भोपालः कहीं भी किसी योजना की शुरुआत सरकार करती है लेकिन एमपी में विपक्षी दल ने योजना शुरू कर दी है। देश में संभवत ये पहला मामला है कि कोई दल सत्ता में नहीं है फिर भी योजना लेकर आ रही है। PCC चीफ कमलनाथ ने छिंदवाड़ा से नारी सम्मान योजना शुरू की है। इसे BJP सरकार की लाडली बहना की काट के तौर पर देखा जा रहा है। BJP ने भी तू डाल-डाल, तो मैं पात-पात की नीति अपनाते हुए डिफॉल्टर किसानों की ब्याज माफी का ऐलान कर दिया। जाहिर है चुनावी साल है तो सौगातों और घोषणाओं की झड़ी लगती रहेगी लेकिन सवाल है कि करीब साढ़े तीन लाख करोड़ के कर्ज से जूझ रही सरकार के खजाने पर इससे कितना बोझ बढ़ेगा और सवाल ये भी है कि विपक्ष की योजनाएं क्या महज सब्जबाग हैं?
दरअसल, चुनावी साल में सरकार और विपक्ष दोनों की हर वर्ग को साधने में जुटा हुआ है। महिलाओं के लिए लाडली बहना योजना के मास्टर स्ट्रोक के बाद अब शिवराज सरकार ने किसानों पर बड़ा दांव खेला है। कैबिनेट की बैठक में डिफॉल्टर किसानों के दो लाख रुपए तक के ब्याज माफ करने को मंजूरी मिली है। इससे 11 लाख 19 हजार किसानों को सीधे फायदा होगा और 2 करोड़ 20 लाख से ज्यादा किसानों के बीच सरकार की इमेज बिल्डिंग होगी।
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इधर, कांग्रेस ने बीजेपी की लाडली बहना योजना के जवाब में नारी सम्मान योजना लॉन्च किया है। इसके तहत महिलाओं को हर महीने 1500 रुपए और सिर्फ 500 रुपए में घरेलू गैस सिलेंडर देने की घोषणा की गई है।
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ये अपनी तरह का पहला मामला है, जिसमें विपक्ष कोई योजना लॉन्च कर रहा हो। लिहाजा बीजेपी ने कांग्रेस की घेराबंदी के लिए तीन पूर्व महिला मंत्रियों को मोर्चे पर उतार दिया। चुनावी साल में एक से बढ़कर एक सौगातें बांटी जा रही हैं। लेकिन ये सौगातें महज चुनावी रेवड़ियां हैं या फिर वाकई इससे आम जनता का भला होगा? जनता के जेहन में ये भी सवाल है कि इन सौगातों के लिए पैसे कहां से आएंगे, जिसका जवाब सियासी दलों को स्पष्ट करना चाहिए।