भोपाल, 24 दिसंबर (भाषा) कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य दिग्विजय सिंह ने मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर मध्यप्रदेश परिवहन विभाग में भ्रष्टाचार की जांच उच्च न्यायालय के मौजूदा न्यायाधीश से कराने की मांग की।
मध्यप्रदेश लोकायुक्त के विशेष पुलिस प्रतिष्ठान ने इस सप्ताह की शुरुआत में विभाग के एक पूर्व आरक्षक की संपत्तियों की तलाशी ली और रियल एस्टेट निवेश से संबंधित दस्तावेजों के अलावा करीब आठ करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की।
सिंह ने प्रधानमंत्री को लिखे अपने पत्र को यहां मीडिया के साथ साझा किया।
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि गोविंद राजपूत को परिवहन मंत्री नियुक्त करने के लिए तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ पर दबाव था। राजपूत उन कांग्रेस नेताओं में से एक थे, जो ज्योतिरादित्य सिंधिया के नेतृत्व में मार्च 2020 में भाजपा में शामिल हुए और कमलनाथ के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार के गिरने का कारण बने।
राजपूत टिप्पणी के लिए तुरंत उपलब्ध नहीं थे।
सिंह ने अपने पत्र में कहा, ‘मैं मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की निगरानी में परिवहन घोटाले की जांच की मांग करता हूं। जांच के दौरान मिली बेनामी संपत्तियों को जब्त किया जाना चाहिए और धन को सरकारी खजाने में जमा किया जाना चाहिए।’
पूर्व मुख्यमंत्री ने मांग की कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को भी इस मामले में धन शोधन निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज करना चाहिए।
सिंह के पत्र में कई लोगों के नाम हैं और परिवहन विभाग द्वारा लगाए गए ‘चेक बैरियर’ पर भ्रष्टाचार की भी बात कही गई है।
लोकायुक्त पुलिस के अनुसार, 19 दिसंबर को पूर्व आरक्षक सौरभ शर्मा के आवास पर तीन करोड़ रुपये नकद और 200 किलोग्राम चांदी तथा बेनामी संपत्तियों के दस्तावेज मिले थे।
कांग्रेस नेता ने दावा किया कि आरक्षक के एक सहयोगी की कार से 52 किलोग्राम सोना और 11 करोड़ रुपये नकद मिले थे और आयकर विभाग ने एक डायरी जब्त की है जिसमें अधिकारियों, राजनीतिक नेताओं और व्यापारियों के नाम दर्ज हैं।
सिंह के आरोपों के बारे में पूछे जाने पर मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कहा, ‘हमारी सरकार ने भ्रष्टाचार से लड़ने की नीति जारी रखी है। हमने ‘चेक बैरियर’ बंद कर दिए हैं। हम हर स्तर पर भ्रष्टाचार के खिलाफ हैं।’
भाषा दिमो नोमान
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