इंद्रेश सूर्यवंशी/उज्जैन: Ravan Dahan 2024 इस समय पूरे देश में नवरात्रि का पर्व चल रहा है। जिसके बाद दशहरा पर रावण दहन किया जाता है। ऐसी मान्यता है कि मान्यता है कि दशहरे के दिन ही भगवान राम ने दशानन रावण का वध करके लंका पर विजय प्राप्त की थी। लेकिन उज्जैन में रावण दहन पर रोक की मांग ने पूरे प्रदेश में हलचल मचा दी है।
Ravan Dahan 2024 दरअसल, रावण दहन को लेकर महाकाल की नगरी उज्जैन में नया विवाद सामने आया है। अखिल भारतीय युवा ब्राह्मण समाज ने रावण दहन पर रोक लगाने की मांग की है। इस संबंध में अखिल भारतीय युवा ब्राह्मण समाज ने सीएम मोहन यादव को एक पत्र भी लिखा है। जिसमें उन्होंने कहा कि रावण का दहन ब्राह्मण समाज का अपमान है और इसे तत्काल रोका जाना चाहिए।
महेश शर्मा का तर्क है कि त्रेतायुग में हुई सीता हरण की घटना को आधार बनाकर रावण का दहन किया जाता है, जो ब्राह्मण समाज के लिए अपमानजनक है। उन्होंने कहा कि रावण ने माता सीता का हरण अवश्य किया था, लेकिन उनके साथ कोई व्याभिचार नहीं किया। उन्होंने सीता को अशोक वाटिका में सुरक्षित रखा, जिससे उनकी विवेक बुद्धि और बल का प्रमाण मिलता है।
पत्र में पुजारी महेश शर्मा ने यह भी कहा कि रावण एक महान ज्ञानी थे, जो वर्तमान, भूतकाल और भविष्य का ज्ञान रखते थे। रावण ब्राह्मण वंश से थे, इसलिए उनके पुतले का दहन ब्राह्मण समाज का अपमान है। उनका कहना है कि अगर पुतले जलाने ही हैं तो उन लोगों के पुतले जलाए जाने चाहिए जो आज के समाज में महिलाओं और बेटियों के साथ अन्याय और अत्याचार करते हैं।
हिंदू मान्यता के अनुसार, लंका का राजा रावण बहुत विद्वान था। महाज्ञानी होने के साथ-साथ उसे तंत्र-मंत्र, गीत-संगीत आदि में खासी रुचि थी। उसने कई सिद्धियां हासिल कर रखी थीं, लेकिन इन सभी के बावजूद उसकी दूसरी बुराईयां उसके अंत का कारण बनीं। कहने का तात्पर्य है कि आप कितने भी गुणी क्यों न हों आपके भीतर का एक दोष आपके पतन का बड़ा कारण बनता है। मान्यता है कि दशहरे के दिन ही भगवान राम ने दशानन रावण का वध करके लंका पर विजय प्राप्त की थी। भगवान राम की इसी विजय को हिंदू धर्म में विजयादशमी पर्व के रूप में मनाया जाता है। विजयादशमी के दिन देश भर में रावण के पुतले बनाकर जलाने की परंपरा है।