नई दिल्ली: Shivraj-Vasundhara Career over? छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश और राजस्थान में भाजप ने प्रचंड बहुमत के साथ जीत दर्ज की है और दो राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने शपथ लेकर अपना कामकाज भी शुरू कर दिया है। लेकिन इस बार भाजपा ने तीनों राज्यों में मुख्यमंत्री चयन को लेकर सभी को चौंका दिया है। नए सीएम के नाम को लेकर मीडिया की कयासों से राजनीतिक पंडितों की अटकलें भी धरी की धरी रह गई। सीएम बनने का ख्वाब देख रहे पूर्व मुख्यमंत्रियों और कद्दावर नेताओं के सपने को बीजेपी ने एक झटके में चकनाचूर कर दिया है। लेकिन ऐसा नहीं है कि भाजपा ने अचानक ऐसा कड़ा फैसला लिया है। पहले भी भाजपा ने कई राज्यों के सीएम और कद्दावर नेताओं को नजरअंदाज कर नए और युवा चेहरे को प्रदेश का मुखिया बनाया है। लेकिन सवाल ये बनता है कि आखिर कहां हैं वो नेता जो पहले मुख्यमंत्री हुआ करते थे? क्या भाजपा ने पूर्व मुख्यमंत्रियों के बड़ा पद देकर सम्मान किया या नेपथ्य में हैं वो नेता?
Shivraj-Vasundhara Career over? छत्तीसगढ़ में भाजपा ने पूर्व सीएम रमन सिंह को रेस से बाहर करते हुए विष्णुदेव साय को नया मुख्यमंत्री बनाया है। मध्यप्रदेश में भी मामा के रूप में पहचान बनाने वाले शिवराज सिंह चौहान को बीजेपी ने साइड करते हुए डॉ मोहन यादव को प्रदेश का सीएम बनाया है। बात राजस्थान की करें तो यहां की राजनीति को जमीन से समझने वाली कद्दावर नेता वसुंधरा राजे सिंधिया को साइड कर पहली बार विधानसभा पहुंचने वाले भजन लाल शर्मा को मुख्यमंत्री बनाया है। हालांकि अभी तक भजन लाल ने पद और गोपनीयता की शपथ नहीं ली है, जबकि मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्रियों ने शपथ ले ली है।
मध्य प्रदेश में बीजेपी ने साल 2003 का विधानसभा चुनाव उमा भारती के नेतृत्व में लड़ा। बीजेपी को पूर्ण बहुमत के साथ सरकार चलाने का जनादेश मिला और उमा भारती सूबे की पहली महिला मुख्यमंत्री बनीं। हालांकि, वह आठ महीने ही इस पद पर रह सकीं और एक मामले में कर्नाटक की कोर्ट से गिरफ्तारी वारंट जारी होने के बाद उनको सीएम पद से इस्तीफा देना पड़ा था। उमा भारती इसके बाद यूपी से भी बीजेपी के टिकट पर विधानसभा पहुंचीं, वह केंद्र की मोदी सरकार में भी मंत्री रहीं। बीच में बीजेपी से बगावत कर उमा भारती ने अपनी पार्टी भी बनाई जिसका बाद में बीजेपी में विलय कर दिया था। फिलहाल, उमा भारती बीजेपी में हाशिए पर चल रही हैं।
भगत सिंह कोश्यारी उत्तराखंड के दूसरे मुख्यमंत्री थे। साल 2002 के उत्तराखंड चुनाव में बीजेपी की हार के बाद वह विधानसभा में विपक्ष के नेता रहे। भगत सिंह कोश्यारी सीएम पद से हटने के बाद 2007 से 2009 तक उत्तराखंड बीजेपी के अध्यक्ष, 2008 से 2014 तक उत्तराखंड से राज्यसभा सदस्य और 2014 के लोकसभा चुनाव में नैनीताल सीट से सांसद भी रहे। साल 2019 के चुनाव में बीजेपी ने उन्हें टिकट नहीं दिया। बाद में भगत सिंह कोश्यारी महाराष्ट्र के राज्यपाल भी रहे। महाराष्ट्र के राज्यपाल पद से हटने के बाद फिलहाल वह सक्रिय राजनीति से दूर हैं।
मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) भुवनचंद्र खंडूरी 2007 से 2009 और फिर 2011 से 2012, दो बार उत्तरांड के मुख्यमंत्री रहे। उत्तराखंड के सीएम पद से हटने के बाद खंडूरी लोकसभा सदस्य भी रहे। फिलहाल, भुवनचंद्र खंडूरी नेपथ्य में हैं।
रमेश पोखरियाल निशंक उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रहे हैं। उत्तराखंड के सीएम पद से हटने के बाद निशंक केंद्र की सियासत में सक्रिय हैं। रमेश पोखरियाल निशंक केंद्र सरकार में कई अहम मंत्रालय संभाल चुके हैं। फिलहाल, वह सांसद हैं।
त्रिवेंद्र सिंह रावत 2017 से 2021 तक उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रहे। उत्तराखंड चुनाव से करीब एक साल पहले बीजेपी ने सूबे में सीएम बदल दिया था और त्रिवेंद्र सीएम से पूर्व सीएम हो गए थे, वह फिलहाल संगठन में सक्रिय हैं। केंद्र सरकार के नौ साल पूरे होने पर बीजेपी की ओर से चलाए गए महासंपर्क अभियान के लिए त्रिवेंद्र को आजमगढ़, बलिया, देवरिया, बांसगांव और सलेमपुर लोकसभा क्षेत्र की जिम्मेदारी दी गई थी।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पद से त्रिवेंद्र सिंह रावत को हटाए जाने के बाद तीरथ सिंह रावत सूबे के अगले सीएम बने थे। साल 2021 में उत्तराखंड की सत्ता के शीर्ष पर काबिज हुए तीरथ सिंह रावत कुछ ही महीने तक इस पद रहे। वह लोकसभा सदस्य रहते हुए उत्तराखंड के सीएम बने थे और फिलहाल वह लोकसभा के सदस्य हैं।
रघुबर दास 2014 से 2019 तक झारखंड के मुख्यमंत्री रहे। चुनाव में बीजेपी हार गई और सूबे में सरकार चलाने का जनादेश झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) को मिला. विधानसभा चुनाव में बीजेपी की हार के बाद रघुबर दास को सीएम की कुर्सी छोड़नी पड़ी थी। इसके बाद भी रघुबर एक्टिव पॉलिटिक्स में एक्टिव थे। फिलहाल, रघुबर दास एक्टिव पॉलिटिक्स से दूर एक संवैधानिक पद पर हैं। रघुबर दास को पिछले दिनों ओडिशा का राज्यपाल बना दिया गया था।
नरेंद्र मोदी को बीजेपी ने 2014 के लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री पद के लिए उम्मीदवार घोषित किया था। बीजेपी की जीत के बाद नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने और गुजरात में सरकार की कमान आनंदीबेन पटेल को सौंपी गई। आनंदीबेन थोड़े ही समय इस पद पर रहीं। आनंदीबेन फिलहाल उत्तर प्रदेश की राज्यपाल हैं।
विजय रुपाणी 2016 से 2021 तक गुजरात के मुख्यमंत्री रहे। सीएम पद से हटने के बाद विजय रुपाणी संगठन में सक्रिय हैं। विजय रुपाणी फिलहाल पंजाब और चंडीगढ़ के प्रभारी हैं।
सर्बानंद सोनोवाल 2016 से 2021 तक असम के मुख्यमंत्री रहे। असम में 2021 के विधानसभा चुनाव में जीतकर बीजेपी ने लगातार दूसरी बार सरकार बनाई लेकिन सर्बानंद सोनोवाल की जगह हिमंता बिस्व सरमा सीएम बनाए गए। सीएम पद से हटने के बाद सोनोवाल दिल्ली की सियासत में एक्टिव हैं। सोनोवाल इस समय केंद्र सरकार में बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग मंत्री हैं।
बिप्लब कुमार देब 2018 से 2022 तक त्रिपुरा के मुख्यमंत्री रहे। बिप्लब को चार साल बाद ही सीएम पद से हटना पड़ा था। बिप्लब कुमार देब फिलहाल त्रिपुरा से बीजेपी के राज्यसभा सदस्य हैं।
बीएस येद्दियुरप्पा के नाम दक्षिण भारत के किसी राज्य में बीजेपी के पहले सीएम का गौरव है। वह चार बार कर्नाटक के सीएम रहे। 2021 में बीजेपी ने उनकी जगह बसवराज बोम्मई को सीएम बना दिया था। येद्दियुरप्पा फिलहाल बीजेपी पार्लियामेंट्री बोर्ड के सदस्य हैं।
अब देखना होगा कि पूर्व सीएम रमन सिंह, शिवराज सिंह चौहान और वसुंधरा राजे सिंधिया को भाजपा कहां मौका देती है। हालांकि शिवराज सिंह चौहान ने स्पष्ट कह दिया है कि वो दिल्ली नहीं जाएंगे। इतना ही नहीं उन्होंने ये भी कहा दिया है कि वो मांगने से बेहतर मरना पसंद करंगे।