भोपाल : Face to Face Madhya Pradesh : कर्नाटक में बजरंग दल पर बैन का मुद्दा अब एमपी की सियासत को गरमा रहा है। जमीयत उलेमा हिंद के अध्यक्ष अरशद मदनी ने कर्नाटक कांग्रेस से अपना वादा पूरा करते हुए बजरंग दल पर बैन लगाने की मांग की है। जिसके बाद मध्यप्रदेश में बीजेपी-कांग्रेस एक दूसरे पर धर्म की राजनीति के आरोप लगा रहे हैं। अब सवाल है कि कर्नाटक के बाद क्या MP में चुनावी एजेंडा बनेगा ‘बैन’? सवाल ये भी कि सियासी मुद्दे में मदनी के उलझने के मायने क्या ?
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Face to Face Madhya Pradesh : कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार बनते ही क्या अब बजरंग दल पर बैन लगेगा? सियासी गलियारो में ये सवाल अभी भी चर्चा में है। इसी बीच जमीयत उलेमा हिंद के अध्यक्ष अरशद मदनी ने कांग्रेस से अपना वादा पूरा करने की मांग कर सियासत को हवा दे दी है। जिसे लेकर मध्यप्रदेश में सियासी बयानबाजी तेज है। बीजेपी और कांग्रेस आमने-सामने हैं।
मौलाना मदनी का बयान सामने आते ही बीजेपी की तरफ से गृहमंत्री नरोत्म मिश्रा ने मोर्चा संभाला और मौलाना को कांग्रेस का सलाहकार बता दिया। साथ ही तंज कसते हुए कहा कि स्पष्ट हो चुका है, कांग्रेस किसकी सलाह पर चल रही।
Face to Face Madhya Pradesh : इधर बीजेपी विधायक रामेश्वर शर्मा बजरंद दल की बजाय इस्लामिक जेहादी मानसिकता पर बैन लगाने की वकालत कर रहे हैं। तो कांग्रेस कह रही है कि बीजेपी संवेदनशील विषयों को चुनावी मुद्दा बना रही।
मध्यप्रदेश में करीब 5 महीने बाद बाद विधानसभा के चुनाव है। मुद्दा भले ही कर्नाटक का हो या दिल्ली का धर्म और धार्मिक मुद्दों की गूंज मध्यप्रदेश में भी सुनाई देगी। अब इस लडाई का अंजाम क्या होगा ये तो भविष्य में छिपा है।