छतरपुर। जिले में सामुदायिक स्वास्थ केंद्र में अंदर से ताला लगा होने और स्वास्थ कर्मियों के न होने की वजह से 40 मिनिट के इंतजार के चलते प्रसव पीड़िता के दौरान बेटी को एंबुलेंस में ही जन्म देने की सनसनीखेज घटना सामने आई है। छतरपुर जिले की लचर स्वास्थ्य सेवाओं को बयान करती तस्वीर सामने आ रही है, जिसमें स्वास्थ्य कर्मियों के इंतजार में बेटी ने एंबुलेंस में भी जन्म ले लिया है। इस घटना ने जिले की समस्त व्यवस्थाओं पर सवालिया निशान लगाया है।
जो वीडियो सामने आए हैं उसमें साफ दिखाई दे रहा है कि प्रसूता महिला का पति अपने होने वाले बच्चे को स्वस्थ तरीके से जन्म दिलाने के लिए किस प्रकार मातगुआ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के दरवाजे पर हाथ पैर पटक रहा है, जबकि वहां दरवाजे पर अंदर से ताला लगाकर कर्मचारी किसी दूसरे रास्ते से रफूचक्कर हो चुके हैं। छतरपुर के मातगुआं क्षेत्र के गांव मानपुरा में महिला को प्रसव पीड़ा के बाद 108 एंबुलेंस के द्वारा मातगुआं सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लाया गया था, लेकिन कर्मचारी अंदर से ताला लगाकर किसी तरह रफूचक्कर थे। लगभग 40 मिनट तक परिजन स्वास्थ्य सेवाओं के लिए स्वास्थ्य कर्मियों को बुलाते रहे, लेकिन किसी ने भी वहां उनकी आपबीती नहीं सुनी।
आखिर में प्रसव पीड़ा बढ़ती देख परिजन उक्त एंबुलेंस को पास के लगभग 5 किलोमीटर दूर अनगौर के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले गए। जहां स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध मिली, लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी थी। प्रसव पीड़ा के चलते महिला ने एंबुलेंस में ही बच्ची को जन्म दे दिया और और उसके बाद 108 एंबुलेंस के कर्मचारियों और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के कर्मचारियों की मदद से जच्चा और बच्चा को वहां भर्ती कराया गया है, जहां इनका प्राथमिक इलाज किया जा रहा है। बड़ा सवाल यह है कि अगर एंबुलेंस में हुई इस डिलीवरी में कोई अनहोनी हो जाती तो उसका जिम्मेदार कौन होता..? IBC24 से अभिषेक सिंह सेंगर की रिपोर्ट
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