भोपालः मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस और बीजेपी जातियों को साधने में जुट गए हैं। कांग्रेस प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने चुनाव से पहले जातिगत समीकरणों की मैपिंग कराने का फैसला लिया है। बीजेपी ओबीसी आरक्षण के बहाने ये मैपिंग पहले ही करा चुकी है। कांग्रेस ने इसके लिए पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव को सभी 230 सीटों के सामाजिक और जातिगत समीकरणों की मैपिंग की जिम्मेदारी दी है। जिसे बीजेपी नकल बता रही है।
चुनाव में जातिगत वोट बैंक की अहमियत क्या है ये सियासी दलों से बेहतर भला कौन जानता है। यही वजह है कि कांग्रेस मिशन 2023 के चुनाव के लिए जातियों को साधने में लगी है। कांग्रेस के भरोसेमंद सूत्रों की माने तो कमलनाथ प्रदेश की सभी विधानसभा सीटों का सर्वे करीब चार महीने पहले करा चुके हैं। अब कांग्रेस सभी सीटों का सामाजिक और जातिगत आधार पर अध्ययन कर एक रिपोर्ट तैयार कर रही है। जिसकी जिम्मेदारी पूर्व प्रदेशाध्यक्ष अरुण यादव को दी गई है।
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कांग्रेस जो जानकारी जुटा रही है उसमें जातियों के झुकाव और उनके मुखिया के राजनीतिक संबंधों को खंगाला जा रहा है। रिपोर्ट में पूछा जा रहा है कि उस सीट के सभी समाजों और जातियों की आबादी के साथ ही उनके मुखिया का झुकाव किस राजनीतिक दल की ओर है। इसके अलावा कांग्रेस की कोशिश है हर विधानसभा क्षेत्र में पिछली बार के ऐसे निर्दलीय उम्मीदवारों को टटोला जाए। जिन्हें अच्छे-खासे वोट मिले थे। अलग-अलग जातियों के महापुरुषों और प्रमुख हस्तियों से जुड़ाव के लिए कार्यक्रम बनाए जाएं। जिस तरह उत्तरप्रदेश में अमित शाह ने बीजेपी के लिए जीत की जमीन तैयार की थी, उसी तरह यहां भी मैपिंग की जाए। बीजेपी कांग्रेस की इस मैपिंग को खुद की नकल बता रही है।
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कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव ओबीसी वर्ग से आते हैं जिसकी प्रदेश में संख्या सबसे ज्यादा है। लिहाजा कांग्रेस ने उन्हें इस अभियान का प्रमुख बनाकर बड़ा दांव खेला है। कांग्रेस को उम्मीद है कि इससे पार्टी को चुनाव में फायदा मिलेगा।