हाईकोर्ट की बड़ी टिप्पणी! बेवजह लगाया गया था RSS पर बैन, 15 दिनों के भीतर सरकारी विभागों में दें संघ से बैन हटने की सूचना

Highcourt removed ban on RSS कोर्ट ने कहा कि जहां 'राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ सरीखे विश्वप्रसिद्ध संगठन' को सरकारी कर्मचारियों के लिए प्रतिबंधित संगठनों की सूची में गलत तरह से शामिल किया गया था।

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  • Publish Date - July 25, 2024 / 10:31 PM IST,
    Updated On - July 25, 2024 / 10:33 PM IST

इंदौरः RSS ban removed केंद्र सरकार ने सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों को आरएसएस संगठन की एक्टिविटी में शामिल होने वाली रोक को हटा दिया है। इस पर एमपी हाईकोर्ट ने बड़ा कमेंट किया है। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार की ‘खिंचाई’ करते हुए गुरुवार को कहा कि सरकार को अपनी इस चूक का अहसास करने में करीब पांच दशक लग गए।

कोर्ट ने कहा कि जहां ‘राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ सरीखे विश्वप्रसिद्ध संगठन’ को सरकारी कर्मचारियों के लिए प्रतिबंधित संगठनों की सूची में गलत तरह से शामिल किया गया था। अदालत ने संघ की गतिविधियों में सरकारी कर्मचारियों के शामिल होने पर लगी रोक हटाने के सरकार के हालिया फैसले के हवाले से यह तल्ख टिप्पणी की।

जानिए क्या है पूरा मामला

दरअसल, इंदौर में रहने वाले याचिकाकर्ता पुरुषोत्तम गुप्ता ने एमपी हाईकोर्ट में साल 2023 में याचिका लगाई थी। जिस पर सुनवाई होने के बाद 9 जुलाई को आदेश जारी कर संघ को प्रतिबंधात्मक संगठन से हटा दिया गया है। इसके बाद गुप्ता ने कहा कि ‘मैं संघ की गतिविधियों में सरकारी कर्मचारियों के शामिल होने पर लगी रोक हटाने के केंद्र सरकार के फैसले से जाहिर तौर पर खुश हूं। मेरे पिता संघ की शाखा में जाते थे। रिटायर होने के बाद मैं भी संघ की गतिविधियों से जुड़ना चाह रहा था।’ उन्होंने कहा कि ‘अब मेरे जैसे हजारों लोगों के लिए संघ से जुड़ने की राह आसान हो गई है।’ बता दें कि गुप्ता केंद्रीय भण्डारण निगम के अधिकारी के पद से 2022 में सेवानिवृत्त हुए थे।

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RSS पर लगा बैन हटा

कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय ने 9 जुलाई को बैन हटा दिया। उनके तरफ से जारी एक कार्यालय ज्ञापन में कहा गया है कि यह निर्णय लिया गया है कि 30 नवंबर 1966, 25 जुलाई 1970 और 28 अक्टूबर 1980 के संबंधित कार्यालय ज्ञापनों से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का उल्लेख हटा दिया जाए।

हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति सुश्रुत अरविंद धर्माधिकारी और न्यायमूर्ति गजेंद्र सिंह ने केंद्र सरकार के सेवानिवृत्त कर्मचारी पुरुषोत्तम गुप्ता की रिट याचिका का निपटारा करते यह टिप्पणी की।

गुप्ता ने 19 सितंबर 2023 को उच्च न्यायालय में याचिका दायर करके केंद्रीय सिविल सेवा (आचरण) नियमों के साथ ही केंद्र सरकार के उन कार्यालय ज्ञापनों को चुनौती दी थी जो संघ की गतिविधियों में सरकारी कर्मचारियों के भाग लेने में बाधा बन रहे थे।

पीठ ने केंद्र सरकार के कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग और गृह मंत्रालय को निर्देश भी दिया कि वे अपनी आधिकारिक वेबसाइट के ‘होम पेज’ पर 9 जुलाई के उस कार्यालय ज्ञापन को सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित करे जिसके जरिये सरकारी कर्मचारियों के संघ की

गतिविधियों में शामिल होने पर लगी रोक हटाई गई है। RSS में सरकारी कर्मचारियों की एंट्री पर भड़कीं मायावती, प्रतिबंध हटाने के फैसले को तुष्टिकरण बता दिया

अदालत ने इस ज्ञापन को देश भर में केंद्र सरकार के सभी विभागों और उपक्रमों को 15 दिन के भीतर भेजने का निर्देश भी दिया।

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