छतरपुर: Dhirendra Shastri Ultimatum उत्तर प्रदेश में कांवड़ यात्रा शुरू होने से पहले ही दुकानों के नेम प्लेट को लेकर विवाद हो गया है, जो अब सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा गया है। मामले में खुद योगी सरकार ने आदेश जारी कर सभी दुकानों के सामने दुकान का नाम और मालिक का नाम बड़े अक्षरों में लगाने को कहा है। मामले में हंगामे के बीच बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र शास्त्री ने भी एक कदम आगे बढ़ते हुए दुकानदारों को चेतावनी जारी कर दी है।
Dhirendra Shastri Ultimatum बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र शास्त्री ने दुकानदारों को चेतावनी जारी करते हुए कहा है कि हमें न राम से दिक्कत है और न रहमान से दिक्कत है, हमें कालनेमियों से दिक्कत है। इसलिए अपनी दुकान के बाहर नेम प्लेट टांग दो, जिससे आने वाले श्रद्धालुओं का धर्म और पवित्रता भ्रष्ट न हो। उन्होंने कहा कि ये हमारी आज्ञा है कि बागेश्वर धाम के सभी दुकानदार 10 दिन के अंदर नेम प्लेट टंगवा लें, नहीं तो ध्यान समिति की ओर से कानून को साथ में लेकर विधिक कार्रवाई की जाएगी।
अब सवाल ये उठता है कि धीरेंद्र शास्त्री बागेश्वर धाम सरकार के पीठाधीश्वर हैं न कि कोई प्रशासनिक अधिकारी जो ऐसा अल्टीमेटम दे रहे हैं। अगर दुकानों में नेम प्लेट लगाना है या नहीं लगाना ये सरकार या प्रशासन तय करेगी, जैसा कि उत्तर प्रदेश में तय किया गया है। वहीं, मध्यप्रदेश के नगरीय विकास एवं आवास विभाग ने स्पष्ट किया है कि नगरीय क्षेत्र अंतर्गत कावड़ यात्रियों के मार्ग में आने वाली दुकानों के बोर्ड पर दुकान मालिक के नाम लिखने संबंधित कोई भी निर्देश नगरीय विकास एवं आवास विभाग द्वारा या शासन स्तर पर जारी नहीं किए गए हैं।
विभाग ने कहा कि कुछ निकायों से इस तरह की खबरें आ रही थी कि वहां कावड़ यात्रियों के मार्ग में दुकानों पर दुकान मालिक के नाम अनिवार्य रूप से लिखवायें जा रहे हैं, विभाग ने समस्त नगरीय निकायों को निर्देश दिए कि भ्रम से दूर रहें। “मध्यप्रदेश आउटडोर विज्ञापन मीडिया नियम,2017” के तहत दुकानों पर बोर्ड लगाए जा सकते हैं। इन बोर्डों पर दुकान मालिक का नाम प्रदर्शित करने की कोई अनिवार्यता नहीं है।
ज्ञात हो कि यूपी की मुजफ्फरनगर पुलिस ने कावंड़ यात्रा मार्ग पर सभी खाने-पीने की दुकानों पर मालिकों का नाम लिखे जाने का आदेश जारी किया था। इस विवादास्पद आदेश को कुछ दिन बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने पूरे राज्य में लागू कर दिया। विपक्ष के कई नेताओं ने इस आदेश पर आपत्ति जताई और इसे भेदभावपूर्ण करार दिया. कांग्रेस ने इस आदेश को ‘शरारत’ और ‘पक्षपात’ करार दिया था।
राज्यसभा सदस्य कपिल सिब्बल ने उत्तर प्रदेश में कांवड़ यात्रा मार्ग पर सभी खाने-पीने की दुकानों पर मालिकों का नाम लिखे जाने के राज्य सरकार के आदेश को ‘विभाजनकारी एजेंडा’ करार दिया। उधर, तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा ने उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सरकारों के इस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। मोइत्रा ने अपनी याचिका में दोनों राज्य सरकारों की ओर से जारी आदेश पर रोक लगाए जाने का आग्रह करते हुए कहा कि ऐसे निर्देश समुदायों के बीच विवाद को बढ़ावा देते हैं।