Face To Face Madhya Pradesh: सोयाबीन.. MSP.. शोर.., किसान मांगे मोर! क्या 6 हजार प्रति क्विंटल एमएसपी की पूरी होगी मांग?

Face To Face Madhya Pradesh: सोयाबीन.. MSP.. शोर.., किसान मांगे मोर! क्या 6 हजार प्रति क्विंटल एमएसपी की पूरी होगी मांग?

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  • Publish Date - September 11, 2024 / 09:08 PM IST,
    Updated On - September 11, 2024 / 09:08 PM IST

Soybean MSP in MP: भोपाल। सोया स्टेट मध्यप्रदेश की मोहन सरकार के MSP पर सोयाबीन खरीदी के प्रस्ताव को केंद्र सरकार ने मंजूरी दे दी है। अब मध्यप्रदेश में किसानों से 4892 रुपए प्रति क्विंटल MSP पर सोयाबीन की खरीद होगी। लेकिन, बढ़े मूल्य के बाद भी फील गुड फैक्टर गायब है। किसान 6000 रुपए प्रति क्विंटल समर्थन मूल्य मांग रहे हैं। यहां तक कि भारतीय किसान संघ भी इसका समर्थन कर रहा है। इस स्थिति में सरकार के लिए भी असमंजस वाली स्थिति बन गई है। सोयाबीन की इस सियासत ने विपक्ष को भी मुखर होने का स्पेस दे दिया है।

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मध्यप्रदेश में अब सोयाबीन की खरीदी न्यूनतम समर्थन मूल्य पर की जाएगी। केंद्र सरकार ने मोहन यादव सरकार के प्रस्ताव को मंजूर कर लिया है। अब प्रदेश के किसान 4892 रुपए प्रति क्विंटल एमएसपी पर सोयाबीन बेच पाएंगे। राज्य सरकार ने प्रस्ताव को कैबिनेट बैठक में पास कर केंद्र सरकार को भेजा था। केंद्र सरकार ने पिछले हफ्ते तीन राज्यों महाराष्ट्र, कर्नाटक और तेलंगाना में पीएसएस (प्राइज सपोर्ट स्कीम) योजना से एमएसपी पर सोयाबीन खरीदने की मंजूरी दी थी। केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बताया है ति, राज्य के किसानों के हित में राज्य सरकार के प्रस्ताव को हमने तत्काल स्वीकृति दे दी है।

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मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने कहा कि प्रदेश के किसान सोयाबीन के मूल्य को लेकर चिंतित थे, लेकिन अब समर्थन मूल्य पर खरीदी से किसानों की दशा और दिशा में परिवर्तन होगा। सोयाबीन को लेकर आंदोलन कर रहे किसान संगठनों ने सोयाबीन की एमएसपी को नाकाफी बताया है। आरएसएस के अनुषांगिक संगठन भारतीय किसान संघ ने सोयाबीन की एमएसपी 6 हजार रुपए करने के साथ ही 1200 रुपए बोनस देने की मांग की है। साथ ही किसान सरकार से एक-एक दाना सोयाबीन खरीदने की मांग भी कर रहे हैं।

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किसानों की मांग और सरकार के फैसले के चलते अब सोयाबीन और किसानों के मसले पर प्रदेश की सियासत भी गर्म है। पक्ष-विपक्ष आमने-सामने हैं। मध्यप्रदेश को सोया स्टेट का दर्जा मिला है, समर्थन मूल्य बढ़ने से सरकार अपनी पीठ थपथपा रही है लेकिन किसान आंदोलन कर रहे हैं तो विपक्ष भी सरकार की घेराबंदी कर रहा है। जाहिर है कृषि प्रधान मध्यप्रदेश में किसान बड़ा वोटबैंक है। लिहाजा कोई भी पार्टी इस वर्ग की नाराजगी का जोखिम नहीं ले सकती। लेकिन, सोयाबीन पर शुरू हुई सियासत ने माहौल गर्मा दिया है।

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