EVM Politics: भोपाल। लोकसभा चुनाव में एमपी में कांग्रेस की शर्मनाक हार की पड़ताल के लिए दिल्ली से एक टीम आई है। नाम है फैक्ट फाइंडिंग कमेटी, जो कांग्रेस प्रत्याशियों से चर्चा कर ये समझ रहे हैं कि उनकी हार हुई क्यों ? लेकिन दिलचस्प बात ये है कि कुछ कांग्रेसी से स्वीकार करने को तैयार ही नहीं है कि कमी उनकी तरफ से है, फिर से वही EVM का रोना, बूथ कैप्चरिंग की शिकायत तो दूसरी तरफ प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी ने संगठन की इस बीमारी को मिलकर ठीक करने का दावा कर रहे हैं। कुछ कह रहे हैं कि दिल्ली से आई टीम को PCC दफ्तर में नहीं बल्कि जिलों में जाकर रिपोर्ट लेनी चाहिए, तो क्या हार की पड़ताल कर रहे कांग्रेसी, हार की वजह ढूंढने में भी एक नहीं हो पा रहे हैं ?
भले मध्यप्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ये दावा कर रहे हों कि कांग्रेस को जो बीमारी हुई है उसे ठीक करने के लिए पार्टी बड़ी एक्सरसाइज़ कर रही है। लेकिन, सवाल तो ये उठता है कि इतना कुछ खोने के बाद भी उस बीमारी को अब तक कांग्रेस के बड़े बड़े हकीम क्यों नहीं पकड़ सके। खैर, कांग्रेस खुद को मजबूत करने की कोशिशों में जुट चुकी है। लेकिन, सवाल ये है कि खुद की कमियां खोजने के बजाए कांग्रेस प्रत्याशी अब भी EVM को ही क्यों दोष दे रहे हैं। क्यों ये कहा जा रहा है कि प्रशासन ने बीजेपी के एजेंट के तौर पर काम किया है ? बूथ कैप्चरिंग के आरोप क्यों कांग्रेस प्रत्याशी लगा रहे हैं ? जबकि कांग्रेस ये भूल गयी कि वोटिंग के ठीक पहले बूथ से कार्यकर्ता गायब हो गए।
कांग्रेस ये भूल गयी कि हजारों कांग्रेस नेताओं ने चलते चुनाव के बीच कांग्रेस का हाथ छोड़ दिया। विधानसभा से लेकर लोकसभा चुनाव तक एक-एक तक बूथ लेवल से लेकर पदाधिकारी स्तर तक और पार्षद से लेकर मेयर, पूर्व मेयर, विधायक, पूर्व विधायक, पूर्व सांसद स्तर के नेता पार्टी छोड़ते रहे और उन्हें रोकने की भी कोई खास कोशिश संगठन ने नहीं की। इधर कांग्रेस की फैक्ट एंड फाइंडिंग कमेटी हार के कारणों की पड़ताल करने आयी है। ऐसा नही है कि कांग्रेस नेता नहीं जानते की इस बैठक का क्या नतीजा निकलेगा। खुद कांग्रेस के सीनियर लीडर पीसी शर्मा कह रहे हैं कि दिल्ली के कमेटी को पीसीसी के बजाए जिलों में जाकर हार की पड़ताल करनी चाहिए। इधर कांग्रेस में मची कलह पर बीजेपी ने फिर चुटकी ले रही है।
दरअसल, लोकसभा चुनावों में हुई कांग्रेस की करारी हार के बाद पीसीसी चीफ जीतू पटवारी ने नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए आलाकमान के सामने इस्तीफे की पेशकश की थी। लेकिन, आलाकमान ने ये कहकर इस्तीफे को टाल दिया कि स्पेशल कमेटी की रिपोर्ट के बाद फैसला होगा। जाहिर है कमेटी की नीयत पर ना सिर्फ बीजेपी बल्कि कांग्रेस के अपने भी सवाल खड़े कर रहे हैं।