी यहां तैनात है। जाम नदी के दोनों ओर लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा है और ढोल – बाजे के साथ सावरगांव और पांढुर्णा पक्ष के लोग एक दूसरे को पत्थर मारकर मेले की शुरूआत की।

ये भी पढ़ें- गिलहरी बनी 5 मौतों का कारण, ऐसे हुआ मामले का खुलासा

रात को ही बरसने लगे थे पत्थर

gotmar fair:पोला पर्व के साथ ही पांढुर्ना में शुक्रवार को देर शाम को गोटमार शुरू हो गया था। जिसमें कुछ लोग पत्थर मारते नजर आए। इस दिन काफी उत्साह देखने को मिला। लेकिन इस दौरान खूब उन्माद हुआ दोनों तरफ से जमकर पत्थर चले। पत्थरबाजी में दोनों तरफ के 26 लोग घायल हुए है जिनमें से एक की हालत नाजुक है। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में सभी घायलों का इलाज जारी है।

ये भी पढ़ें- बिजनेस वूमन चलाएगी अब प्रदेश की सत्ता! मुख्यमंत्री पद की प्रबल दावेदार है ये महिला

गोटमार मेले का महत्व

gotmar fair: छिंदवाड़ा के पांढुर्णा के मुख्यालय में गोटमार मेला नाम से एक अनूठा मेला हर साल भाद्रपद अमावस्या के दूसरे दिन मनाया जाता है। यह मेला ‘जाम’ नदी के तट पर मनाया जाता है। जिसमें एक लंबे पेड़ को नदी के बीच में एक झंडे के साथ खड़ा किया जाता है। गांवों के निवासी ‘सावरगांव’ और ‘पांढुर्ना’ नदी के दोनों किनारों पर इकट्ठा होते हैं, और एक दूसरे के उपर पथराव करते हैं। इसी दौरान नदी के बीच पेड़ के तने के ऊपर जाकर झंडा हटाने की कोशिश करते हैं। जिस गांव का निवासी झंडा हटाने में सफल होता है, उसे विजयी माना जाएगा। पूरी गतिविधि मां दुर्गाजी के पवित्र नाम के जप के बीच होती है।

IBC24 की अन्य बड़ी खबरों के लिए यहां क्लिक करें